भारत में कोविड-19 के झटकों के बाद आर्थिक सुधार की प्रक्रिया अंग्रेजी के वी अक्षर की आकृति में हो रही है, यानी तेज गिरावट के बाद तेज सुधार। सुधार की गति तेज है लेकिन वह पूरी होने के पहले ही सिमट जाती है। ऐसा हर झटका लेनदेन की कुछ लागत छोड़ जाता है। ऐसे में भारत लॉकडाउन के भीषण कष्ट के बाद तेज आर्थिक सुधार का जश्न भी मना सकता है और स्थापित संपदा और वृद्धि की संभावनाओं को पहुंची क्षति पर पश्चाताप भी कर सकता है लेकिन बेहतर यही है कि एक संतुलित राह अपनाई जाए। इसमें दो राय नहीं कि सन 2020 के मध्य में कोविड-19 के पहले झटके से उबरने का सिलसिला वी आकृति में हुआ था और हमारे पास खुश होने की वजह थी।
परंतु अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि उस गंभीर झटके से उबरने के बाद भी हमारा वास्तविक जीडीपी मार्च 2022 तक भी उस स्तर पर नहीं पहुंच पाएगा जहां वह झटका लगने के पहले था। कोविड के आगमन के पहले हमारा वृद्धि का दायरा जहां पहुंच सकता था उससे हमारी दूरी भी अनुमान से अधिक है। श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) कोविड के पहले के स्तर से 2.7 फीसदी कम है। वहीं रोजगार दर 3.3 फीसदी कम है।
सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे (सीपीएचएस) के श्रम संबंधी आंकड़े भी यही दर्शाते हैं कि कोविड-19 के पहले झटके से वी आकृति में सुधार हुआ है। मार्च 2020 में समाप्त तिमाही में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.8 फीसदी हुई और इसके बाद जून 2020 में समाप्त तिमाही में यह 17.8 फीसदी तक पहुंच गई। हालांकि सितंबर 2020 में समाप्त तिमाही में इसमें सुधार हुआ और यह घटकर 7.3 फीसदी रह गई।
परंतु यह सुधार अधूरा था क्योंकि बेरोजगारी दर कभी कोविड के पहले वाले स्तर तक नहीं लौट सकी। मार्च 2020 में समाप्त तिमाही में रोजगार दर 39.2 फीसदी थी। जून 2020 की महामारी से त्रस्त तिमाही में यह घटकर 31.5 फीसदी रह गई। अगली तिमाही में यानी सितंबर 2020 में इसमें एक बार फिर वी आकृति का सुधार दिखा और यह 37.7 फीसदी पर जा पहुंची। उस स्तर पर इसमें ठहराव आ गया और सुधार की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। अप्रैल 2021 में कोविड की दूसरी लहर के आगमन तक यह वैसी ही स्थिति में बनी रही। सीपीएचएस से संकेत मिलता है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद वी आकृति का सुधार एक बार फिर प्रक्रिया में है। इसे हम जुलाई 2021 के साप्ताहिक आंकड़े में देख सकते हैं।
दूसरी लहर के टूट पडऩे के पहले मार्च 2021 में रोजगार दर 37.6 फीसदी थी। साप्ताहिक अनुमान दर्शाते हैं कि 28 मार्च को समाप्त सप्ताह में रोजगार की दर 38.5 फीसदी पहुंच गई। इससे पहले 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में यह 38.9 फीसदी के स्तर पर थी। यह कभी 39 फीसदी नहीं पहुंच सकी जो कि कोविड-19 महामारी के पहले का न्यूनतम स्तर था। दूसरी लहर के आने के समय भी भारत रोजगार दर को कोविड पूर्व के स्तर पर ले जाने के लिए संघर्ष ही कर रहा था। अप्रैल 2021 में रोजगार दर घटकर 36.8 फीसदी रह गई और मई में मात्र 35.3 फीसदी। 23 मई, 2021 को समाप्त सप्ताह में यह 33.6 फीसदी रही और अगले दो सप्ताह में 34 फीसदी के आसपास रही। 10 मई के बाद 6 जून तक चार सप्ताह दूसरी लहर से सर्वाधिक प्रभावित थे। इस दौरान रोजगार दर 34.5 फीसदी रही।
वहां से तेजी से सुधार हुआ। आधा सुधार तो प्रक्रिया के पहले ही सप्ताह में हो गया और 13 जून को समाप्त सप्ताह में रोजगार दर वापस 36.3 फीसदी हो गई। शेष सुधार धीरे-धीरे जुलाई में हुआ। 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह में रोजगार दर 38.2 फीसदी रही। यह 28 मार्च को समाप्त 38.5 फीसदी से कम थी।
दूसरी लहर की गिरावट के बाद हुआ सुधार पहली लहर की तुलना में बेहतर है लेकिन हमें इसकी पुष्टि के लिए व्यापक आंकड़ों की प्रतीक्षा करनी होगी। रोजगार दर की 30 दिन की औसत चलायमान दर हमें यह मानने की वजह देती है कि सुधार पहली लहर की तुलना में बेहतर रहा है। 30 दिन की औसत चलायमान रोजगार दर 25 जुलाई को 37.3 थी। यह जून की 35.9 फीसदी, मई की 35.3 फीसदी या अप्रैल की 36.8 फीसदी की दर से बेहतर है। जुलाई 2021 की रोजगार दर मार्च के 37.6 फीसदी के स्तर के करीब रह सकती है। यह अच्छी बात है।
यह आशावाद बढ़ती एलपीआर से उपजा है। 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह में एलपीआर 41.1 फीसदी रही। इससे पिछले सप्ताह यह 40.4 फीसदी थी। पहले के तीन महीनों में भी यह 40 फीसदी या उससे कम थी। जुलाई महीने में ज्यादातर समय एलपीआर में इजाफा इसलिए हुआ क्योंकि रोजगार की मांग बढ़ी। इसमें से अधिकांश मांग पूरी भी हुई है। जुलाई में समाप्त चार शुरुआती सप्ताह में बेरोजगारी दर में गिरावट आई। 4 जुलाई को समाप्त सप्ताह में यह 7.3 फीसदी थी और 18 जुलाई को समाप्त सप्ताह में यह 6 फीसदी रह गई।
गत 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह में एलपीआर 41 फीसदी से अधिक हो गई और बेरोजगारी दर भी बढ़कर 7.1 फीसदी हो गई। लेकिन इसे बहुत खराब नहीं माना जा सकता है। बढ़ी हुई एलपीआर का अधिकांश हिस्सा रोजगार में खप गया। इस बात को उक्त सप्ताह रोजगार दर में हुए इजाफे से समझा जा सकता है। एलपीआर और रोजगार दर में साथ-साथ इजाफा होना जुलाई 2021 को आशान्वित करने वाला महीना बनाता है।
