प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन का कहना है कि जो नौकरियां मुख्य रूप से संज्ञानात्मक कौशल पर निर्भर हैं, उनके आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) से प्रतिस्थापित होने का खतरा सबसे अधिक है। ऐसे में दफ्तरी कामकाज करने वाले कर्मचारियों के रोजगार छिनने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को यकीन है कि एआई के कारण नए क्षेत्रों में नए किस्म के रोजगार के अवसर भी तेजी से तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि इसमें से काफी कुछ कौशल को नए ढंग से सीखने, उन्नत करने और प्रतिभा विकास कार्यक्रमों की मदद से होगा जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान भी शामिल है।
फिक्की के छठे ऑल इंडिया कॉन्क्लेव में कृष्णन ने कहा कि कई कंपनियों के मन में यह आकर्षण उत्पन्न हो सकता है कि वे तात्कालिक लाभ लेने का प्रयास करें और एआई के कारण उत्पन्न होने वाले दीर्घकालिक मुद्दों पर ध्यान न दें। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को दोनों पक्षों पर ध्यान देना होगा।
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम रोजगार को होने वाली क्षति को लेकर चिंतित नहीं हैं लेकिन हम मानते हैं कि नए क्षेत्रों में नए तरह के रोजगार तैयार करने के अवसर भी बहुत अधिक हैं। ऐसा प्रमुख तौर पर पुनर्कौशल, कौशल उन्नयन और प्रतिभा विकास के जरिय किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि सरकार एआई के क्षेत्र में नवाचार के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त नियामकीय ढांचे के जरिये सहायता प्रदान करेगी।
कृष्णन ने कहा, ‘हमारा मुख्य ध्यान इस बात पर है कि इस क्षेत्र में नवाचार को कोई क्षति न पहुंचे। नवाचार ही प्राथमिक उद्देश्य है।’ उन्होंने यह भी कहा कि संभावित हानियों से निपटने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त हैं और अत्यधिक नए विनियमन की आवश्यकता नहीं है।
कृष्णन ने कहा कि भारत की एआई यात्रा भौगोलिक सीमाओं से परे महत्व रखती है और इस तकनीक में समग्र प्रगति ‘जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर’ है, विशेषकर दुनिया के गरीब देशों के लिए। कृष्णन ने कहा कि एआई विकासशील देशों को वह गति प्रदान कर सकता है जिसकी उन्हें ‘विकसित राष्ट्र बनने’ के लिए जरूरत है।