मारुति सुजूकी इंडिया ने डीजल श्रेणी में वापसी की संभावना से इनकार किया है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 2023 में उत्सर्जन मानकों के अगले चरण की शुरुआत के साथ ऐसे वाहनों की बिक्री में और कमी आएगी। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी का मानना है कि उत्सर्जन मानकों के अगले चरण से डीजल वाहनों की लागत बढ़ जाएगी, जिससे बाजार में उनकी बिक्री और घटेगी। इसी कारण से पिछले कुछ साल के दौरान पेट्रोल कारों की ओर स्थानांतरण देखा जा रहा है।
मारुति सुजूकी के मुख्य तकनीकी अधिकारी सीवी रमण ने कहा, ‘हम डीजल क्षेत्र में नहीं जा रहे हैं। हमने पहले संकेत दिया था कि हम इसका अध्ययन करेंगे और ग्राहकों की मांग होगी तो हम वापसी कर सकते हैं। लेकिन हम इसमें लौटने नहीं जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि आगे सख्त उत्सर्जन नियम लागू होने जा रहे हैं। यह एक प्रमुख वजह है कि कंपनी डीजल कारों से ‘बचना’ चाह रही है। उन्होंने कहा, ‘2023 में उत्सर्जन मानदंडों का नया चरण आएगा जिससे लागत बढऩे की संभावना है। इसलिए हम मानते हैं कि डीजल वाहनों के प्रतिशत में और कमी आ सकती है। हम प्रतिस्पर्धा के बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन मारुति का इसमें भाग लेने का कोई इरादा नहीं है।’
उद्योग के अनुमान के अनुसार, डीजल वाहनों की हिस्सेदारी वर्तमान में कुल यात्री वाहन की बिक्री में 17 फीसदील से भी कम है। यह 2013-14 की तुलना में भारी गिरावट है जब कुल बिक्री में डीजल कारों की हिस्सेदारी 60 फीसदी थी। 1 अप्रैल, 2020 से भारत बीएस-6 उत्सर्जन दौर की शुरुआत के साथ देश में कई वाहन विनिर्माताओं ने अपने संबंधित पोर्टफोलियो में डीजल मॉडलों को कम कर दिया है।
