facebookmetapixel
Year Ender: भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए 2025 चुनौतियों और उम्मीदों का मिला-जुला साल रहानवंबर में औद्योगिक उत्पादन 25 महीने में सबसे तेज बढ़ा, विनिर्माण और खनन ने दिया बढ़ावाBPCL आंध्र प्रदेश रिफाइनरी में 30-40 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों को बेचेगी, निवेश पर बातचीत शुरूकेंद्र ने रिलायंस और बीपी से KG-D6 गैस उत्पादन में कमी के लिए 30 अरब डॉलर हर्जाने की मांग कीRBI की रिपोर्ट में खुलासा: भारत का बैंकिंग क्षेत्र मजबूत, लेकिन पूंजी जुटाने में आएगी चुनौतीकोफोर्ज का नया सौदा निवेशकों के लिए कितना मददगार, ब्रोकरेज की रायें मिली-जुली2025 में निजी बैंकों में विदेशी निवेश की बढ़त, फेडरल और येस बैंक में भारी पूंजी आईGold-Silver Price: मुनाफावसूली से ​शिखर से लुढ़की चांदी, सोने के भाव में भी आई नरमीRBI ने माइक्रोफाइनैंस लोन पर बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए निगरानी बढ़ाने का दिया संकेतघरों की मांग और कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के चलते NCR के बाहर के डेवलपर बढ़ा रहे गुरुग्राम में अपनी पैठ

घट रहा छोटी कार का वर्चस्व

Last Updated- December 11, 2022 | 8:46 PM IST

भारत के कार बाजार में अब छोटी कार का वर्चस्व नहीं रह गया है। यात्री वाहन बाजार में 5 लाख रुपये तक की कार की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 22 के पहले 11 महीने में घटकर 10.5 फीसदी रह गई है, जो वित्त वर्ष 19 में 26 फीसदी थी। इस तरह से यह हिस्सेदारी चार साल के निचले स्तर पर आ गई है और यह जानकारी उद्योग के सूत्रों से मिली। 5 से 7.5 लाख रुपये वाली कारों की हिस्सेदारी इस अवधि में 34.9 फीसदी से घटकर 32.4 फीसदी रह गई।
दिलचस्प रूप से 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये वाली कारों की हिस्सेदारी इस अवधि में बढ़कर 11.5 फीसदी पर पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 19 के बाद का सर्वोच्च स्तर है क्योंंकि तब उनकी हिस्सेदारी महज 5.5 फीसदी थी।
कार बाजार में हो रहा यह बदलाव आखिर क्या कह रहा है। मारुति सुजूकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (बिक्री व विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, पिछले चार वर्षों में कार की कीमतों में बढ़ोतरी आय में हुई बढ़ोतरी से ज्यादा रही है। इससे अफोर्डेबिलिटी पर असर पड़ा है।
उन्होंने कहा, लागत में प्रतिशत के तौर पर हुआ बदलाव और मांग पर असर कम कीमत वाली कारों में ज्यादा रहा और इस वजह से भी छोटी कार खरीदने वाले कम लोग रहे। छोटी कारों की कीमतें औसतन 20 से 30 फीसदी बढ़ी, जिसकी वजह उत्सर्जन व सुरक्षा के नए मानकों का लागू होना रही। इसमें बीएस-6, एयरबैग और एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि शामिल है।
ऐसा ही रुख दोपहिया में देखने को मिला, जो पिछले तीन साल से मंदी का सामना कर रहा है। 70 हजार रुपये तक के दोपहिया की बिक्री वित्त वर्ष 22 के पहले 11 महीने में 41 फीसदी घटी, वहीं 70,000 रुपये से ज्यादा वाले दोपहिया की बिक्री महज 3 फीसदी घटी। क्रिसिल रिसर्च ने पिछले हफ्ते वेबिनार में ये बातें कही थी। स्कूटर के मामले में भी ऐसी ही बात है, जहां एंट्री लेवल को मंदी की सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ी है।
यूक्रेन में युद्ध और जिंस की कीमत बढ़े हैं, ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि दोपहिया व कार की कुल लागत बढ़ेगी लेकिन यह बिक्री पर शायद असर नहींं डालेगा। जेफरीज ने हालिया रिपोर्ट में ये बातें कही है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने हालिया रिसर्च रिपोर्ट में कहा है. एल्युमीनियम, पैलेडियम, प्लास्टिक आदि की लागत बढ़ी है और ब्रेंट क्रूड भी 30 फीसदी चढ़ा है। अगर यह वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में टिकी रहती है तो यह वित्त वर्ष 23 में कार खरीदारों की सालाना आधार पर लागत में 20 फीसदी का इजाफा करेगा। वित्त वर्ष 22 में भी इतनी ही लागत बढ़ी है।

