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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि समग्र और मुख्य महंगाई दर उम्मीद के मुताबिक होने से वास्तविक ब्याज दर में कटौती का अवसर बनता है। दिसंबर में हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती के समर्थन के दौरान उन्होंने यह तर्क देते हुए कहा कि इस कटौती से मांग बढ़ सकती है और वृद्धि को समर्थन मिलने की संभावना है। रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी बैठक के ब्योरे से यह जानकारी सामने आई है।
इसके अलावा मल्होत्रा ने कहा कि कुल मिलाकर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है, जो पहले के 6.5 प्रतिशत अनुमान की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि बाहरी मोर्चे पर उपजी चिंता पर मजबूत घरेलू वृद्धि भारी पड़ी है। मल्होत्रा ने कहा, ‘पहली छमाही में घरेलू वृद्धि दर मजबूत रही है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर को तार्किक बनाए जाने, मौद्रिक नीति सुगम बनाए जाने, अनुकूल वित्तीय स्थितियां और महंगाई दर में कमी का सकारात्मक असर पड़ा है।’ उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत रही हैं, लेकिन कुछ उच्च संकेतकों में कमजोरियां भी रही हैं, जिसकी वजह से पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में वृद्धि की गति कमजोर रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना है, जो साल की शुरुआत की हमारी 6.5 प्रतिशत वृद्धि की अपेक्षाओं से बहुत ऊपर है। घरेलू स्थिति की मजबूती बाहरी मोर्चे पर उपजी चिंताओं को पीछे छोड़ रही है। आगे की स्थिति देखें तो अगले साल पहली छमाही में घरेलू वृद्धि दर मजबूत बने रहने की संभावना है, हालांकि यह थोड़ी कम रहकर 6.7 से 6.8 प्रतिशत रह सकती है।’ कम महंगाई दर और स्थिर वृ़द्धि को देखते हुए एमपीसी के सदस्यों ने कहा कि नीतिगत स्थितियां अर्थव्यवस्था को समर्थन करने के लिए जगह दे रही हैं। उसके बाद समिति ने एक स्वर में रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती कर इसे 5.25 प्रतिशत किए जाने के साथ तटस्थ रुख का समर्थन किया। हालांकि बाहरी सदस्य राम सिंह ने तर्क दिया कि रुख को बदलकर समावेशी किया जाना चाहिए। सिंह ने कहा कि महंगाई दर के आंकड़े खुद ही दर में एक अतिरिक्त कटौती की संभावना पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘दर में कटौती में देरी से वास्तविक जीडीपी की वृद्धि को नुकसान होगा, क्योंकि वास्तविक ब्याज दरें अनावश्यक रूप से विकास को समर्थन देने के स्तर से ऊपर रहेंगी।’
समग्र और मुख्य महंगाई दर दोनों ही 2026-27 की पहली छमाही में 4 प्रतिशत लक्ष्य के करीब रहने का अनुमान है। इसकी वजह से कीमती धातुओं में आई तेजी के दबाव का समायोजन हो जाएगा।
रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने भी 25 आधार अंक कटौती के लिए मतदान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान चक्र के दौरान कुल मिलाकर 125 आधार अंक की कटौती से कीमतों में तेजी का जोखिम नहीं है। उन्होंने कहा कि न केवल समग्र और मुख्य महंगाई दर, बल्कि अधिकांश अन्य सामान्य संकेतक भी उन स्तरों पर हैं, जिससे महंगाई में किसी अप्रत्याशित वृद्धि के संकेत नहीं मिलते हैं। इसके बजाय आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि अर्थव्यवस्था में कुछ सुस्ती अभी भी बनी हुई है।
इस बीच बाहरी सदस्य नागेश कुमार ने कहा कि इस समय महंगाई दर बहुत कम है। यह महंगाई को लक्षित करने वाले ढांचे की निचली सीमा से कम हो गई है और सोने जैसी कीमती धातुओं का असर नहीं है। उन्होंने कहा कि लगातार कम महंगाई दर भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर नहीं है, क्योंकि इससे कमजोर मांग के संकेत मिलते हैं।
बाहरी सदस्य सौगात भट्टाचार्य ने कहा कि जबकि समग्र वित्तीय स्थितियां समावेशी बनी हुई हैं, वर्तमान वास्तविक नीतिगत दर कुछ हद तक वृहद आर्थिक स्थिति की तुलना में सख्त हो सकती हैं। घरेलू बचत और बैंक जमा जुटाने पर कम ब्याज दरों के संभावित प्रभाव के बावजूद वृद्धि को समर्थन का रुख होना चाहिए। रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक इंद्रनील भट्टाचार्य ने कहा कि तटस्थ रुख, कम महंगाई वभविष्य में कम महंगाई की संभावना को देखते नीतिगत दर में कमी करने का औचित्य है।