facebookmetapixel
ITR Filing2025: देर से ITR फाइल करना पड़ सकता है महंगा, जानें कितनी बढ़ सकती है टैक्स देनदारीPower Stock में बन सकता है 33% तक मुनाफा, कंपनियों के ग्रोथ प्लान पर ब्रोकरेज की नजरेंNepal GenZ protests: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा, संकट गहराया26% तक चढ़ने को तैयार Adani Green, Suzlon समेत ये 5 Energy Stocks, टेक्निकल चार्ट पर दिख रहा ब्रेकआउटसोना ₹1.1 लाख के पार, चांदी 13 साल के हाई पर: निवेशकों के लिए क्या हैं इसके मायनेUP में बड़े निवेशकों के लिए अच्छी खबर! 100 करोड़ से ऊपर के प्रोजेक्ट्स को सिर्फ 15 दिन में मिलेगी जमीनMiniratna PSU ने डिविडेंड की रिकॉर्ड डेट तय की, जानिए कब और कितनी रकम मिलेगीJane Street vs SEBI: SAT ने जेन स्ट्रीट की अपील स्वीकार की, अगली सुनवाई 18 नवंबर कोVice President Elections: पीएम मोदी और राजनाथ सिंह ने डाला वोट, देश को आज ही मिलेगा नया उप राष्ट्रपतिदिवाली शॉपिंग से पहले जान लें नो-कॉस्ट EMI में छिपा है बड़ा राज

ट्रक मालभाड़ा जून में 9 से 14 फीसदी तक बढ़ा

Last Updated- December 12, 2022 | 3:40 AM IST

राज्यों के कड़े लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोलने के बाद पिछले एक पखवाड़े के दौरान ज्यादातर प्रमुख मार्गों पर ट्रक मालभाड़े में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इन लॉकडाउन से देश भर में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं।
नई दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर थोक माल के फैक्टरी उत्पादन में बढ़ोतरी और पिछले साल के निम्न आधार की वजह से मालभाड़े की दरें देश में औसतन 12 फीसदी बढ़ी हैं। मालभाड़े की दरों को आर्थिक गतिविधियों का संकेतक माना जाता है। लेकिन विश्लेषक इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। क्रिसिल रिसर्च के निदेशक अजय श्रीनिवासन कहते हैं कि मालभाड़े की दरों में बढ़ोतरी उत्साहजनक है, लेकिन पूर्ण सुधार की राह लंबी है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि इससे कुछ हद तक मांग में सुधार का पता चलता है, लेकिन इसमें ज्यादातर हिस्सा डीजल कीमतों को टालने का भी है। मांग और आपूर्ति के गणित से भविष्य में मालभाड़े की दिशा तय होगी।’
इस समय एक-तिहाई से अधिक ट्रक बेकार खड़े हैं। उन्होंने कहा कि जब तक मौजूदा पूरे बेड़े का इस्तेमाल शुरू नहीं होगा, तब तक सुधार पूरा नहीं होगा। पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में मांग सबसे ज्यादा बढ़ रही है, जहां कृषि जिंसों और थोक माल के उठाव में बढ़ोतरी से मदद मिली है।
आईएफटीआरटी ने कहा कि डीजल की कीमतें 2.60 रुपये प्रति लीटर बढ़कर 87.50 रुपये प्रति लीटर (दिल्ली-एनसीआर को छोड़कर) हो गई हैं, जो पिछले साल इस समय 85.01 रुपये प्रति लीटर थीं। इसके साथ ही बाजार में ट्रकों के टायरों की कीमतें भी 6 से 8 फीसदी बढ़ी हैं। इन दोनों की लागत का ट्रकों की परिवर्तनशील परिचालन लागत में 90 फीसदी हिस्सा होता है।
टीसीआई सप्लाई चेन के चेयरमैन जसजित सेठी ने कहा कि हालात सामान्य होने में थोड़ा वक्त लगेगा। उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन की वजह से उद्योग और खुदरा कारोबार दोनों प्रभावित हुआ है और वाहनों की आवाजाही पर भी असर पड़ा है जिसकी वजह से मालभाड़े में 5 से 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही ईंधन की बढ़ती कीमत और ग्रामीण इलाकों में कोरोना के प्रसार से ड्राइवरों की कमी की भी समस्या है।’
आईएफटीआरटी ने कहा कि लॉकडाउन खुलने से पिछले 15 दिनों में राष्ट्रीय परमिट वाले मार्गों के साथ ही अंतरराज्यीय गंतव्यों के लिए पर ट्रकों का मालभाड़ा 9 से 14 फीसदी तक बढ़ गया है। आईएफटीआरटी के सह-संयोजक एसपी सिंह ने कहा, ‘कम आधार के बावजूद मार्च के बाद पिछले 15 दिन में मालभाड़ा में यह वृद्घि सबसे ज्यादा है।’ लॉकडाउन में ढील से उद्योग-धंधे धीरे-धीरे खुल रहे हैं और कारखानों के उत्पादन में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। फल-सब्जियों और अन्य चीजों की आपूर्ति बढऩे से ट्रकों की मांग भी बढ़ी है।
मालभाड़ा बढऩे से ट्रक मालिकों को डीजल की कीमतों में तीव्र वृद्घि से थोड़ी राहत मिल सकती है। इसके साथ ही कारखानों का उत्पादन बढऩे से वाहन बेड़ों की मांग भी बढ़कर 65 फीसदी हो गई है जो पिछले महीने 45 से 50 फीसदी थी।
ऑल इंडिया मोटर ट्रंासपोर्ट कांग्रेस के कोर कमिटी के चेयरमैन बलमलकीत सिंह ने कहा कि अब भी करीब 30 से 35 फीसदी ट्रक ऐसे ही खड़े हैं। हालांकि पिछले महीने की तुलना में स्थिति थोड़ी सुधरी है और मालभाड़ा बढऩे तथा ट्रकों की मांग में वृद्घि से ट्रांसपोर्टरों की मुश्किलें कुछ कम होंगी।

First Published - June 15, 2021 | 11:25 PM IST

संबंधित पोस्ट