भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई (आईटीआईटी बंबई) ने सोमवार को एक ऐसा टचलेस बायोमेट्रिक कैप्चर सिस्टम विकसित करने के लिए समझौता किया है जिसका उपयोग आसानी से किसी भी वक्त और कहीं से भी किया जा सके।
समझौते के तहत यूआईडीएआई और आईआईटी बंबई उंगलियों के निशान के लिए एक मोबाइल कैप्चर सिस्टम बनाने के लिए शोध करेंगे। एक बार विकसित और चालू हो जाने के बाद टचलेस बायोमेट्रिक कैप्चर सिस्टम फेस ऑथेंटिकेशन की तरह ही घर से ही फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन की अनुमति देगा। नए सिस्टम से उम्मीद की जा रही है यह एक बार में एक से अधिक अंगुलियों द्वारा सत्यापन की सफलता की दर को भी सुधारेगा।
पीआईबी ने एक बयान में कहा है कि एक बार लग जाने पर इसमें आधार में अभी मौजूद सुविधाओं से अतिरिक्त सुविधाएं मिलेंगी।
यूआईडीएआई और आईआईटी बंबई के बीच आंतरिक सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र (एनसीईटीआईएस) के सहयोग से यूआईडीएआई के लिए एक प्रणाली के अनुसंधान एवं विकास में भी संयुक्त जुड़ाव होगा।
एनसीईटीआईएस आईआईटी बंबई और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संयुक्त पहल है। यह सरकार की प्रमुख डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत है। एनसीईटीआईएस का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम तैयार करना और विनिर्माण के व्यापक क्षेत्रों में आंतरिक सुरक्षा बलों के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करना है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यूआईडीएआई अभी हर दिन करीब 7 से 8 लाख आधार ऑथेंटिकेशन दर्ज करता है। ऑथेंटिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आधार संख्या, आधार धारक की पहचान बायोमेट्रिक या जनसांख्यिकीय जानकारी के साथ मिलान के लिए यूआईडीएआई को जमा की जाती है। इसके बाद यूआईडीएआई सत्यापित करता है कि संख्या आधार धारक की जानकारी से मिलती या नहीं।
यूआईडीएआई आधार के लिए नई सुविधाओं और प्रौद्योगिकी अपनाने की शुरुआत कर रहा है। इस साल फरवरी में, यूआईडीएआई ने आधार आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण और धोखाधड़ी के प्रयासों का तेजी से पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक नया सुरक्षा तंत्र शुरू किया है।