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ई-वाहन लक्ष्य के लिए बड़े निवेश की दरकार

Last Updated- December 14, 2022 | 8:26 PM IST

भारत अगर इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) 2030 के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करता है तो उसका ईवी बाजार करीब 14.42 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। हालांकि, इसके लिए उसे लगभग 12.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। एक अध्ययन में यह कहा गया है।
सीईईडब्ल्यू सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (सीईईडब्ल्यू-सीईएफ) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, मार्च 2020 के अंत तक भारत में पंजीकृत ईवी की कुल संख्या केवल पांच लाख थी। अध्ययन के अनुसार, सभी वाहन श्रेणियों में कुल ईवी बिक्री 2030 तक 10 करोड़ से अधिक हो सकती है, जो बाजार के मौजूदा आकार का 200 गुना होगी।
अध्ययन में कहा गया है कि भारत की ईवी महत्वाकांक्षा को साकार करने के लिए वित्त वर्ष 2030 तक 158 गीगावॉट की अनुमानित वार्षिक बैटरी क्षमता की आवश्यकता होगी। इससे घरेलू निर्माताओं के लिए बड़े पैमाने पर बाजार में अवसर उपलब्ध होंगे। अध्ययन में नीति आयोग के लक्ष्य का हवाला देते हुए कहा गया कि भारत के ईवी 2030 लक्ष्य के अनुसार, 2030 तक सभी वाणिज्यिक कारों की 70 फीसदी, निजी कारों की 30 फीसदी, बसों की 40 फीसदीऔर दोपहिया व तिपहिया वाहनों की 80 फीसदी बिक्री ईवी की होगी। अध्ययन में कहा गया है, अगर भारत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) 2030 के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करता है तो इससे देश का ईवी बाजार करीब 14.42 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ के वरिष्ठ विश्लेषक वैभव प्रताप सिंह ने कहा, मूल उपकरण निर्माता (ओईएम), बैटरी निर्माताओं, चार्ज पॉइंट ऑपरेटरों और अंतिम छोर के उपभोक्ताओं के लिए पूंजी की उपलब्धता और किफायती कीमत महत्वपूर्ण होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लगातार नीतिगत समर्थन भी महत्त्वपूर्ण होगा। वैभव प्रताप सिंह इस अध्ययन के मुख्य लेखक भी हैं।
अध्ययन में कहा गया कि भारत को वित्त वर्ष 2030 तक घरों में स्थित निजी चार्जिंग पॉइंट के अतिरिक्त 29 लाख से अधिक सार्वजनिक चार्जिंग पॉइंट की जरूरत होगी।

First Published - December 8, 2020 | 11:48 PM IST

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