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नैनो या ऑल्टो, किसमें कितना है दम

Last Updated- December 11, 2022 | 12:22 AM IST

अखबारों में 23 मार्च को लॉन्च की वजह से सुर्खियां बटोरने वाली कंपनियों में सिर्फ नैनो ही इकलौती कार नहीं थी।
बल्कि इसी समय एक और कार कंपनी ने एक बड़ा सा विज्ञापन दिया था, अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली कार का। उसमें मारुति सुजूकी ने अपनी छोटी कार ऑल्टो की विशेषताएं संभावित ग्राहकों को बताई थीं। रेडियो पर प्रसारित होने वाले विज्ञापन दोपहिया वाहन चलाने वालों को मारुति ओमनी के लिए भी प्रेरित करते सुनाई देते हैं।
क्या यह नैनो थी जिसने उद्योग की प्रमुख कंपनी होने का सरताज टाटा मोटर्स के नाम कराया (फरवरी, 2009 के अंत में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 52 प्रतिशत से अधिक थी।)? नैनो के लॉन्च होने से अब तक कई कार निर्माताओं ने कहा है कि छोटी कार दोपहिया वाहनों के बाजार में सेंध लगाएगी।
अपनी इस हालत के लिए दोपहिया वाहन निर्माता कड़ा जवाब देंगे कि इसके लिए कार निर्माता कंपनियां जिम्मेदार हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकरार को अपने चरम तक पहुंचने के लिए कम से कम 2 साल का वक्त लग सकता है, खासतौर पर तब तक जब तक कि नैनो अगले एक साल में अपनी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू नहीं कर लेती।
लेकिन इससे मारुति सुजूकी के लिए कभी न बदले जाने वाला एक परिवर्तन होगा। 25 साल के लंबे दौर से गुजरने के बाद अब मारुति सुजूकी सबसे अधिक कार बिक्री वाली कंपनी नहीं रहेगी। यह इसलिए भी अहम है कि जब कभी ग्राहक अपनी छोटी कार को बड़ी में तब्दील करना चाहे तो उसके पास इसका भी विकल्प हो और ऐसा विकल्प मुहैया कराने वाली कार निर्माता कंपनियों को ग्राहक बनाने में आसानी भी होती है। अब मारुति विकल्प मुहैया कराने वाली कंपनी की फेहरिस्त में शीर्ष स्थान खो चुकी है।
एक सच यह भी है कि एक जमाने में कंपनी ने बलेनो को खुद नुकसान झेलकर भी बेचा था ताकि  उसके किसी ग्राहक को अपनी छोटी कार एक सीडान से बदलते समय सोचने में अधिक वक्त न लगे। अब यह जगह टाटा मोटर्स ने ले ली है। किसी भी वक्त नैनो का मालिक इससे बड़ी कार खरीदने के बारे में सोचेगा तो कंपनी के पास इंडिका, इंडिगो, प्राइमा (हाल ही में जिनेवा मोटर शो में लॉन्च हुई कॉन्सेप्ट लग्जरी कार), सूमो और सफारी के विकल्प मौजूद हैं।
सच्चाई तो यह है कि ऐसे ग्राहक जो अपने जीवन में काफी बढ़िया कमा-खा रहे हैं, उनके लिए भी टाटा मोटर्स के पास जगुआर या लैंड रोवर का विकल्प है। मारुति सुजूकी के अध्यक्ष रमेश चंद्र भार्गव इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं कि मारुति सुजूकी अपने ग्राहकों की पूरी जिंदगी के लिए उत्पाद मुहैया करा पाएगी।
