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लेख

मिथ्या महत्त्वाकांक्षा!

निजीकरण और ‘मुद्रीकरण’ के बीच अंतर यह है कि जहां पहला शब्द सरकार को कारोबार से पूरी तरह बाहर रखता है, वहीं दूसरा सरकार को एक सक्रिय हिस्सेदार बनाता है। यही कारण है कि निजीकरण, मुद्रीकरण की तुलना में अधिक आसान है। इसके बावजूद निजीकरण को लेकर अत्यंत कमजोर प्रदर्शन (एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम आदि […]