Representative Image
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सर्ट-इन) ने ऐपल के आईफोन, मैक और आईपैड में कई कमजोरियों के बारे में चेताया है। उसने कहा कि ये कमजोरियां किसी हमलावर को ‘मनमाना कोड चलाने, ज्यादा अधिकार हासिल करने, संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने, सुरक्षा प्रतिबंधों को बायपास करने या टारगेट सिस्टम पर सर्विस में रुकावट डालने’ की अनुमति दे सकती हैं।
सर्ट-इन ने कहा कि इन कमजोरियों से ऐपल के उपयोगकर्ताओं के उपकरणों पर संवेदनशील डेटा तक अनधिकृत पहुंच का खतरा हो सकता है, सर्विस में रुकावट आ सकती है और पूरे उपकरण में सेंध लग सकती है। इनके अलावा सर्ट-इन ने यह भी चेताया कि बताई गई कमजोरियों से डेटा में हेरफेर, स्पूफिंग और टारगेट उपकरण की मेमरी खराब हो सकती है।
सर्ट-इन ने कहा कि ऐपल आईफोन के आईओएस और आईपैड ओएस के 26.2 और 18.7.3 से पहले के वर्जन, मैक ओएस टाहो, सिकोया और सोनोमा के कुछ वर्जन, ऐपल टीवी ओएस, ऐपल वॉच, विजन और सफारी के कुछ वर्जन इन कमजोरियों से प्रभावित हो सकते हैं।
ऐपल ने सर्ट-इन द्वारा बताई गई इन कमजोरियों पर स्पष्टीकरण के बारे में भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं दिया। सर्ट-इन साइबर सुरक्षा तथा डिजिटल सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों के लिए नोडल निकाय है और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत काम करती है। कुल मिलाकर साल 2025 में सर्ट-इन ने जनवरी, फरवरी, अगस्त, सितंबर और नवंबर में कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं तथा उपयोगकर्ताओं को ऐपल के आईफोन ओएस, आईपैड ओएस, मैकओएस, ऐपल टीवी और वॉच ओएस के साथ-साथ कंपनी के अन्य उपकरणों में कमजोरियों के बारे में आगाह किया है।
इस साल की शुरुआत में अप्रैल में और फिर दिसंबर में ऐपल ने दुनिया भर में अपने उपयोगकर्ताओं को, जिनमें भारत के कुछ उपयोगकर्ता भी शामिल थे, नए नोटिस भेजे। इनमें चेतावनी दी गई थी कि उन्हें ऐसे स्पाइवेयर हमलों से टारगेट बनाया जा सकता है, जो उनके उपकरणों तक रिमोट एक्सेस हासिल करना चाहते हैं।