मारुति सुजूकी में 54 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली सुजूकी की विशेषज्ञता छोटी कारों में है। बड़ी कारों के लिए वह अपने ग्राहकों को ऐसे विकल्प मुहैया करा पाने में शायद सक्षम नहीं है। भार्गव का कहना है, ‘हमारी कारों का अपर सेगमेंट महंगी कारों वाला नहीं है। हमारी सबसे महंगी कार एसएक्स4 है जो 7 लाख रुपये की है। लोग सुजूकी कारों को इस सेगमेंट में दूसरों के बराबर नहीं मानते।’
नैनो को टक्कर ना बाबा ना
वर्ष 2008 की शुरुआत में जब नैनो को नई दिल्ली के 9वें ऑटो एक्सपो में पेश किया गया था, तब से ही मारुति सुजूकी यह कहती आई है कि कंपनी ऐसी कार पेश नहीं करेगी जो नैनो के साथ बाजार में मुकाबला करे।
भार्गव ने किसी भी तरह के शक को खत्म करते हुए कहा, ‘हमें सुजूकी ने कहा है कि वह एक नए सेगमेंट को तैयार करने के लिहाज से नैनो की कीमत के बराबर कोई उत्पाद डिजाइन नहीं कर सकती।’
मारुति सुजूकी के लिए जो जगह है वह पहले ही तय है। इसे नैनो से ऊपर और एक्जीक्यूटिव कारों जैसे होंडा सिटी या टोयोटा कोरोला से निचले स्तर के बीच के सेगमेंट में ही विकास करना है। कंपनी के एंट्री लेवल मॉडल मारुति 800 में अब और ताकत नहीं बची। एक अप्रैल को कंपनी ने इस कार के उत्पादन को खत्म करने के अपने इरादे की घोषणा भी कर डाली।
अगले साल कंपनी लगभग 11 शहरों में ओमनी मॉडल को भी बंद कर सकती है। मारुति सुजूकी अपने इन दोनों मॉडलों के इंजनों को भारत स्टेज-4 के मुताबिक नहीं सुधारेगी। गौरतलब है कि कारों के इंजन पर भारत स्टेज-4 प्रदूषण नियम लागू हो रहे हैं। लेकिन मारुति के ऑल्टो, जेन एस्टिलो, वैगन आर, ए-स्टार और स्विफ्ट जैसे मॉडल इस कसौटी पर खरे उतरते हैं।
ए-स्टार से कुछ ही अधिक कीमत वाले 1.2 पेट्रोल इंजन के साथ रिट्ज मॉडल भी अगले कुछ ही महीनों में पेश हो सकते हैं। भार्गव का मानना है कि इन कारों के साथ मारुति सुजूकी को उसकी अहमियत को कम आंकने वालों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। अभी हाल में एक चुनौती कंपनी को नैनो के साथ मिली है।
अर्न्स्ट ऐंड यंग के पार्टनर और राष्ट्रीय निदेशक (ऑटोमोटिव प्रैक्टिस) राकेश बतरा का कहना है, ‘मारुति सुजुकी को यह उम्मीद है कि नैनो उन  ग्राहकों के लिए है जो जल्द ही कार की ओर रुख करने वाले हैं, क्योंकि अब उनके लिए एक उत्पाद उपलब्ध है। मुकाबला सेकंडहैंड कारों के साथ है न कि ऑल्टो के साथ।’
उनका मानना है कि मारुति सुजूकी पहले ही यह आकलन कर चुकी है कि उसे इस बाजार में उतरना चाहिए या नहीं और कंपनी ने इस बाजार में न उतरने का फैसला लिया है, क्योंकि यह उसके खुद के सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरती है।
ब्रांड जो रहे हर दम साथ
भार्गव मानते हैं कि मुश्किल दौर में ग्राहक कम से कम जोखिम उठाना चाहते हैं और विश्वसनीय ब्रांडों पर ही भरोसा करते हैं। मौजूदा वित्तीय संकट का भारतीय ग्राहकों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है, खासतौर पर शहरी ग्राहकों पर। ऐसा असर पहले कभी नहीं देखा गया। नौकरी जाने का खतरा हर किसी के दिमाग में घर कर गया है।
पिछले साल के मध्य में बैंकों ने कर्ज देने से मुंह मोड़ लिया था। यह तो सिर्फ अब है जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सरकारी दबाव के चलते अपनी जेबें ढीली कर रहे हैं और उन्होंने ब्याज दरों को कम कर 10 से 12 प्रतिशत कर दिया है।
