उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करने वाली अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक ने भारत में अपनी सेवाओं के लिए कीमत तय कर दी है। कंपनी रिहायशी परिसरों में अपनी सेवाओं के लिए 8,600 रुपये प्रति माह और आवश्यक उपकरण स्थापित करने के लिए एकमुश्त 34,000 रुपये का शुल्क वसूलेगी। इसके तहत उपयोगकर्ताओं को असीमित डेटा, 99.9 फीसदी अपटाइम अथवा नेटवर्क की सुनिश्चित उपलब्धता और 30 दिनों का ट्रायल पीरियड मिलेगा।
ईलॉन मस्क के नेतृत्व वाली कंपनी ने अभी तक कारोबारी अथवा एंटरप्राइज उपयोगकर्ताओं के लिए कीमतों की घोषणा नहीं की है। मगर कंपनी की वेबसाइट पर बताया गया शुल्क रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, बीएसएनएल और एसीटी सहित मौजूदा ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं के शुरुआती शुल्कों के मुकाबले करीब दस गुना और औसत ब्रॉडबैंड प्लान के मुकाबले पांच गुना अधिक है।
जानकारों ने बताया कि बांग्लादेश जैसे बाजारों के लिए यह शुल्क काफी अधिक है। वहां मासिक सबस्क्रिप्शन 40 से 50 डॉलर यानी 3,400 से 4,300 रुपये है और उपकरण की कीमत 300 से 400 डॉलर यानी 25,800 से 34,400 रुपये के बीच है।
मगर स्टारलिंक का प्लान श्रीलंका के मुकाबले सस्ता है। स्टारलिंक की वेबसाइट के अनुसार, श्रीलंका में मासिक सबस्क्रिप्शन 100 से 125 डॉलर यानी 8,600 से 10,750 रुपये है और उपकरण की कीमत 900 से 1,000 डॉलर यानी 77,400 से 86,000 रुपये के बीच है। डाउनलोड स्पीड 190 से 360 एमबीपीएस के बीच है।
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत के लिए बताई गई कीमतों पर स्टारलिंक यहां रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की ब्रॉडबैंड सेवाओं से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएगी। यहां अधिकतम शुल्क 2,500 रुपये से 3,500 रुपये तक हो सकता है, मगर उसमें आईपीटीवी और ओटीटी स्ट्रीमिंग ऐप के प्लान भी शामिल होंगे।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के उपाध्यक्ष और सह-समूह प्रमुख अंकित जैन ने कहा, ‘स्टारलिंक द्वारा घोषित प्लान फाइबर या कॉपर पर दी जा रही वायर्ड कनेक्शन के मुकाबले काफी अधिक है। भारत जैसे कीमत के प्रति संवेदनशील बाजार में इस तरह के प्लान को शायद ही कोई स्वीकार करेगा।’
एक वैश्विक सलाहकार फर्म के क्षेत्र विशेषज्ञ ने कहा कि प्रतिस्पर्धा का प्रभाव संभवत: आम लोगों के बाजार में महसूस नहीं किया जाएगा। यह सेवा दूरदराज के इलाकों और खनन, ऊर्जा, समुद्री एवं रक्षा जैसे एंटरप्राइज श्रेणी के उपयोग मामलों में तेजी लाएगी। इस उद्योग पर नजर रखने वाले एक अन्य व्यक्ति ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि ग्राहकों की भुगतान करने की प्रवृत्ति ही कीमत तय करेगी।
उन्होंने कहा, ‘अगर बाजार इस शुल्क को स्वीकार करता है तो इससे होम ब्रॉडबैंड के टैरिफ में उम्मीद से ज्यादा तेज वृद्धि हो सकती है।’
मस्क ने 30 नवंबर को जिरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत से बातचीत में कहा था कि स्टारलिंक मौजूदा दूरसंचार कंपनियों के लिए पूरक होगी क्योंकि पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद उपग्रहों के उसके नेटवर्क के लिए घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सेवा देना संभव नहीं है। इससे ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों को अधिक लाभ होगा।
एयरटेल और जियो ने स्टारलिंक की मूल कंपनी स्पेसएक्स के साथ वितरण करार किया है। इसके तहत कंपनी अपने खुदरा नेटवर्क के जरिये ग्राहकों को स्टारलिंक की सेवा उपलब्ध कराएगी।