भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा 12 इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियों को सब्सिडी वापस करने या कार्रवाई का सामना करने का नोटिस जारी करने से पैदा हुआ विवाद सुलझाने के प्रयास में सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) ने दो-आयामी समाधान मुहैया कराया है।
एमएमईवी ने सरकार से फेम-2 सब्सिडी का लाभ पाने के लिए पूर्व शर्त के रूप में 50 प्रतिशत स्थानीयकरण की समय-सीमा 2022 की तीसरी तिमाही तक आगे बढ़ाने को कहा, जो पहले 2021 थी। यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब कई कंपनियां 50 प्रतिशत स्थानीय मानक को पहले ही पार कर चुकी हैं।
इसके अलावा, उसने अनुरोध किया है कि यदि मंत्रालय चुकाई गई सब्सिडी वापस लेना चाहेगा तो उसे ऐसा करने के लिए ग्राहकों को संकेत देकर ऐसा करना चाहिए कि उन्हें उस पैसे की प्रतिपूर्ति करने की आवश्यकता हो सकती है जो कंपनियां उन्हें पहले ही दे चुकी हैं।
प्रभावित दोपहिया कंपनियों का कहना है कि वे पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रही हैं। वे अदालत आने के लिए अपना विकल्प खुला रख रही हैं, क्योंकि उन्हें बड़े वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा है और कई बड़ी कंपनियां पूंजी के अभाव में बंद हो चुकी हैं।
पहला सुझाव (यदि स्वीकार किया गया) यह सुनिश्चित करेगा कि महामारी या अन्य कारणों से पैदा हुई समस्याओं को अब उल्लंघन नहीं माना जाएगा, जिससे उन्हें सरकार को सब्सिडी लौटाने की जरूरत होगी।
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भारी उद्योग मंत्रालय में मंत्री एम एन पांडे ने अपने पत्र में कहा है कि एसएमईवी का कहना है कि एमएचआई ने ‘फेज्ड मैन्युफेक्चरिंग प्रोग्राम’ (पीएमपी) के तहत चार अवसरों पर इलेक्ट्रिक दोपहिया ओईएम को स्थानीय समय-सीमा के संबंधित में मोहलत दी और इसका मुख्य कारण यह था कि दोपहिया इलेक्ट्रिक कंपनियों के लिए जरूरी आपूर्ति श्रृंखला कोविड के गंभीर प्रभाव की वजह से स्थानीयकरण के अपेक्षित स्तर पर नहीं पहुंच पाई थी।
हालांकि 2021 में पीएमपी क्लॉज की समय-सीमा बढ़ाने के लिए कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, भले ही महामारी का प्रभाव बना हुआ था। आपूर्ति श्रृंखला 2019 की फेम-2 में ही विकसित किए जाने की संभावना थी, लेकिन इसे 2022 की तीसरी तिमाही में विकसित किया गया। हालांकि मंत्रालय ने 2021 में यात्री कारों के लिए समान स्थानीयकरण मानकों से पूरे एक साल की मोहलत दी।
एसएमईवी का यह भी कहना है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया के एक वर्ग के साथ चार अन्य कंपनियों ओला एथर, टीवीएस और हीरो मोटोकॉर्प से अलग व्यवहार किया जा रहा है। इन चारों कंपनियों को सब्सिडी योजना का लाभ लेने के लिए नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर मूल्य निर्धारण में लिप्त पाया गया
ये चारों कंपनियां सब्सिडी योजना का लाभ लेने के लिए नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर मूल्य निर्धारण करती पाई गईं, लेकिन उनकी सब्सिडी बंद नहीं की गई थीं, उनसे पिछली सब्सिडी लौटाने को भी नहीं कहा गया था।