भार्गव का कहना है कि ऐसे में ग्राहकों ने मारुति सुजूकी के शोरूमों में बढ़-चढ़कर शिरकत की है। ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा गया। कंपनी ने मार्च में 85 हजार कारों का उत्पादन किया है, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यहां तक कि इस दौरान डीलरों के पास कारों का स्टॉक भी अब तक सबसे कम होकर 50,000 से नीचे चले गया।
मार्च में पहली बार 73,000 कारों की बिक्री हुई है। भार्गव का कहना है, ‘मार्च में हुई जबरदस्त बिक्री के कारण, वित्त वर्ष 2008-09 के समाप्त होने पर पिछले साल के मुकाबले इस साल घरेलू बिक्री में हमने डेढ़ फीसदी का इजाफा देखा है। जबकि पहले हमें गिरावट होने की उम्मीद थी।’
अब कंपनी तीन महीनों की अवधि के आंकड़ों का अनुमान लगा रही है। भार्गव के मुताबिक अगले तीन महीने में जो स्तर मार्च में हासिल किया गया था, वही आगे भी बरकरार रहेगा। उनके मुताबिक इसका श्रेय मारुति सुजूकी की मजबूत ब्रांड इक्विटी को जाता है।
भार्गव बताते हैं, ‘मुश्किल दौर में बड़े निवेश करने के लिए लोग जोखिम कम से कम उठाते हैं। जितना मुनासिब हो सके उतना वे अपने निवेश को सुरक्षित रखना चाहते हैं। लोग किसी नई और अभी उनकी कसौटियों को पार करने वाले किसी उत्पाद के बजाए मारुति सुजूकी कार को खरीदेंगे।’
शहरों में मंदी और वित्तीय संकट का मतलब है कि नैनो के एक अनोखी कार होने के बावजूद लोगों को एकदम एक नई कार का प्रयोग करने के लिए मना पाना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। प्रदर्शन के अलावा मारुति सुजूकी की छोटी कारों के पक्ष में और क्या चीज काम करेगी, इस बारे में भार्गव का कहना है कि हमारे पास लगभग 19,000 अधिकृत सर्विस स्टेशनों का नेटवर्क है, इसके अलावा देख-रेख पर कम खर्च, सस्ते कल-पुर्जों का उपलब्ध होना और कार में कोई भी छोटी-मोटी समस्या होने पर सड़क किनारे का कोई भी मेकैनिक इसे दुरुस्त कर सकता है।
मारुति सुजूकी की ज्यादातर कारों की दोबारा बिक्री पर अच्छी कीमत मिल जाती है, इसी तरह प्रतिद्वंद्वी ब्रांड भी खरीदारों को ये सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिश करेंगे। भार्गव का कहना है, ‘हमारी कारों में आयातित पुर्जों की जगह इस्तेमाल होने वाले हर स्थानीय पुर्जे को 20,000 किलोमीटर टेस्ट ट्रैक पर चला कर जांचा जाता है।’
भार्गव बताते हैं कि इसमें वक्त भी काफी लगता है और यह प्रक्रिया महंगी भी पड़ती है, लेकिन हमारी गुणवत्ता की कसौटियां काफी सख्त हैं और यही वजह है कि हमारी सेकंड हैंड कारों को भी अच्छी कीमत मिल जाती है। बाजार अनुमानों के अनुसार तीन वर्ष पुरानी मारुति कार को किसी भी दूसरी कार के मॉडल के मुकाबले 10 हजार से 15 हजार रुपये अधिक मिल जाते हैं।
उम्मीद की बड़ी किरण
आम आदमी की कार के रूप में अपनी छवि बनाने वाली नैनो की 1 लाख रुपये कीमत क्या टाटा मोटर्स को मुसीबत में डाल सकती है?
