वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार को गति देने के लिए टीकाकरण में तेजी लाने और इसका दायरा बढ़ाने की सख्त जरूरत है। मंत्रालय ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए राज्यों द्वारा लगाई गई पाबंदियों से विनिर्माण एवं निर्माण गतिविधियों में अप्रैल-जून तिमाही में नरमी आने का अंदेशा है।
आर्थिक मामलों के विभाग ने मई के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है, ‘कोरोना की दूसरी लहर के कारण राज्यों को स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाना पड़ा जिससे चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक सुधार की रफ्तार नरम पडऩे का जोखिम है।’ रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अर्थव्यवस्था पिछले साल के आपूर्ति एवं मांग के झटकों से अभी उबर ही रही है।
हालांकि 13 मई के बाद से कोरोना संक्रमण के नए मामलों में कमी आ रही है। मई की शुरुआत में दैनिक संक्रमण की दर 24.9 फीसदी थी जो 2 जून को घटकर 3.6 फीसदी रह गई। यह विश्व बैंक के 5 फीसदी के मानक स्तर से कम है। मई के अंतिम 15 दिनों में बिजली खपत, ई-वे बिल और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश जैसे आर्थिक संकेतकों में भी सुधार दिख रहा है। अप्रैल और मई की शुरुआत में इसमें खासी गिरावट आई थी। लेकिन आठ बुनियादी उद्योगों के उत्पादन, विनिर्माण, स्टील की खपत, वाहनों-ट्रैक्टरों की बिक्री, जीएसटी संग्रह आदि में मासिक आधार पर गिरावट आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञों द्वारा दूसरी लहर की तीव्रता का अनुमान नहीं लगाया जा सका जिससे अनिश्चितता बढ़ी और आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार टीकाकरण में युद्घ स्तर पर तेजी लाने से भारत को महामारी के प्रभाव से निकलने में मदद मिलेगी। महामारी को लेकर तैयारियों, स्वास्थ्य सेवाओं एवं बुनियादी ढांचे पर पर खर्च बढ़ाना और तेजी से टीकाकरण जीवन और आजीविका के बीच संतुलन कायम रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
भारत में टीकाकरण अभियान को लगातार बढ़ावा देने और पहली लहर के प्रबंधन की नीतियों को लागू करने से दूसरी लहर में अर्थव्यवस्था पर अधिक असर नहीं पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार टीकाकरण के अलावा आम बजट में किए गए वित्तीय उपायों से आने वाली तिमाहियों में निवेश चक्र में तेजी आएगी। इन उपायों से दूसरी लहर के बाद सुधार को भी बढ़ावा मिलेगा।