महामारी और अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के बावजूद, भारत में इस्तेमाल वाली या पुरानी कारों का बाजार लगातार तेजी से बढ़ रहा है। इस बाजार को खरीदारों और पूरे देश के ग्राहकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता मारुति सुजूकी इंडिया के अधिकारियों का कहना है कि ग्राहकों द्वारा पुरानी कारों के संबंध में की जाने वाली पूछताछ में करीब 10 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है जबकि नई कारों के उद्योग में करीब 16 प्रतिशत तक की कमी आई है। मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि कुल पुरानी कारों में इस्तेमाल हो चुकी कारों का मौजूदा अनुपात 1.4 प्रतिशत से बढ़कर पिछले कुछ वर्षों में करीब 1.6 प्रतिशत हो गया है। जहां पिछले साल पुरानी कारों की बिक्री 37 लाख रही और संकेत मिला कि निकट भविष्य में यह आंकड़ा बढ़कर करीब 40 लाख हो सकता है।
भारत में पुरानी कारों का बाजार काफी हद तक संगठित कंपनियों पर केंद्रित है जिनमें मारुति सुजूकी ट्रू वैल्यू, होंडा फस्र्ट च्वाइस, टाटा मोटर्स एश्योर्ड और स्पिनी तथा अन्य असंगठित क्षेत्र के स्टार्टअप भी शामिल हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि संगठित कंपनियों का कुल बाजार में करीब 20 प्रतिशत योगदान है और 55 प्रतिशत बाजार पर कंज्यूमर-टु-कंज्यूमर सेल्स का दबदबा है। मारुति सुजूकी के लिए, पुरानी कारों की बिक्री हर साल 420,000 कारों की है। कंपनी के लिए पुरानी कार सेगमेंट ने 2020 में करीब 23 लाख पूछताछ दर्ज की।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘इसमें बड़ा योगदान ट्रेड-इंस में कमी रही। शुद्घ एक्सचेंज रीप्लेसमेंट में करीब 20 प्रतिशत तक की कमी आई, क्योंकि खरीदार नई खरीदारी घटने से प्रभावित हुए थे। हालांकि अच्छी बात यह रही कि नए खरीदारों (जो दोपहिया से कार खरीदने पर जोर दे रहे थे) ने फस्र्ट-टाइम कार-बायर्स की श्रेणी में प्रवेश किया।’ फस्र्ट-टाइम कार-बायर्स श्रेणी मारुति के लिए 3 प्रतिशत तक बढ़ी।
आईएचएस मार्किट में पावरट्रेन ऐंड कप्लायंस फॉरकास्ट्स के प्रमुख सूरज घोष का कहना है कि संगठित पुरानी कार माध्यमों की संख्या अब पहले से ज्यादा हो गई है। उन्होंने कहा, ‘वारंटी और मैंटेनेंस रिकॉर्ड के साथ अच्छी गुणवत्ता वाली कारें अब पूरी तरह उपलब्ध हैं।’
उदाहरण के लिए, मारुति सुजूकी ऐसी कारें नहीं बेचती है जिनसे दो से ज्यादा मालिक जुड़े हुए हों। अन्य विश्लेषकों का कहना है कि ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारें पुराने कार बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं और अगले कुछ साल में इनमें दो अंक की वृद्घि दर्ज किए जाने की संभावना है।
मारुति के अधिकारियों का कहना है कि इसके अलावा, पुराने कार बाजार में एक अन्य बदलाव यह भी दिखा है कि अब इसमें पुराने कारों करीब 9 साल की औसत उम्र की आ रही हैं जबकि पहले यह आठ वर्ष थी। वहीं सबसे महत्वपूर्ण ट्रेंड है पुरानी बाजार के सेगमेंट में पहली बार नए कार खरीदारों की संख्या में वृद्घि होना। श्रीवास्तव का कहना है कि पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहकों का योगदान अब 70 प्रतिशत है जो 2018-19 में 62 प्रतिशत था। वह इसके लिए कम आय स्तरों को भी जिम्मेदार मान रहे हैं।