भार्गव का कहना है कि कार खरीद में कीमत कभी निर्णायक भूमिका निभाती थी, पिछले कई वर्षों से मारुति 800 की बिक्री लगातार घट रही थी। जहां मार्च 2003 में कार की बिक्री लगभग 20,700 थी, जो अब तक सबसे अधिक रही है, वहीं मार्च, 2009 में यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 2,430 रह गया।
भार्गव का कहना है, ‘शहरी ग्राहकों में से एक बड़ा तबका किस्तों पर खरीद करता है, इसलिए उनकी मुख्य चिंता कुल शुरुआती रकम नहीं, बल्कि ईएमआई कितनी देनी होगी, यह है। जितनी ब्याज दर कम होती है, उतनी ही मासिक किस्त भी कम होगी और महंगी कारों की मांग भी उतनी ही अधिक होगी। छोटी किस्तों से लोगों को दिखावा करने में भी आसानी होती है।’
नई दिल्ली में ऑल्टो के बेस मॉडल की एक्स शोरूम कीमत 2,23,814 रुपये है। सभी सुविधाओं से लैस नैनो की कीमत 1,72,360 रुपये है। इसलिए इन दोनों कारों के लिए ईएमआई में जो अंतर रह जाता है, वह बहुत अहम नहीं है। अब मुद्दा यही है कि अधिक सुविधाओं की चाहत वाले संभावित ग्राहक जाने-पहचाने और जांचे-परखे मॉडल ऑल्टो के साथ जाना चाहेंगे।
अर्न्स्ट ऐंड यंग के बतरा भी मानते हैं कि टाटा मोटर्स भी आखिरकार नैनो के महंगे मॉडल पर ही अधिक जोर देगी। उनका कहना है, ‘लखटकिया का लेबल बढ़िया मार्केटिंग है। दूसरे कार निर्माताओं की ही तरह टाटा मोटर्स भी नैनो के टॉप-एंड मॉडल पर ही जोर देगी, क्योंकि इसका बेस मॉडल बहुत अच्छी कार के गुण नहीं दिखलाता।’
पिक्चर अभी बाकी है…
टाटा मोटर्स इस समय काफी गंभीर है। गुजरात सरकार की ओर से कर में जो लाभ दिया जाएगा, हो सकता है कि टाटा मोटर्स नैनो की उसी कीमत को बनाए रखे, जिसकी घोषणा कंपनी ने की थी। कुछ विशेषज्ञों को उम्मीद है कि राज्य सरकार की ओर से करों में लाभ मिलने के दौरान टाटा को इससे लगभग 9,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
कंपनी ने यह भी साफ कर दिया है कि वह किसी भी सूरत में नुकसान सह कर अपनी नैनो कार नहीं बेचेगी। इसके अलावा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने यह भी कहा है कि कार को टैक्सी के रूप में नहीं बेचा जाएगा। वे नैनो को दूसरी इंडिका नहीं बनने देंगे। पहले चरण की 50,000 नैनो कार के लिए पूरे देशभर में लगभग 10 लाख आवेदन पत्र खरीदे गए हैं।
डीलरों का कहना है कि हर तबके के लोगों ने ये फॉर्म खरीदे हैं। सभी इस बात से सहमत भी नहीं हैं कि मारुति सुजूकी नैनो को टक्कर देने के लिए सस्ती कार पेश नहीं करेगी। प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स में साझेदार अब्दुल मजीद का कहना है कि मारुति 800 को बंद करने का फैसला एक साफ इशारा है।
उनका कहना है, ‘मारुति 800 नैनो जैसी नई कारों से टक्कर नहीं ले सकती। इसकी तकनीक अब पुरानी हो चुकी है और यह एक छोटा वाहन है जो ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर सकता। मारुति हो सकता है कि कोई नया उत्पाद पेश करेगी, हालांकि अभी के लिए कंपनी अपने पत्ते खोल नहीं रही है।’
मजीद का कहना है कि अगले 12 से 18 महीनों में उद्योग को इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि नैनो की मांग में कितना इजाफा होगा, क्योंकि इस दौरान कार निर्माता कंपनी अपनी पूरी क्षमता के साथ कार का उत्पादन शुरू कर देगी। लेकिन उन्हें इस बात की भी उम्मीद है, ‘मारुति सुजूकी हमेशा अपने सवालों के जवाब बाजार से ही खोज कर लाती है। कंपनी लगातार नए उत्पाद पेश करती है ताकि बोरियत को जगह न मिले।’
अब भी लोगों के दिमाग में सवाल उठते हैं कि अगर ऑल्टो का नवीकरण और कीमतों में बदलाव नहीं हो रहा, तो क्या जापान में चलने वाली 660 सीसी इंजन की सुजूकी सर्वो बिना कीमतों में फेर-बदल किए नैनो (623 सीसी इंजन) के मुकाबले बाजार में उतारी जा सकती है। सुजूकी सर्वो ऑल्टो जैसी ही दिखती है।

First Published - April 14, 2009 | 4:20 PM IST

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