EV Investment: देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) का चलन बढ़ रहा है। जिससे अगले कुछ वर्षों में ईवी उद्योग में बड़ा निवेश होने की संभावना है। सबसे अधिक निवेश बैटरी बनाने में हो सकता है। सरकार ने 2030 तक कुल वाहनों में ईवी की हिस्सेदारी 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है, जबकि इस समय यह आंकड़ा 8 फीसदी के करीब है। लक्ष्य को हासिल करने के लिए ईवी वाहनों की बिक्री सालाना औसतन 6 गुना बढ़ने की आवश्यकता है।
संपत्ति सलाहकार फर्म कॉलियर्स के अनुसार, भारत में (ईवी) और सहायक उद्योगों (ancillary industries) के विकास के लिए अगले 5 से 6 वर्षों में लगभग 40 अरब डॉलर के निवेश की परिकल्पना की गई है। इसमें सबसे अधिक 27 अरब डॉलर निवेश लीथियम-आयन बैटरी बनाने में करने की जरूरत है, जो निवेश का 67 फीसदी हिस्सा है। इसके बाद 23 फीसदी हिस्सेदारी के साथ 9 अरब डॉलर निवेश ईवी और मूल उपकरण (Original Equipment) निर्माण के लिए जरूरी है।
ईवी और सहायक उद्योगों के विकास के लिए 2030 तक 13,000 एकड़ जमीन की भी जरूरत हो सकती है। इसके साथ ही ईवी के लिए चार्जिंग जैसे बुनियादी ढांचे की बढ़ती आवश्यकता 2030 तक 450 लाख वर्ग फुट से अधिक की रियल एस्टेट मांग पैदा कर सकती है।
इस समय देश में कुल वाहनों की संख्या में ईवी की कुल हिस्सेदारी करीब 8 फीसदी है। इसे 2030 तक बढ़ाकर 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे हासिल करने के लिए ईवी वाहनों की बिक्री में सालाना औसतन 6 गुना वृद्धि होने की आवश्यकता है। इस साल 20 लाख ईवी वाहन बिकने का अनुमान है, जबकि 2025 से 2030 के बीच सालाना औसतन 126 लाख ईवी वाहन बिकने की आवश्यकता है। इस समय ईवी वाहनों में सबसे अधिक हिस्सेदारी 3 पहिया वाहनों की करीब 55 फीसदी है। इसे 2030 तक बढ़ाकर 80 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे हासिल करने सालाना औसतन इन वाहनों की बिक्री में 6 गुना वृद्धि होनी चाहिए।
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दो पहिया वाहनों की मौजूदा 6 फीसदी हिस्सेदारी को 80 फीसदी करने के लिए 2025 से 30 के बीच सालाना औसत 73 लाख वाहनों की बिक्री के साथ 6 गुना वृद्धि की जरूरत है। इसी तरह इस अवधि में 4 पहिया वाहनों की मौजूदा 3 फीसदी हिस्सेदारी को 30 फीसदी करने के लिए 9 गुना वृद्धि के साथ सालाना औसतन 9 लाख ईवी सालाना बिकने चाहिए, जबकि भारी वाहनों की मौजूदा 3 फीसदी हिस्सेदारी को 40 फीसदी करने के लिए इस अवधि में सालाना 4 गुना वृद्धि के साथ हर साल 40 हजार भारी ईवी बिकने चाहिए।
कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बादल याग्निक ने कहा कि हाल के वर्षों में ईवी की मांग बढ़ी है। लेकिन 2030 तक 30 फीसदी हिस्सेदारी करने का लक्ष्य एक कठिन काम लगता है। मांग और आपूर्ति प्रोत्साहन ईवी को तेजी से अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। लेकिन उत्पादन लागत में कमी और इनकी कीमतों में सुधार से ईवी बिक्री में कई गुना वृद्धि हो सकती है। इसके अतिरिक्त उच्च क्षमता वाली मूल उपकरण निर्माण इकाइयां और लिथियम-आयन बैटरी वेरिएंट का बड़े पैमाने पर उत्पादन प्राथमिकता में होना चाहिए।