एक हालिया सर्वे, जो ग्लोबल जॉब साइट Indeed द्वारा किया गया, ने एक दिलचस्प रुझान दिखाया। इसमें पाया गया कि भारत में अब कंपनियां कर्मचारियों को नौकरी देने के तरीके में बदलाव कर रही हैं। अब वे औपचारिक डिग्री से ज्यादा स्किल्स और अनुभव को महत्व दे रही हैं।
सर्वे के अनुसार, 80% एम्प्लॉयर्स अब स्किल्स को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो यह दिखाता है कि इंडस्ट्री में प्रैक्टिकल एक्सपर्टीज पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। वहीं, जो कंपनियां अभी तक इस तरीके को नहीं अपना पाई हैं, उनमें से 82% जल्द ही ऐसा करने की योजना बना रही हैं। डिजिटल बदलाव और उद्योग की बदलती जरूरतों को देखते हुए, अब कंपनियां स्किल-बेस्ड हायरिंग को रणनीतिक रूप से अपना रही हैं।
तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में यह बदलाव सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। यहां कंपनियां ऐसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही हैं, जिनके पास हैंड्स-ऑन अनुभव हो, न कि सिर्फ डिग्री।
भारत में हर साल 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट निकलते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम को नौकरी मिल पाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 10% ग्रेजुएट्स को ही जॉब मिलती है। इसलिए, यह बदलाव भारतीय नौकरी बाजार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
AI के आने से यह बदलाव और तेज हो गया है। टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है, लेकिन डिग्री वाले कोर्स का सिलेबस सालों तक नहीं बदलता, जिससे यह इंडस्ट्री की जरूरतों से मेल नहीं खाता। Cognizant के CEO रवि कुमार के अनुसार, अब सिर्फ डिग्री लेना पर्याप्त नहीं है, बल्कि अलग-अलग सर्टिफिकेशन कोर्स करना ज्यादा जरूरी हो गया है। उनका मानना है कि लोग अब एप्रेंटिसशिप लेकर काम के दौरान ही सीख सकते हैं।
Indeed इंडिया के रोहन सिल्वेस्टर का कहना है कि अब सिर्फ डिग्री से कुछ नहीं होता, कंपनियों को ऐसे लोग चाहिए जो तेजी से सीख सकें, समस्याएं हल कर सकें और अपनी स्किल्स को असली दुनिया में लागू कर सकें।
Infosys के वाइस प्रेसिडेंट थिरुमला आरोही कहते हैं कि डिग्री भी जरूरी है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि डिग्री कोर्स में स्किल्स कैसे जोड़ी जाएं।
इस बदलाव को एडटेक कंपनियां भी महसूस कर रही हैं। Udemy और Coursera जैसी कंपनियों के अनुसार, अब बहुत से छात्र और पेशेवर माइक्रो-क्रेडेंशियल (छोटे प्रमाणपत्र कोर्स) कर रहे हैं ताकि वे नए स्किल्स सीख सकें। IIT गुवाहाटी में 30% छात्र AI और डेटा साइंस जैसे विषयों में अतिरिक्त कोर्स कर रहे हैं ताकि वे बाजार की जरूरतों के अनुसार खुद को तैयार कर सकें।