अर्थव्यवस्था

शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 8% की बढ़ोतरी, रिफंड घटने से मिला सहारा

वित्त वर्ष 2026 में 17 दिसंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 8 प्रतिशत बढ़कर 17.04 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, हालांकि यह बजट अनुमान से कम है।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- December 20, 2025 | 8:36 AM IST

वित्त वर्ष 2026 में 17 दिसंबर तक केंद्र सरकार के शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 8 प्रतिशत वृद्धि हुई है और यह 17.04 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह संग्रह वित्त वर्ष 2026 के बजट में अनुमानित 12.6 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में कम है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से शुक्रवार को जारी अनंतिम आंकड़ों में यह सामने आया है।

पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 13.5 प्रतिशत या 46,430 करोड़ रुपये कम रिफंड के बावजूद ऐसा हुआ है। सबसे ज्यादा गैर कॉरपोरेट कर के रिफंड में गिरावट (24.2 प्रतिशत) आई है, जिसमें व्यक्तिगत आयकर शामिल है। वहीं कॉरपोरेट कर रिफंड में इस अवधि के दौरान 4.4 प्रतिशत गिरावट आई है।

सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 1 अप्रैल से 17 दिसंबर के बीच 4.16 प्रतिशत बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपये हो गया है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2026 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 25.2 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है और उसे 17 दिसंबर तक लक्ष्य का 67.6 प्रतिशत कर हासिल हुआ है। वित्त वर्ष 2025 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर 13.6 प्रतिशत बढ़कर 22.26 लाख करोड़ रुपये हो गया था, जो बजट अनुमान की तुलना में
अधिक था।

शुद्ध कॉरर्पोरेट कर संग्रह 10.5 प्रतिशत बढ़कर 8.17 लाख करोड़ रुपये हो गया। गैर कॉर्पोरेट कर संग्रह 6.4 प्रतिशत बढ़कर 8.47 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिसमें व्यक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवारों (एचयूएफ), फर्मों, व्यक्तियों के संघों (एओपी), व्यक्तियों के निकाय (बीओआई) और अन्य संस्थाओं द्वारा भुगतान किया गया कर शामिल होता है। प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) से 40,195 करोड़ रुपये आए हैं, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में मामूली (0.2 प्रतिशत) अधिक है। एसटीटी घटने से इक्विटी बाजार के सुस्त कारोबार का पता चलता है।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रोहिंटन सिधवा ने कहा कि कर रिफंड जारी करने की दर पिछले साल के आंकड़ों से बहुत नीचे है, जबकि समग्र कर संग्रह में मामूली वृद्धि हुई है। सिधवा ने कहा, ‘रिफंड में गिरावट का कारण किसी भी धोखाधड़ी वाले रिफंड दावों की अधिक जांच करना है। रिफंड को रोकने से मुकदमेबाजी तेज होने की संभावना होती है, जिसका बोझ कर विभाग को उठाना पड़ता है।’

वित्त वर्ष 2026 में 17 दिसंबर तक अग्रिम कर संग्रह में 4.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसमें अग्रिम कॉर्पोरेट कर संग्रह 7.98 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसी अवधि के दौरान गैर कॉर्पोरेट अग्रिम कर संग्रह में 6.49 प्रतिशत की गिरावट आई है।

सिधवा ने आगे कहा, ‘कुल मिलाकर कॉरपोरेट अग्रिम कर में वृद्धि अच्छी कॉरर्पोरेट आय का संकेत देती है। हालांकि, पिछले बजट में व्यक्तियों को दी गई दरों में कटौती के कारण गैर कॉर्पोरेट अग्रिम कर संग्रह में गिरावट आई है।’

सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने पिछले महीने कहा था कि वित्त वर्ष 2026 में 25.2 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य को प्राप्त करने का भरोसा है। अग्रवाल ने कहा कि विभाग ने उन मामलों की समीक्षा भी शुरू कर दी है, जहां आयकर रिफंड का गलत दावा किया गया था और जांच पूरी होने तक उसका भुगतान अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। सत्यापन का काम दिसंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। अग्रवाल ने कहा कि रिफंड में गिरावट इस साल कम रिफंड दावे दायर करने और कुछ गलत दावों के पुनर्मूल्यांकन कारण आई है।

इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि रिफंड में तेजी से वित्त वर्ष के शेष वक्त में शुद्ध गैर कॉर्पोरेट कर संग्रह की वृद्धि पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर इक्रा को वित्त वर्ष 2026 के बजट लक्ष्य 13.6 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले पीआईटी संग्रह में काफी कमी आने की उम्मीद है, जिसमें वित्त वर्ष 2025 के अनंतिम आंकड़े पर 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान शामिल है। कॉरपोरेट कर संग्रह वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान के बराबर रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2026 में कर संग्रह में होने वाली कमी की भरपाई कुछ हद तक उच्च लाभांश से हो सकती है।’

बीडीओ इंडिया के पार्टनर और लीडर, डायरेक्ट टैक्स आकाश उप्पल ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था स्थिर रहने के बावजूद प्रमुख क्षेत्रों के प्रदर्शन के आधार पर कर संग्रह की गति अलग अलग हो सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी शुल्क नीतियों और प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का इस पर खास असर रहेगा।

First Published : December 20, 2025 | 8:36 AM IST