चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) के दौरान पिछले साल की समान अवधि की तुलना में नई नौकरियों में कमी आई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के आंकड़ों के मुताबिक बीते साल की समान अवधि की तुलना में इस साल 5 लाख कम नई नौकरियां पैदा हुईं। लिहाजा बेरोजगारी दर गिरने के साथ रोजगार की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।
ईपीएफओ के पेरोल आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से अगस्त के दौरान कुल 49.2 लाख नए सदस्य इस सामाजिक सुरक्षा संगठन से जुड़े थे जबकि बीते साल की इसी अवधि में 55.1 लाख नए सदस्य जुड़े थे, जो नई नौकरियों के सृजन में 10.7 फीसदी की कमी को दर्शाती है।
इस क्रम में नई नौकरियों में युवा सदस्यों 18-28 वर्ष के आयु वर्ग में 9.9 प्रतिशत की गिरावट आई। यह बीते साल की इसी अवधि में युवाओं के लिए नई नौकरियां का सृजन 36.4 लाख हुआ था जो इस साल गिरकर 33 लाख हो गया। इस आयु वर्ग के सदस्यों को नई नौकरियां मिलना महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इस आयु वर्ग के लोग आमतौर पर पहली बार श्रम बाजार में अपनी नौकरी शुरू करते हैं।
इसके अलावा महिलाओं के रोजगार में भी 10.9 प्रतिशत की गिरावट आई। महिला सदस्यों की संख्या बीते वर्ष की इस अवधि में 14.6 लाख थी जो इस साल गिरकर 13 लाख आ गई।
टेक और नॉलेज सेक्टर में भर्तियां सुस्त
टीमलीज सर्विसेज के सह संस्थापक ऋतुपर्ण चक्रवर्ती का कहना है कि टेक और नॉलेज सेक्टर में भर्तियां सुस्त रही हैं, जहां बड़े पैमाने पर औपचारिक नौकरियों का सृजन होता है, क्योंकि फर्में अपने कर्मचारी घटा रही थीं और कम मांग व घटते राजस्व के संकट से जूझ रही थीं।
बाथ यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा ने कहा कि श्रम बाजार में नए रोजगार का सृजन बेहद धीमा है और यह बढ़ते श्रम बल के साथ तालमेल स्थापित नहीं कर पा रहा है। लिहाजा इससे श्रम बाजार को उबरने की जरूरत है। श्रम बाजार में नए रोजगार का सृजन धीमा होने के कारण युवा व महिलाएं के स्वरोजगार में इजाफा हुआ है या वे खासतौर पर खेती से जुड़े गए।
हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के जारी सालाना आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के मुताबिक जुलाई –जून 2022-23 के दौरान बेरोजगारी की दर छह साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत पर आ गई है जबकि यह जुलाई – जून 2021-22 की अवधि में 4.1 प्रतिशत थी। बहरहाल इस अवधि के दौरान श्रम बल की सहभागिता दर 55.2 प्रतिशत से बढ़कर 57.9 प्रतिशत हो गई।
मेहरोत्रा के मुताबिक, ‘हालिया पीएलएफएस के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि खेती बाड़ी में शामिल होने की लोगों की दर बढ़ी है जबकि विनिर्माण क्षेत्र में गिरी है। औपचारिक नौकरियों में गिरावट और उसके साथ श्रम बल में सहभागिता बढ़ना यह दर्शाता है कि अधिक लोग श्रम बाजार में शामिल हो रहे हैं और अर्थव्यवस्था लोगों के लिए पर्याप्त उचित नौकरियों का सृजन नहीं कर पा रही है।’
पीएलएफएस के सर्वेक्षण के मुताबिक खेती बाड़ी में शामिल लोगों की हिस्सेदारी बढ़ी है। खेतीबाड़ी में शामिल लोगों की हिस्सेदारी 2022-23 की अवधि में तेजी से बढ़कर 45.8 प्रतिशत हो गई जबकि यह 2021-22 की अवधि में 45.5 प्रतिशत थी।
इसके विपरीत विनिर्माण क्षेत्र में लोगों की हिस्सेदारी में गिरावट आई। इस अवधि के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में लोगों की हिस्सेदारी 11.6 प्रतिशत से गिरकर 11.4 प्रतिशत हो गई। श्रम क्षेत्र के अर्थशास्त्री केआर श्याम सुंदर ने कहा कि ईपीएफओ के आंकड़े समुचित रूप से रोजगार सृजन को नहीं दर्शाते हैं।