फिक्की ने लगाया 9.1 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान
उद्योग मंडल फिक्की ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.1 प्रतिशत की दर से बढऩे की उम्मीद है। फिक्की ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के बाद अब आर्थिक सुधार अपनी पकड़ मजबूत करता दिखाई दे रहा है। फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में […]
वैश्विक राजनीति में अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी का टकराव
करीब 30 वर्ष पहले जब हमारे देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई, तब हमें अच्छी तरह पता था कि आर्थिक सुधारों की गति तेज होने का पर्यावरण पर विपरीत असर होगा। वृद्धि के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल तेज होगा और हमारी हवा तथा जल संरचनाओं में प्रदूषण बढ़ेगा। हम इस तथ्य से […]
महंगाई के अनुमान में बढ़ोतरी, वृद्घि के आंकड़े में नरमी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मुद्रास्फीति और वृद्घि से संबंधित अनुमानों के विश्लेषण से पता चलता है कि आर्थिक सुधार का चरण वृद्घि की धीमी गति से प्रभावित हो सकता है और इसकी वजह से कीमती उत्पादों और सेवाओं के साथ साथ आय में कमजोरी को बढ़ावा मिल सकता है। वर्ष 2021-11 के लिए एमपीसी […]
जुलाई माह में रोजगार में बेहतरी के संकेत
भारत में कोविड-19 के झटकों के बाद आर्थिक सुधार की प्रक्रिया अंग्रेजी के वी अक्षर की आकृति में हो रही है, यानी तेज गिरावट के बाद तेज सुधार। सुधार की गति तेज है लेकिन वह पूरी होने के पहले ही सिमट जाती है। ऐसा हर झटका लेनदेन की कुछ लागत छोड़ जाता है। ऐसे में […]
बाजार पर कोरोना की तीसरी लहर का नहीं डर
बीएस बातचीत किमेंग सिक्योरिटीज इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी जिगर शाह ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि आर्थिक सुधार की गति तेजी हुई है और प्रमुख सूचकांकों ने नई ऊंचाइयों को छुआ है, लेकिन निर्यात-केंद्रित, दूरसंचार और कंज्यूमर स्टैपल्स क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन के साथ जून तिमाही की आय मिश्रित रहेगी। उनका […]
बदलाव के मुहाने पर खड़ा प्रतिभूति बाजार
तीस साल पहले जुलाई 1991 में आर्थिक सुधारों की एक बड़ी प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी। उसका एक अहम अवयव वित्तीय बाजार सुधार था। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अधिनियम 1992 से शुरू होकर अब तक प्रतिभूति बाजारों से संबंधित कानूनों में 14 वैधानिक सुधार और एक संवैधानिक संशोधन किए जा चुके हैं। […]
भारतीय रिजर्व बैंक 90 के दशक के आर्थिक सुधार का वास्तविक सूत्रधार
जुलाई 1991 भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक ऐसे वर्ष के रूप में जाना जाता है जब कठिन परिस्थितियों के बीच देश में बड़े आर्थिक सुधारों की घोषणा की गई थी। सितंबर 1991 में ही इन सुधारों पर राजनीतिक उठपटक शुरू हो गई जब केवल एक वस्तु यूरिया पर उर्वरक सब्सिडी घटाने का प्रस्ताव वापस […]
भारत के आर्थिक सुधार तीन दशक और आगे…
तीस वर्ष पहले एक वित्त मंत्री ने (जो उस समय संसद सदस्य भी नहीं थे) साहसी सुधारों की एक ऐसी शृंखला शुरू की जिसने देश में आर्थिक नीति निर्माण की प्रक्रिया को नाटकीय रूप से बदल दिया। उस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था असाधारण राजकोषीय संकट तथा भुगतान संतुलन के संकट से जूझ रही थी। उसे उबारने […]
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले दिनों मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की उस बैठक का ब्योरा जारी किया जो इस महीने के आरंभ में हुई थी। छह सदस्यीय एमपीसी ने रीपो दर को 4 फीसदी पर अपरिवर्तित रहने दिया जबकि उसका रुख समझौतापरक रहा। यह निर्णय सभी छह सदस्यों ने सर्वसम्मति से लिया। ब्योरे से […]
आर्थिक सुधार के लिए आए टीकाकरण में तेजी
वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार को गति देने के लिए टीकाकरण में तेजी लाने और इसका दायरा बढ़ाने की सख्त जरूरत है। मंत्रालय ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए राज्यों द्वारा लगाई गई पाबंदियों से विनिर्माण एवं निर्माण गतिविधियों में अप्रैल-जून […]