विविध कारोबार करने वाले समूह आईटीसी ने अक्टूबर में संपन्न ईआईएच लिमिटेड के राइट्स इश्यू के तहत खरीदारी के जरिये इस आतिथ्य सेवा कंपनी में अपनी दो दशक पुरानी हिस्सेदारी को बरकरार रखा है। कंपनी की ओर से स्टॉक एक्सचेंज में जमा कराए गए दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है। आईटीसी लिमिटेड और उसकी सहायक इकाई रसेल क्रेडिट लिमिटेड (आरसीएल) के जरिये ईआईएच में आईटीसी की हिस्सेदारी है। आईटीसी के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि कंपनी ने आरसीएल के जरिये अपने अधिकारों का प्रयोग किया। उन्होंने कहा, 'आमतौर पर कंपनी अपनी 100 फीसदी सहायक इकाई आरसीएल के जरिये रणनीतिक निवेश करती है। राइट्ïस इश्यू से पहले और बाद में ईआईएच में आईटीसी एवं आरसीएल की शेयरधारिता प्रतिशत में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिसंबर 2020 में समाप्त तिमाही के लिए ईआईएच की ओर से दायर शेयरधारिता पैटर्न के अनुसार, आरसीएल की हिस्सेदारी दिसंबर के अंत में बढ़कर 2.44 फीसदी हो गई जो सितंबर तिमाही के अंत में 1.15 फीसदी थी। जबकि शेयरों की संख्या 6,556,551 से बढ़कर 15,232,129 हो गई। दूसरी ओर, आईटीसी लिमिटेड की हिस्सेदारी 14.98 फीसदी से घटकर 13.69 फीसदी रह गई। जबकि शेयरों की संख्या 85,621,473 पर अपरिवर्तित रही। कुल मिलाकर आईटीसी की हिस्सेदारी 16.13 फीसदी पर अपरिवर्तित रही। आईटीसी के प्रवक्ता ने कंपनी द्वारा अपने अधिकारों का प्रयोग करने के पीछे तर्क को स्पष्ट करते हुए कहा कि ईआईएच के राइट्ïस इश्यू लंबी अवधि के लिहाज से काफी आकर्षक था। प्रवक्ता ने कहा कि ईआईएच में हिस्सेदारी आईटीसी के ट्रेजरी निवेश पोर्टफोलियो का हिस्सा है। ईआईएच का 350 करोड़ रुपये का राइट्ïस इश्यू 13 अक्टूबर को 65 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ था। शुक्रवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर यह शेयर 96.65 रुपये पर बंद हुआ। आईटीसी ने साल 2000 में ईआईएच में खरीदारी शुरू की थी जब यह शेयर 35 रुपये मूल्य पर कारोबार कर रहा था। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार, खुली पेशकश के लिए निर्धारित सीमा को 15 फीसदी किए जाने पर खरीदारी बंद कर दी गई थी। साल 2011 में इसे बदलकर 25 फीसदी कर दिया गया था। ईआईएच में निवेश से आईटीसी को काफी फायदा हुआ है। कंपनी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2019 के अंत में ईआईए में उसके निवेश का मूल्य बढ़कर 1,898.42 करोड़ रुपये हो गया था। हालांकि मार्च 2020 में कोविड के झटके के कारण वह घटकर 606.54 करोड़ रुपये रह गया। मार्च 2018 में यह आंकड़ा 1,466.55 करोड़ रुपये था।
