मारुति सुजूकी इंडिया (MSIL) वर्ष 2030 तक छह इलेक्ट्रिक वाहन (EV) लाने की योजना बना रही है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
एबीपी के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि अधिग्रहण की लागत भारत में ईवी अपनाने में बाधा डालने वाले प्रमुख कारकों में से एक है।
उन्होंने कहा कि अगर कोई सामान्य कार 100 रुपये की होती है, तो बैटरियों के अधिक दामों की वजह से ईवी 160 रुपये की होती है। मारुति सुजूकी बैटरी की लागत कम करने की कोशिश कर रही है।
इसके अलावा वर्ष 2030 तक हमारे पास विभिन्न श्रेणियों में छह ईवी होंगे। हमारा अनुमान है कि यह बाजार, जो आज एक प्रतिशत है, वर्ष 2024-25 में लगभग तीन प्रतिशत होगा और वर्ष 2030 में लगभग 17 प्रतिशत हो जाएगा, जिसका मतलब यह है कि वर्ष 2030 में लगभग 60 लाख कारों में से दस लाख ईवी होंगी।
श्रीवास्तव ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि बेहतर बनने की कोशिश का रवैया भी ऐसा कुछ है, जो हमने काइजन की जापानी प्रणाली से सीखा है, जिसमें आपको लगातार सुधार करना होता है और प्रतिस्पर्धा एक तरह से काइजन तथा लगातार सुधार करने की इच्छा में मदद करती है। इसलिए हम प्रतिस्पर्धा का स्वागत करते हैं। सुजूकी के पास सबसे बड़ी ताकत उसकी बाजार हिस्सेदारी है और हम अपने एसयूवी क्षेत्र को मजबूत करने की उम्मीद कर रहे हैं।
वृद्धि और बाजार की मांग के संबंध में श्रीवास्तव ने कहा कि सुजूकी मोटर कॉर्पोरेशन के संपूर्ण वॉल्यूम में मारुति का योगदान 60 प्रतिशत है। यह भारत की एक बड़ी उपलब्धि है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी को दर्शाता है। हमारा जनसांख्यिकीय बहुत युवा है। खपत के मामले में हम उम्मीद करते हैं कि भारत में कार की खपत में इजाफा जारी रहेगा।