घरेलू बाजार में दोपहिया वाहनों की बिक्री इस साल के पहले सात महीनों में घटकर कई साल के निचले स्तर पर आ गई, जिससे दोपहिया उद्योग करीब एक दशक पीछे चला गया है। क्रिसिल रिसर्च के अनुमान के मुताबिक इस साल दोपहिया बिक्री पिछले साल के मुकाबले 3 से 6 फीसदी कम होगी।
चालू वित्त में अक्टूबर तक के 7 महीनों में दोपहिया वाहनों की बिक्री मामूली बढ़ोतरी के साथ 80,59,237 वाहन रही, जो पिछले साल अक्टूबर में 80,37,492 थी। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के ताजा आंकड़ों के अनुसार दोपहिया बिक्री का यह आंकड़ा सात साल में सबसे कम है।
भारत की अर्थव्यवस्था का संकेतक माने जाने वाले दोपहिया की बिक्री लगातार तीन साल से घट रही है। क्रिसिल रिसर्च के निदेशक हेमल ठक्कर ने कहा, ‘कम आय वर्ग वाले लोगों की कमाई पर बहुत असर पड़ा है। इससे प्रवेश स्तर की मोटरसाइकलों की बिक्री में नरमी आई है।’ अन्य उपभोक्ता उत्पादों जैसे मकान, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और चारपहिया की बिक्री पर भी असर पड़ा है क्योंकि महामारी के कारण कम आय वर्ग वालों की जेब पर खासा दबाव बढ़ा है। दूसरी ओर धनाढ्य वर्ग इससे बेफिक्र है, जिस कारण महंगी कारों, मोटरसाइकलों तथा महंगे उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिला है।
बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने पिछले महीने कंपनी के तिमाही नतीजों की घोषणा के बाद निवेशकों से कहा था, ‘दोपहिया उद्योग अर्थव्यवस्था के निचले तबके को प्रतिबिंबित करता है क्योंकि दोपहिया का उपयोग आम तौर पर कम मध्य आय वर्ग द्वारा किया जाता है।’ दोपहिया विनिर्माताओं को त्योहारी मौसम में बिक्री बढऩे की आस थी लेकिन इस दौरान भी बिक्री में तेजी नहीं आई। पिछले 45 दिन (1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक) में केवल 15.66 लाख दोपहिया वाहनों की पंजीकरण हुआ है। 2020 में अक्टूबर और नवंबर के दौरान 40.03 लाख दोपहिया का पंजीकरण हुआ था। क्रिसिल के ठक्कर ने कहा कि इस सेगमेंट में चल रही नरमी जल्द कम होने की उम्मीद नहीं है। इस साल दोपहिया की बिक्री 3 से 6 फीसदी कम होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि 2022-23 से बिक्री में कुछ सुधार हो सकता है। अनबिके वाहनों की बढ़ती संख्या देखकर दोपहिया कंपनियां अब शादी-विवाह के मौसम से आस लगाए हैं। इस दौरान मोटरसाइकलों और स्कूटरों की बिक्री में इजाफा होता है।
