facebookmetapixel
जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए वेदांत और अदाणी की पेशकश पर मतदान करेंगे लेनदारStock Market: मजबूत वैश्विक रुख से भारतीय बाजार में तेजी, सेंसेक्स 76 अंक उछलाMSCI EM इंडेक्स में भारत का वेटेज घटा, 2 साल के निचले स्तर पर आयाIVF कंपनियां AI से घटाएंगी इलाज की लागत, भ्रूण और शुक्राणु चयन में सटीकता से सफलता दर होगी अधिकजुलाई में भारत का कपड़ा निर्यात 9% बढ़ा, अमेरिका के ब्रांड छूट पर ऑर्डर बरकरार रखने को हुए तैयारनवीन जिंदल बोले: सितंबर तक कमजोर रहेगी इस्पात की मांग, मगर अक्टूबर से दिखेगा तेज उछालट्रंप के टैरिफ झटकों ने भारत को दूसरी पीढ़ी के सुधारों की ओर धकेलाभारत के मास मार्केट संभावनाओं को खोलने के लिए जरूरी है रचनात्मक नीतिगत पहलEditorial: सरकार ने जीएसटी सुधार और रणनीतिक विनिवेश को दिया नया जोरEPAM Systems के नए CEO बोले: कंपनी लगा रही AI पर बड़ा दांव, ग्राहकों की जरूरतों पर रहेगा फोकस

देश में सभी सुरंगों की होगी जांच! L&T, दिल्ली मेट्रो और कोंकण रेलवे होंगी जांच में शामिल

इस घटना के बाद एनएचएआई ने अपनी सभी निर्माणाधीन सुरंग परियोजनाओं के सुरक्षा आकलन का आदेश दिया है।

Last Updated- November 22, 2023 | 11:13 PM IST
Uttrakhand tunnel collapse

उत्तराखंड में सुरंग में फंसे श्रमिकों के बचाव का काम जारी है और श्रमिक समूहों के प्रतिनिधियों तथा उद्योग जगत के लोगों का मानना है कि यह घटना देश की सुरंग परियोजनाओं पर दूरगामी प्रभाव डालने वाली साबित होगी।

इंजीनियरिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) कंस्ट्रक्शंस की सुरंग, भारी असैन्य अधोसंरचना शाखा के टीम लीडर क्रिस कूपर ने इन श्रमिकों के बचाव के काम के बारे में कहा है कि मौजूदा विकल्प के साथ इस काम में सफलता मिलने में कम से कम 24 घंटे का समय लग सकता है।

एलऐंडटी उन भारतीय कंपनियों में शुमार है जो स्वेच्छा से इस बचाव अभियान में शामिल हुई हैं। कूपर ने कहा, ‘यह एक बहुत बड़ी समस्या साबित होने जा रही है। अगर यह विकल्प रोकना पड़ता है तो दूसरा विकल्प एक सूक्ष्म सुरंग का है जिसमें 20 दिन लगेंगे।’

राज्य में रेल विकास निगम के विभिन्न सुरंग परियोजनाओं पर काम कर रही एलऐंडटी ने स्वेच्छा से अपने कर्मचारी, मशीनें तथा अनुभव इस बचाव अभियान के लिए दिए हैं।

एक प्रवक्ता के अनुसार, ‘एलऐंडटी के बोर्ड सदस्य निरंतर केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं ताकि हर जरूरी मदद मुहैया कराई जा सके।’ उधर बेंगलूरु की स्टार्टअप स्क्वाड्रोन इन्फ्रा ऐंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के रूप में एक और कंपनी अपने ड्रोंस की मदद से सहायता पहुंचा रही है।

इस बीच राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने डीएमआरसी और कोंकण रेलवे की सहायता से सुरक्षा आकलन उपायों पर काम शुरू किया है। इस घटना के बाद एनएचएआई ने अपनी सभी निर्माणाधीन सुरंग परियोजनाओं के सुरक्षा आकलन का आदेश दिया है।

बुधवार को राजमार्ग प्राधिकरण ने संवाददाताओं को बताया कि एनएचएआई के अधिकारी, दिल्ली मेट्रो के विशेषज्ञों का दल तथा अन्य सुरंग विशेषज्ञ मौजूदा सुरंग परियोजनाओं की जांच करेगे और सात दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।

कुल 79 किलोमीटर लंबाई वाली ऐसी 29 परियोजनाएं इस जांच से गुजरेंगी। ये परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और दिल्ली में हैं। एनएचएआई ने कोंकण रेलवे के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत सुरंग निर्माण और ढलान के स्थिरीकरण के डिजाइन और सुरक्षा पहलुओं की समीक्षा की जाएगी।यह रेलवे शाखा सुरंगों का सुरक्षा आकलन करेगी और आवश्यक उपाय भी सुझाएगी।

कूपर ने कहा, ‘ठेके महंगे हो जाएंगे। सुरंग निर्माण में सुरक्षा की दृष्टि से एक बचाव सुरंग बनानी होगी और उसे डिजाइन में शामिल करना होगा। जाहिर सी बात है इससे लागत बढ़ेगी और अनुबंध की अवधि बढ़ानी होगी।’

कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनैशनल के निदेशक अमित उपलेंछवार ने कहा, ‘भारत में बोली लगाने और उसे हासिल करने की प्रक्रिया पहले ही मजबूत और अंतरराष्ट्रीय स्तर की रही है। जब मैं ऐसा कहता हूं तो हमारे पास अभी भी यह गुंजाइश है कि डीपीआर के स्तर से ही जोखिम को सभी अंशधारकों के बीच साझा करने की दिशा में देखा जाए।’

इस बीच भारतीय मजदूर संघ को छोड़, देश के प्रमुख श्रम संगठनों ने एक साझा वक्तव्य जारी करके कामगारों की सुरक्षा के अपर्याप्त उपायों पर चिंता जताई और जांच की मांग की।

उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि इस मामले में किसी भी स्तर पर किसी भी तरह की चूक की पूरी जांच होनी चाहिए। निविदा जारी करने से लेकर सुरंग के काम के विभिन्न चरणों की जांच होनी चाहिए।

उन्होंने यह मांग भी की कि कारोबारी सुगमता के नाम पर लागू पेशेवर सुरक्षा और स्वास्थ्य संहिता को वापस लिया जाए क्योंकि यह सुरक्षा उपायों को कमजोर करती है और कामगारों को सुरक्षा दायरे से बाहर करती है।

First Published - November 22, 2023 | 11:00 PM IST

संबंधित पोस्ट