गुरुवार को भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किए गए। | फोटो: X @narendramodi
भारत और ओमान व्यापार समझौते में सामाजिक सुरक्षा प्रावधान पर भी बातचीत करेंगे। यह प्रावधान पूरा होने की स्थिति में सामाजिक सुरक्षा के लाभ को जारी रखना तय करेगा और भारतीय श्रमिकों व नियोक्ताओं को संभावित दोहरा योगदान से बचाएगा।
भारत और ओमान ने दो साल की बातचीत के बाद 18 दिसंबर को व्यापार समझौता किया। इसे व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) के रूप में जाना जाता है। यह सौदा अगले तीन महीनों के भीतर लागू हो जाएगा। यह समझौता दोनों देशों में सीमा शुल्क और प्रक्रिया संबंधी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद लागू होगा।
ओमान ने व्यापार समझौते के एक भाग में आश्वासन दिया है कि इस पश्चिम एशिया देश में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों को केवल ओमान के नागरिकों को खास संख्या में काम पर रखने की जरूरत होगी जबकि शेष कार्यबल भारत से हो सकता है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा, ‘उन्होंने हमें यह भी आश्वासन दिया है कि भारतीय जहां भी ओमान में निवेश कर रहे हैं… वे ओमान के निवासियों के अलावा… 100 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों को अनुमति देंगे। इसलिए थोड़े से कर्मचारी ओमान के होंगे, बाकी सभी भारतीय हो सकते हैं।’
मंत्री ने कहा, ‘इसलिए हमें (भारतीय फर्मों को) विविध राष्ट्रीयताओं की आवश्यकता नहीं होगी या अन्य देशों के नागरिकों को लेने की जरूरत नहीं होगी। हमारा निवेश हमारे लोगों को नौकरी प्रदान करेगा। यह कुछ ऐसा है जो उन्होंने पहली बार किया है। यह स्थायी सुविधा होगी, भले ही वे वहां अपने कानूनों में बदलाव करें, यह एफटीए में निहित रहेगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि बाध्यकारी प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप भारत और ओमान के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
इसमझौते के तहत यदि ओमान बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल सहित किसी अन्य सार्क देशों को अपनी ओमानाइजेशन नीति के संबंध में अधिक उदार शर्तें प्रदान करता है तो भारत को भी इसी तरह की रियायतें देनी होंगी। इस नीति का उद्देश्य निजी क्षेत्र में अपने नागरिकों के रोजगार को बढ़ावा देना और विदेशी श्रमिकों को बदलना है।