First Published - March 13, 2022 | 11:36 PM IST

संबंधित पोस्ट

घट रहा छोटी कार का वर्चस्व

Last Updated- December 11, 2022 | 8:46 PM IST

भारत के कार बाजार में अब छोटी कार का वर्चस्व नहीं रह गया है। यात्री वाहन बाजार में 5 लाख रुपये तक की कार की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 22 के पहले 11 महीने में घटकर 10.5 फीसदी रह गई है, जो वित्त वर्ष 19 में 26 फीसदी थी। इस तरह से यह हिस्सेदारी चार साल के निचले स्तर पर आ गई है और यह जानकारी उद्योग के सूत्रों से मिली। 5 से 7.5 लाख रुपये वाली कारों की हिस्सेदारी इस अवधि में 34.9 फीसदी से घटकर 32.4 फीसदी रह गई।
दिलचस्प रूप से 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये वाली कारों की हिस्सेदारी इस अवधि में बढ़कर 11.5 फीसदी पर पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 19 के बाद का सर्वोच्च स्तर है क्योंंकि तब उनकी हिस्सेदारी महज 5.5 फीसदी थी।
कार बाजार में हो रहा यह बदलाव आखिर क्या कह रहा है। मारुति सुजूकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (बिक्री व विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, पिछले चार वर्षों में कार की कीमतों में बढ़ोतरी आय में हुई बढ़ोतरी से ज्यादा रही है। इससे अफोर्डेबिलिटी पर असर पड़ा है।
उन्होंने कहा, लागत में प्रतिशत के तौर पर हुआ बदलाव और मांग पर असर कम कीमत वाली कारों में ज्यादा रहा और इस वजह से भी छोटी कार खरीदने वाले कम लोग रहे। छोटी कारों की कीमतें औसतन 20 से 30 फीसदी बढ़ी, जिसकी वजह उत्सर्जन व सुरक्षा के नए मानकों का लागू होना रही। इसमें बीएस-6, एयरबैग और एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि शामिल है।
ऐसा ही रुख दोपहिया में देखने को मिला, जो पिछले तीन साल से मंदी का सामना कर रहा है। 70 हजार रुपये तक के दोपहिया की बिक्री वित्त वर्ष 22 के पहले 11 महीने में 41 फीसदी घटी, वहीं 70,000 रुपये से ज्यादा वाले दोपहिया की बिक्री महज 3 फीसदी घटी। क्रिसिल रिसर्च ने पिछले हफ्ते वेबिनार में ये बातें कही थी। स्कूटर के मामले में भी ऐसी ही बात है, जहां एंट्री लेवल को मंदी की सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ी है।
यूक्रेन में युद्ध और जिंस की कीमत बढ़े हैं, ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि दोपहिया व कार की कुल लागत बढ़ेगी लेकिन यह बिक्री पर शायद असर नहींं डालेगा। जेफरीज ने हालिया रिपोर्ट में ये बातें कही है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने हालिया रिसर्च रिपोर्ट में कहा है. एल्युमीनियम, पैलेडियम, प्लास्टिक आदि की लागत बढ़ी है और ब्रेंट क्रूड भी 30 फीसदी चढ़ा है। अगर यह वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में टिकी रहती है तो यह वित्त वर्ष 23 में कार खरीदारों की सालाना आधार पर लागत में 20 फीसदी का इजाफा करेगा। वित्त वर्ष 22 में भी इतनी ही लागत बढ़ी है।

First Published - March 13, 2022 | 11:36 PM IST

संबंधित पोस्ट