फेम-2 योजना के तहत हाल में हुई चूक को देखते हुए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की औचक जांच शुरू करने पर विचार कर रही है। सरकार से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड ऐंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) 2 योजना के तहत यह जांच औचक (रैंडम) तरीके से ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन आफ इंडिया (ARAI) द्वारा की जाएगी।
सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की दो प्रमुख कंपनियों हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा ऑटोटेक के खिलाफ की गई हाल की कार्रवाई के बाद इस पर विचार किया जा रहा है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ARAI बाजार से औचक तरीके से किसी वाहन को चुनेगा और उसकी जांच करेगा कि वे जरूरी दिशानिर्देशों के मुताबिक हैं या नहीं। अगर कोई उल्लंघन पाया जाता है तो मंत्रालय उसी तरह की कार्रवाई करेगा, जैसा कि स्थानीयकरण और एक्स फैक्टरी मूल्य के चूककर्ताओ के मामले में किया गया है।’
भारी उद्योग मंत्रालय ने हाल में हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा ऑटोटेक को रिकवरी नोटिस भेजा है, जिन्होंने स्थानीयकरण के मानकों का उल्लंघन किया है। दोनों कंपनियों को सरकार की महत्त्वाकांक्षी सब्सिडी योजना से भी हटा दिया गया है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चल रही है।
भारत में ईवी को बढ़ावा देने के लिए फेम योजना पेश की गई है। फेम-2 ईवी की स्वीकार्यता बढ़ाने में सफल रही है, वहीं स्थानीयकरण की नीति और फैक्टरी मूल्य मानक का उल्लंघन करके फंड के दुरुपयोग के भी आरोप लगे। इससे योजना की अवधारणा को नुकसान पहुंचा है।
इस समय कंपनियों का अनुपालन बोझ कम करने और कारोबार सुगमता को प्रोत्साहित करने के लिए सालाना जांच की जाती है। जांच एजेंसियां आईएआरआई और आईसीएटी इस समय फेम इंडिया फेज-2 की पात्रता के लिए प्रमाणपत्र जारी के पहले सालाना जांच करती हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कंपनियों को हर साल खुद खुलासा करने का अवसर दिया जाता है। यह अनुपालन बोझ कम करने और कारोबार सुगमता को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया था। हाल में हुए घटनाक्रम के कारण हम अब बेतरतीब जांच शुरू करेंगे।’
फेम योजना के तहत सब्सिडी की पात्रता की शर्तें तय की गई हैं। इसके लिए ईवी में स्थानीय स्तर पर बने हुए 50 प्रतिशत कल पुर्जे इस्तेमाल करने होते हैं।
स्थानीकरण के मानक का पालन न करने को लेकर कंपनियों के खिलाफ मिली शिकायत के आधार पर मंत्रालय ने सितंबर में ऑडिट पूरी होने तक के लिए एक दर्जन मूल कल-पुर्जा विनिर्माताओं के दावों को रोक दिया।
पीएमपी दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर अपनी रिपोर्ट में मंत्रालय ने कहा कि हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा आयातित पुर्जों का इस्तेमाल कर रही हैं, वहीं ओकाया ईवी और काइनेटिक ग्रीन को मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी थी।
उद्योग संगठन सोसाइटी आफ मैन्युफैक्चरर्स आफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) के मुताबिक सितंबर 2022 से 1,200 करोड़ रुपये के दावे रोके गए हैं।
सरकार ने फरवरी में इलेक्ट्रिक दोपहिया बनाने वाली 4 कंपनियों ओला इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी, टीवीएस और हीरो मोटोकॉर्प की विदा के खिलाफ भी जांच शुरू की है। यह जांच एक्स फैक्टरी मूल्य के उल्लंघन को लेकर हो रही है। सब्सिडी की पात्रता के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमत 1.5 लाख रुपये के भीतर होनी चाहिए। लेकिन कंपनियां कृत्रिम रूप से ईवी की एक्स फैक्टरी मूल्य कम दिखा रही थीं और चार्जर व सॉफ्टवेयर अलग से बेच रही थीं। अब एक दर्जन से ज्यादा कंपनियां जांच के दायरे में हैं, जिन्होंने इस तरह की गड़बड़ियां की हैं।
बहरहाल जब मंत्रालय ने जांच शुरू की तो सभी 4 कंपनियों ने सरकार के निर्देशों का पालन करने की प्रतिबद्धता जताई और स्कूटर के एक्स फैक्टरी मूल्य के अतिरिक्त चार्जर की वसूली कीमत ग्राहकों को वापस करने को लेकर सहमति जताई। कंपनियां कुल 287 करोड़ रुपये ग्राहकों को लौटाएंगी।