भारत अपने Aditya L1 मिशन के जरिये अगले 125 दिनों में सूर्य नमस्कार के लिए तैयार है। ऐसे में इस मिशन में योगदान देने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियां इसकी सफलता को लेकर काफी उत्साहित दिख रही हैं। लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी), एमटीएआर टेक्नोलॉजिज और अनंत टेक्नोलॉजिज सहित निजी क्षेत्र की कई कंपनियों ने सूर्य के लिए भारत के इस पहले ऑब्जर्वेटरी मिशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आदित्य एल1 की सफलता से भारत के निजी क्षेत्र में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ेगी जिससे निवेश में भी इजाफा होने की उम्मीद है। भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) जैसे कई संस्थानों ने भी भारत के इस ऐतिहासिक मिशन में योगदान दिया है।
भारत ने शनिवार सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत द्वारा इतिहास रचने के कुछ दिनों बाद ही आदित्य एल1 मिशन को प्रक्षेपित किया गया है। भारत चांद की सतह पर उतरने वाला चौथा और उसके दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन चुका है। आदित्य एल1 को प्रक्षेपण के करीब एक घंटा और चार मिनट के बाद यानी लगभग 12:54 बजे पृथ्वी की मध्यवर्ती कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया। यह उसकी 125 दिनों की यात्रा की ओर उठाया गया पहला कदम था।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन एस सोमनाथ ने प्रक्षेपण की सफलता की घोषणा करते हुए कहा, ‘बधाई हो, आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को कक्षा में स्थापित कर दिया गया है।’ यह भारतीय अंतरिक्ष परिवेश के लिए भी सफलता की एक अन्य कहानी होगी, जिसने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एलऐंडटी डिफेंस के प्रमुख एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष एटी रामचंदानी ने कहा, ‘हमें भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 के लिए इसरो के साथ साझेदारी करने का अवसर मिला। एलऐंडटी ने अपने इंजीनियरिंग कौशल, विनिर्माण कौशल एवं प्रशिक्षित कार्यबल के जरिये महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष ग्रेड हार्डवेयर का योगदान दिया है। हमें इसरो के साथ अपनी पांच दशक की साझेदारी पर
गर्व है।’
आदित्य एल1 मिशन का नामकरण हिंदू देवता सूर्य के नाम पर किया गया है। इसे 44.4 मीटर लंबे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) द्वारा प्रक्षेपित किया गया। पीएसएलवी अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का एक विश्वसनीय प्रक्षेपण यान है। इसरो द्वारा किए गए 91 प्रक्षेपण में से 59 में पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि इस मिशन की वास्तविक लागत का खुलासा नहीं किया गया है, मगर सरकार ने इसके लिए करीब 4.8 करोड़ डॉलर आवंटित किए हैं। यह पहला अवसर था जब पीएसएलवी के ऊपरी चरण में दो क्रम में प्रज्वलन किया गया।
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हैदराबाद की फर्म अनंत टेक्नोलॉजिज (एटीएल) ने आदित्य एल1 मिशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसे उपग्रह पणाली के डिजाइन, विकास एवं एकीकरण में व्यापक अनुभव है। एटीएल ने आदित्य एल1 के लिए कई एवियोनिक्स पैकेज तैयार करते हुए उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। इनमें ऑनबोर्ड कंप्यूटर, स्टार सेंसर, मॉड्यूलर ईईडी सिस्टम, पेलोड डीसी से डीसी कनवर्टर आदि शामिल हैं।
एटीएल ने पीएसएलवी-सी57 प्रक्षेपण यान के लिए एसएआरबी, एनजीसीपी, क्वाड एसबीयू, ट्रैकिंग ट्रांसपोंडर एवं अन्य तमाम इंटरफेस इकाइयों सहित 48 सबसिस्टम की आपूर्ति की। उसने इन उपकरणों के लिए असेंबली, एकीकरण एवं परीक्षण (एआईटी) का काम किया। पीएसएलवी-सी57 ऐसा सातवां प्रक्षेपण यान है जिसे एटीएल की टीम ने सफलतापूर्वक असेंबल किया है। कंपनी फिलहाल पांच अन्य प्रक्षेपण यान को असेंबल कर रही है।
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एटीएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुब्बा राव पवुलुरी ने कहा, ‘यह साझेदारी हमारे लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि हम अपनी तकनीकी उत्कृष्टता एवं विनिर्माण के जरिये भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में मदद कर रहे हैं।’
एमटीएआर टेक्नोलॉजिज के प्रबंध निदेशक प्रभात श्रीनिवास रेड्डी ने कहा, ‘भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में हासिल की गई जबरदस्त वृद्धि इसरो के सभी वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। एमटीएआर को इसरो के सभी प्रक्षेपण में उल्लेखनीय योगदान करने पर गर्व है। हमने मिशन के लिए उपयोग किए जाने वाले पीएसएलवी-सी57 प्रक्षेपण यान के लिए विकास इंजन, इलेक्ट्रो-न्यूमेटिक मॉड्यूल, वाल्व, सुरक्षा कप्लर्स, नोज कोन आदि प्रमुख प्रणालियों की आपूर्ति की है।’
आदित्य एल1 मिशन के साथ ही इसरो उन देशों की जमात में शामिल हो गया है जहां की अंतरिक्ष एजेंसियों ने सूर्य के अध्ययन के लिए एक अलग मिशन भेजा है। इनमें अमेरिका, जापान, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और जर्मनी शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2021 में सूर्य के करीब 75 लाख किलोमीटर दूर किसी मानव निर्मित वस्तु को भेजकर इतिहास रचा था।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) के महानिदेशक एके भट्ट ने कहा, ‘यह चंद्रयान-3 मिशन के बाद एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक प्रमुख पड़ाव है। इससे न केवल अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की क्षमताओं की पुष्टि होती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में योगदान के लिए हमारे निजी क्षेत्र की क्षमता में भरोसा पैदा होगा। इन सफलताओं से हमारी निजी अंतरिक्ष कंपनियों में निवेश के अवसर पैदा होंगे।’