इस साल नवंबर में यात्री वाहनों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है। इक्विरस सिक्योरिटीज और फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के आंकड़ों से इसका पता चलता है। जीएसटी 2.0 यानी कर दरों में कटौती से कीमतें घटने और पेट्रोल गाड़ियों के प्रति उपभोक्ताओं की पसंद में पक्के बदलाव का असर हुआ और इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ में नरमी आई।
इक्विरस ने अपने हालिया ईंधन के हिसाब से बताए मासिक खुदरा ट्रैकर में कहा है कि नवंबर में यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री एक साल पहले के मुकाबले करीब 20 फीसदी बढ़ी है। इसे किफायती होने, बढ़िया मॉडलों की मौजूदगी और त्योहारी सीजन की बची हुई मांग से बल मिला है, जो पहले आपूर्ति संबंधी समस्याओं के कारण आंशिक तौर पर तंग थी।
मगर इलेक्ट्रिक कारों की पैठ 3.7 फीसदी रही जो माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती पहले करीब 5 फीसदी के स्तर पर थी। इससे पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों की ओर मांग के झुकाव का पता चलता है।
यह रुझान खासतौर पर लग्जरी कारों की श्रेणी में दिख रहा है। पिछले साल यानी 2024 के मुकाबले 2025 में लग्जरी बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच ज्यादा होने के बावजूद मर्सिडीज बेंज इंडिया ने कहा कि जीएसटी 2.0 के बाद सितंबर-नवंबर की अवधि में कुल मिलाकर उद्योग में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन 16 से घटकर 12 फीसदी रह गए हैं। यह गिरावट इन तीन महीनों में भी जारी रही है, जिससे यह साफ होता है कि कर कटौती ने खरीदारों को पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों की ओर मोड़ दिया है।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी संतोष अय्यर ने कहा कि जीएसटी में बदलाव के बाद से ब्रांड ने ग्राहकों की पसंद में संरचनात्मक बदलाव देखा है। अय्यर ने कहा, ‘लक्जरी उद्योग में कुल बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ कम होने के बावजूद जीएसटी 2.0 की घोषणाओं के बाद मर्सिडीज-बेंज ने पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों की ओर लगातार रुझान देखा है।’