ताप बिजली संयंत्रों में कोयले का राष्ट्रीय औसत इस साल पहली बार निचले जोखिम स्तर तक पहुंच चुका है। दरअसल, पूर्वी भारत में बारिश के कारण कोयले के उत्पादन और आपूर्ति संचालन पर प्रभाव पड़ा है। कोयले की आपूर्ति में कमी उस समय हुई है जब बिजली की मांग बढ़ी है और त्योहारी मौसम भी करीब आ रहा है।
राष्ट्रीय बिजली पोर्टल के आंकड़े के मुताबिक 8 अक्टूबर को ताप बिजली संयंत्रों में बिजली के भंडार का राष्ट्रीय औसत 7.6 दिनों (मानक भंडार के 40 प्रतिशत) पर आ गया है। बीते एक सप्ताह में कोयले के भंडार के स्तर में गिरावट आई है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की मांग 190-220 गीगावाट के इर्द गिर्द रही है।
वर्तमान समय में 84 ताप बिजली संयंत्रों में मानक भंडार के 25 प्रतिशत से भी कम भंडार है और वर्गीकरण के तहत यह मात्रा जोखिम के स्तर के अंतर्गत आती है। बीते साल इसी सप्ताह केवल 24 इकाइयों में कोयले के भंडार की सीमा जोखिम के स्तर पर थी। आर्थिक विकास के फिर से गति पकड़ने और गर्मी का दौर अधिक रहने के कारण सितंबर में बिजली की मांग रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई थी।
सितंबर में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर 240 गीगावाट पर पहुंच गई थी। अनुमान यह है कि बीते साल की तुलना में इस साल नवंबर तक बिजली की मांग अधिक रहेगी। इसका कारण यह है कि सर्दियां देरी से आ रही हैं और त्योहार का मौसम सिर पर आ चुका है।
भारत के मौसम पर अल नीनो का असर पड़ रहा है। इससे आने वाले दिनों में अपेक्षाकृत गर्म दिन होंगे। हाल के सप्ताहों में बंगाल की खाड़ी में चक्रवात और पूर्वी भारत में लौटते मॉनसून के कारण कोयले की खानों वाले राज्यों में बारिश हुई थी।
कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि राष्ट्रीय कोयला खनिक कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) शीघ्र ही कम ही कोयले के भंडार को पूरा कर देगा। मीणा ने कहा, ‘देश के पूर्वोत्तर भाग में कोयले का उत्पादन और आपूर्ति बारिश के कारण प्रभावित हुई थी। सीआईल अपनी प्रतिबद्ध क्षमता के 100 फीसदी की आपूर्ति कर रही है। बारिश के कारण रेल और सड़क यातायात प्रभावित हुआ था। हमें भरोसा है कि इस महीने के मध्य तक कोयले का भंडार पर्याप्त रूप से बढ़ जाएगा।’
भारतीय रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने कोयले और कोक की रेक खाली करने में 24.26 प्रतिशत की गिरावट आई है। मध्य प्रदेश के बढ़े हिस्से को कोयले की आपूर्ति करने वाले पश्चिमी मध्य रेलवे में अक्टूबर के पहले नौ दिनों में कोयले की रैक खाली करने में रिकार्ड 30 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इस क्रम में कोयले की कुल 193 रैक खाली करने की गिरावट आई। कई अन्य जोनों जैसे उत्तरी रेलवे (33 प्रतिशत) और उत्तर मध्य रेलवे (29 फीसदी) में कोयले की रैक खाली में भी गिरावट दर्ज हुई।
दूसरी तरफ कोयला संपन्न वाले क्षेत्र के पूर्वी तट रेलवे में अक्टूबर के पहले नौ दिनों में कोयला और कोक की रैक को भरने में 3.35 प्रतिशत की गिरावट आई।
हालांकि इसी अवधि के दौरान दक्षिण पूर्व रेलवे में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई। इस बारे में रेल मंत्रालय को ईमेल भेजा गया था लेकिन कोई जवाब नहीं आया।