वर्ष 2024 में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की चमक बढ़ेगी और भारत इस नई तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी आर्थिक विकास को नई धार दे सकता है। ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड मंथन’ कार्यक्रम में एआई के बढ़ते प्रभाव पर आयोजित एक परिचर्चा में तकनीक जगत के विशेषज्ञों ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भारत इस समय आर्थिक-सामाजिक स्तर पर एक बड़े बदलाव के लिए तरह तैयार है। यह एआई की खूबियों का लाभ उठाकर अपनी अर्थव्यवस्था को नया जोश दे सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की प्रबंध निदेशक (एमडी) ईरीना घोष ने कहा कि एआई वर्ष 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 400-500 अरब रुपये का इजाफा कर सकता है। घोष ने कहा कि यह केवल अनुमान या किताबी बात नहीं है बल्कि तथ्यों पर आधारित है। घोष ने कहा कि लगभग 70 प्रतिशत संगठन एआई अपनाने की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं और प्रत्येक डॉलर निवेश पर उन्हें 3.5 गुना फायदा मिल रहा है।
आईबीएम इंडिया में शोध प्रमुख अमित सिंघी ने कहा कि अब शोध तकनीक में नवाचार सार्वजनिक स्तर पर सभी के सहयोग से होने लगे हैं। सिंघी ने कहा कि तकनीक नवाचार अब केवल प्रयोगशालाओं तक सिमट कर नहीं रह गए हैं। इस नए बदलाव से उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक क्षेत्र में तेज बदलाव हो रहे हैं जिनके साथ कदमताल मिलाने के लिए उपभोक्ताओं को स्वयं अपने स्तर पर तकनीकी विशेषज्ञता विकसित करनी होगी।
कृत्रिम में रणनीति प्रमुख रवि जैन ने कहा कि जहां तक एआई की बात है तो भारत के लिए इसमें निवेश करने के लिए समय माकूल है। जैन ने कहा कि भारत को अपनी एआई तकनीक विकसित करने के लिए निवेश करने की जरूरत है। सभी भारतीयों की एआई तक पहुंचने का खाका सुझाया। जैन ने कहा, ‘हम दूसरे देशों की तकनीकों का सहारा लेकर विकसित राष्ट्र नहीं बन सकते।’
मैकिंजी में पार्टनर अंकुर पुरी ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए। पुरी ने कहा कि एआई सभी क्षेत्रों में नए अवसर पैदा कर रहा है और इसकी खूबियों का लाभ सभी को मिल रहा है। पुरी ने एक जवाबदेह एआई तकनीक सुनिश्चित करने के लिए तीन जरूरी कदमों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि एआई तकनीक का सुरक्षित इस्तेमाल हो इसके लिए प्रबंधन स्तर पर बैठे लोगों को सजग होना पड़ेगा।
आईआईटी मद्रास में एआई प्रमुख बलरामन रवींद्रन ने देश के प्रमुख क्षेत्रों में हुनरमंद लोगों की कमी दूर करने में एआई की भूमिका का जिक्र किया। हालांकि रवींद्रन ने यह भी कहा इस समय अत्याधुनिक एआई प्रणाली का इस्तेमाल करना खासा महंगा है जो भारत में इसके व्यापक स्तर पर इस्तेमाल में एक बड़ी बाधा है।
रवींद्रन ने कहा कि कुछ कंपनियों ने ग्राहक सेवाओं के लिए एआई का इस्तेमाल शुरू किया था मगर बाद में उन्हें पीछे हटना पड़ा क्योंकि यह तकनीक उनके लिए काफी महंगी साबित हो रही थी। उन्होंने कहा, ‘इस समय जिन स्तरों पर एआई तकनीक काम कर रही है उसे देखते हुए पूरे देश में इसका विस्तार संभव नहीं है। यह काफी महंगी तकनीक है।’
अपने-अपने क्षेत्रों के इन माहिर विशेषज्ञों ने एआई लेकर एक व्यापक नजरिया अपनाने की जरूरत बताई। उन्होंने शिक्षा, सुरक्षा और सामुदायिक स्तर पर अपनाए जाने वाले मानकों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में भारत सहित दुनिया में एआई का इस्तेमाल बढ़ेगा जिसे देखते हुए आने वाली पीढ़ियों को आवश्यक हुनर से लैस करना होगा।