ऑटो पुर्जे बनाने वाली एमटेक ऑटो, सोना ग्रुप, भारत फोर्ज जैसी दिग्गज कंपनियां अब परमाणु उद्योग में कदम रखने की योजना बना रही हैं।
इसके अलावा जापानी कंपनी का संयुक्त उपक्रम माइक्रो मेटिक ग्राइंडिग भी बाजार में मौजूद संभावनाओं को भुनाने की तैयारी कर रहा है। एमटेक ऑटो भी परमाणु क्षेत्र के उपकरण बनाने के लिए किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम बनाने की योजना बना रही है।
कंपनी के चेयरमैन अरविंद धाम ने कहा, ‘फोर्जिंग्स, कास्टिंग्स और एल्युमिनियम डाई कास्ट्स जैसे पुर्जे इन रिएक्टरों में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इससे हमें ऑटो उद्योग के बाहर भी विकास करने में मदद मिलेगी। जो हमारे कारोबार के लिए अच्छा है।’
धाम ने बताया कि शुरुआत में कंपनी इस बाजार में एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम के जरिए ही कदम रखेगी। क्योंकि किसी भारतीय कंपनी के लिए नए सिरे से संयंत्र लगाकर इसकी शुरुआत करने में कोई समझदारी नहीं है।
दुनिया भर की ऑटो कंपनियों के लिए फोर्जिंग्स बनाने वाली दिल्ली की कंपनी सोना ग्रुप भी परमाणु कारोबार में आने की योजना बना रही है। सोना ग्रुप के चेयरमैन सुरिंदर कपूर ने बताया,’हमें उम्मीद है कि साल 2010 तक हमारा सालाना कारोबार 4,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। हम यह मानकर चल रहे हैं कि इसका अच्छा खासा हिस्सा परमाणु उद्योग को पुर्जो की आपूर्ति करने से आएगा।’
पुणे की भारत फोर्ज अपनी प्रतिद्विंद्वी कंपनियों से एक कदम आगे चल रही है। कंपनी ने हाल ही में एनटीपीसी के साथ देश की परमाणु और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के लिए ज्यादा भार वाले फोर्जिंग बनाने के लिए 51:49 का संयुक्त उपक्रम भी बना लिया है। इसके अलावा कंपनी फ्रांस की परमाणु क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एल्सटॉम के साथ मिलकर सुपर क्रिटिकल जेनरेटर बनाने के लिए संयुक्त उपक्रम बनाने वाली है।
दिल्ली की माइक्रोमेटिक ग्राइंडिंग टेक्नोलॉजिज ने ऑटो कंपनियों को पुर्जो की आपूर्ति के लिए जापानी कंपनी जेटीईकेटी के साथ संयुक्त उपक्रम बनाया हुआ है। जेटीके ईटी के अध्यक्ष मोतोहिको योकोहोमा ने कहा, ‘हमारी मशीनों के जरिए हम परमाणु क्षेत्र के लिए कुछ पुर्जें बना सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम तुरंत देश के परमाणु उद्योग को इनकी आपूर्ति करना शुरू कर देंगे।
जापानी सरकार ने इसके लिए काफी कड़े नियम बनाए हैं। किसी भी कंपनी को आपूर्ति करने से पहले सरकारी अनुमति लेना जरूरी है।’ ऑटोमेटिव कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसीएमए) के कार्यकारी निदेशक विष्णु माथुर ने बताया कि ऑटो उद्योग में छाई मंदी के कारण और इस क्षेत्र में ज्यादा मुनाफा होने के कारण ऑटो पुर्जा निर्माता कारोबार के नए विकल्पों पर ध्यान दे रहे हैं।
उन्होंने बताया, ‘देखिए यह एक विकास प्रक्रिया है। इस वक्त जब ऑटो उद्योग में मुनाफा कम और मुकाबला कड़ा है तो सभी कंपनियां ज्यादा मुनाफे वाले इस कारोबार में आने की तैयारी कर रही हैं।’