Business Standard BFSI Summit: भारत में मनी मैनेजर इस वास्तविकता पर आमराय हैं कि आम चुनाव, ज्यादा मूल्यांकन और वैश्विक जोखिम के चलते इक्विटी बाजारों को अल्पावधि में भले ही ज्यादा उतार चढ़ाव का सामना करना पड़े, लेकिन लंबी अवधि के लिहाज से भारत की प्रगति की कहानी अनुकूल बनी हुई है।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी महेश पाटिल ने कहा कि भारत में हम स्थिर सुधार देख रहे हैं। यहां से अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे आगे बढ़ने में सक्षम होगी। 6.5 फीसदी के दायरे में वृद्धि दर्ज करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के पास काफी कुछ है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट में देश के अग्रणी निवेश प्रबंधकों ने कहा कि चुनाव के बजाय निवेशकों को कंपनी की आय वृद्धि और मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
ऐक्सिस एमएफ के सीआईओ आशिष गुप्ता ने कहा, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि दीर्घावधि के लिहाज से बाजार और चुनावों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं रहा है। जो मायने रखता है, वह है चुनाव के बीच पांच वर्षीय अवधि के दौरान आर्थिक प्रगति।’
निप्पॉन इंडिया एमएफ के सीआईओ (इक्विटी) शैलेश राज भान ने कहा, ‘जब बात चुनाव की भविष्यवाणी की आती है तो बाजार ने कभी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। बाजार का शुरुआती स्तर काफी मायने रखता है। यदि शुरुआती बिंदु सही हो तो सब कुछ अच्छा रहता है। लेकिन अगर शुरुआती बिंदु गलत है तो बाजार निराश कर सकता है, भले ही सरकार नीतिगत दृष्टिकोण से काम कर रही हो।’
राजनीतिक एवं वैश्विक मोर्चों पर अल्पावधि की अनिश्चितता को देखते हुए फंड प्रबंधकों का मानना है कि निवेशकों को हाइब्रिड फंडों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने इक्विटी पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहने और अपने नियोजित परिसंपत्ति आवंटन से जुड़े रहने की जरूरत पर भी जोर दिया।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ के सीआईओ शंकरन नरेन ने कहा, ‘हरेक आम चुनाव के दौरान एक सामान्य चिंता बाजार में उतार-चढ़ाव को लेकर रहती है और ऐसे में हमारे लिए इस अवधि में हाइब्रिड फंडों की सलाह देना आसान हो जाता है। हाइब्रिड फंड ऊंचे मूल्यांकन के साथ साथ अन्य नजरिये से भी उपयुक्त होते हैं।’
पीपीएफएएस एमएफ के सीआईओ राजीव ठक्कर का कहना है, ‘निवेशकों के लिए यह समय अपने पोर्टफोलियो में बदलाव लाने और जरूरत पड़ने पर उन्हें संतुलित बनाने का है। निवेशक अपना इक्विटी निवेश (यदि यह बढ़कर ऊंचे स्तरों पर पहुंच गया हो) घटाने पर ध्यान दे सकते हैं। कारण कि डेट फंड अब आकर्षक हो गए हैं, क्योंकि इनमें प्रतिफल बढ़ा है।’
डेट फंडों की बढ़ती लोकप्रियता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एसबीआई एमएफ के सीआईओ (फिक्स्ड इनकम) राजीव राधाकृष्णन ने कहा कि डेट फंड अब लुभावने बन गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय बाजार के नजरिये से फिक्स्ड इनकम विकल्प लोकप्रिय हुआ है। लंबे समय बाद निवेशक अच्छी दर पा सकते हैं, भले ही वे महंगाई का अनुमान लगा लें।’ उन्होंने कहा कि हालांकि वैश्विक के साथ साथ घरेलू तौर पर कुछ चिंताएं हैं।
राधाकृष्णन ने कहा, ‘आरबीआई का नीतिगत रुख कुछ और समय तक सख्त बने रहने का अनुमान है। वैश्विक मोर्चे पर भू-राजनीतिक समस्याएं हमारे बाजार पर प्रभाव डाल सकती हैं।’
भले ही फंड प्रबंधक बाजार के मोर्चे पर आशान्वित हों, लेकिन वे निवेशकों के नजरिए से जोखिम देख रहे हैं। उनका कहना है कि चिंताएं मुख्य तौर पर म्युचुअल फंड योजनाओं में पिछले प्रदर्शन के आधार पर हो रहे निवेश प्रवाह से पैदा हो रही हैं।
स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों ने हाल के महीनों में बड़ा निवेश आकर्षित किया है, जबकि लार्जकैप फंडों से लगातार निकासी हुई है। फंड प्रबंधकों का कहना है कि चूंकि ये निवेश इन योजनाओं के पिछले मजबूत प्रदर्शन की मदद से हासिल हुए हैं, इसलिए निवेशकों को इनसे ज्यादा उम्मीद है।