मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनावों में मुख्य प्रतिद्वंद्वी दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के ज्यादा उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है जबकि मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों की संख्या कम की है। इस बीच दोनों दलों ने धार्मिक नेताओं की मदद लेने का भी प्रयास किया है।
मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा ने 230 प्रत्याशियों में किसी मुस्लिम को जगह नहीं दी है। कांग्रेस ने दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो हैं भोपाल मध्य सीट से मौजूदा विधायक आरिफ मसूद और भोपाल उत्तर सीट से गंभीर रूप से बीमार मौजूदा विधायक आरिफ अकील के बेटे आतिफ अकील। 2018 के विधानसभा चुनाव में आरिफ अकील ने भाजपा की फातिमा रसूल सिद्दीक को हराया था जो भाजपा से इकलौती मुस्लिम प्रत्याशी थीं।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार प्रदेश की आबादी में सात फीसदी मुस्लिम हैं और शहरी इलाकों में उनकी उपस्थिति अच्छी खासी है। ऐसे में वे दो दर्जन सीटों पर असर डाल सकते हैं। भाजपा मध्य प्रदेश में उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के रूप में तीन ओबीसी मुख्यमंत्री बना चुकी है। इस चुनाव में पार्टी ने 71 ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं जो उसके कुल प्रत्याशियों में 31 फीसदी हैं। कांग्रेस ने ओबीसी समुदाय के 62 उम्मीदवारों को टिकट दिया है यानी कुल प्रत्याशियों का 27 फीसदी।
धार्मिक नेताओं की बात करें तो कांग्रेस ने बुंदेलखड की मलहरा विधानसभा सीट से साध्वी रामसिया भारती को टिकट दिया है जो ओबीसी लोध समुदाय से आती हैं। उन्हें एक अच्छा वक्ता माना जाता है और उस इलाके के पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं पर उनकी अच्छी पकड़ है। कांग्रेस को चुनाव प्रचारक के रूप में इंदौर के नामदेव त्यागी का भी साथ मिल रहा है जिन्हें कंप्यूटर बाबा के नाम से भी जाना जाता है। एक दौर था जब कंप्यूटर बाबा को भाजपा का करीबी माना जाता था और चौहान सरकार ने उन्हें मंत्री का दर्जा दिया था। हालांकि दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया।
वहीं समाजवादी पार्टी ने राकेश दुबे उर्फ मिर्ची बाबा को बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। हाल के दिनों में मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को सीहोर के कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा और छतरपुर के बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के आशीर्वाद की बाट जोहते देखा गया। ये दोनों बाबा कांग्रेस और भाजपा नेताओं के निमंत्रण पर उनके शहर कस्बों में कथा-प्रवचन करते रहे हैं। शास्त्री ने तो कई अवसरों पर हिंदू राष्ट्र और ‘बुलडोजर न्याय’ का भी समर्थन किया है।
पड़ोसी राज्य राजस्थान में 25 नवंबर को चुनाव होने हैं और वहां भाजपा ने अपने प्रत्याशी अभिषेक सिंह को अजमेर की मसूदा सीट से इसलिए उम्मीदवारी से हटा दिया क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप था कि वह हिंदू नहीं हैं।
वहां भी भाजपा ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकटनहीं दिया है। इससे पहले 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यूनुस खान को उनकी दीदवाना सीट के बजाय टोंक से सचिन पायलट के खिलाफ चुनाव लड़ने को कहा था। खान 2003 और 2013 में डीडवाना से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके थे। इस बार वह वहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं।
सन 2008 में हबीबुर रहमान नागौर से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे जबकि 2003 तक पार्टी पुष्कर से रमजान खान को चुनाव मैदान में उतारती थी। रमजान 1990 में पुष्कर से चुनाव जीते थे जो हिंदुओं और सिखों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। 2018 में कांग्रेस ने 15 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे जिनमें से सात जीते थे। इस बार पाटभ्र्ने 15 मुस्लिम और 72 ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भाजपा ने 70 ओबीसी प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है।
भाजपा ने अलवर के सांसद बाबा बालकनाथ को तिजारा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है, पूर्व विधायक बाल मुकुंदाचार्यको हवा महल सीट से और बाड़मेर के तारातारा मठ के महंत प्रताप पुरी को पोखरण से टिकट दिया है। प्रताप पुरी 2013 में विधायक थे और 2018 में उन्हें कांग्रेस के सालेह मोहम्मद से मात खानी पड़ी थी। सालेह जैसलमेर के धार्मिक नेता गाजी फकीर के बेटे हैं। ये दोनों नेता एक बार फिर आमने-सामने हैं।
कांग्रेस ने जयपुर की मालवीय नगर सीट से अर्चना शर्मा को टिकट दिया है। शर्मा विश्व हिंदू परिषद के नेता स्वर्गीय आचार्य धर्मेंद्र की बेटी हैं। वह 2013 और 2018 में चुनाव हार चुकी हैं। साध्वी अनादि सरस्वती जो राजस्थान के सिंधी समुदाय पर प्रभाव रखती हैं उन्होंने इस महीने के आरंभ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने एक मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है और वह हैं कवर्धा के मौजूदा विधायक मोहम्मद अकबर। 2018 में उसने दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया थ्ज्ञा लेकिन बदरुद्दीन कुरैशी दुर्ग जिले की वैशाली नगर सीट से चुनाव हार गए थे।