पहली बार कार और स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) खरीदने वाले ग्राहक अब बाजार में लौटने लगे हैं। यात्री कार बनाने वाली शीर्ष कंपनियों के पिछले साल के आंकड़ों से इस रुझान का पता चलता है। यदि यही रुझान बरकरार रहा तो कारों का समग्र पैठ अनुपात बढ़ सकता है। भारत में यह आंकड़ा प्रति 1,000 लोगों पर 32 है जो अमेरिका और यूरोप जैसे परिपक्व कार बाजारों के मुकाबले काफी कम है।
विश्लेषकों का कहना है कि लागत में इजाफा और आपूर्ति संबंधी समस्याओं के कारण कीमतों हो रही लगातार वृद्धि से नए खरीदार हतोत्साहित हो सकते हैं। हालांकि वैश्विक महामारी के मौजूदा दौर में लोग व्यक्तिगत वाहन को प्राथमिकता दे रहे हैं जिससे खरीदार प्रेरित हो रहे हैं अन्यथा वे निजी वाहन खरीदने के बजाय कोविड से पहले की तरह साझा मोबिलिटी अथवा सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करना पसंद कर सकते थे। आर्थिक संकट, रोजगार को नुकसान और वेतन में कटौती के बीच कार मालिक अपने मौजूदा वाहन को फिलहाल बरकरार रखना चाहते हैं। इससे अधिकतर कंपनियों के लिए रीप्लेसमेंट श्रेणी से बिक्री में गिरावट दिख रही है।
यात्री वाहन बनाने वाली देश की शीर्ष तीन कंपनियों- मारुति सुजूकी, हुंडई मोटर इंडिया और टाटा मोटर्स- की कुल बिक्री में 80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। इन कंपनियों ने भी कई नए खरीदारों को सामने आने की बात कही है। नए खरीदार ऐसे ग्राहक हैं जो अनुभवी तो हैं लेकिन उन्होंने कभी कार या एसयूवी नहीं खरीदी है।
उदाहरण के लिए कार बाजार की अग्रणी कंपनी मारुति सुजूकी को ही लेते हैं। कंपनी की कुल बिक्री में ऐसे खरीदारों का योगदान वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 47 फीसदी हो गया जो वित्त वर्ष 2019-20 में 43 फीसदी रहा था। वैश्विक महामारी ने जीन और आजीविका का प्रभावित किया है लेकिन सार्वजनिक परिवहन के अभाव और संक्रमण के खतरे की आशंका से मांग में सुधार हुआ है। यहां तक कि ग्राहक भविष्य में अर्थिक हालात को लेकर भी अनिश्चित हैं जबकि कुछ लोगों के लिए कार एक बुनियादी जरूरत बन गई है।
मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘कोविड का प्रभाव कम होने के साथ ही इस साल की तस्वीर अलग दिख सकती है।’ कंपनी की कुल बिक्री में पहली बार के खरीदारों का योगदान कैलेंडर वर्ष 2019 में 31.5 फीसदी था जो कैलेंडर वर्ष 2020 में 31.6 फीसदी पर लगभग स्थिर रहा। यदि पहली बार कार खरीदने वालों की हिस्सेदारी में गिरावट का रुझान दिखता है तो चालू कैलेंडर वर्ष में वह घटकर 27.1 फीसदी रह सकता है।
हुंडई मोटर इंडिया के निदेशक (बिक्री एवं विपणन) तरुण गर्ग ने कहा, ‘ऐसा इसलिए दिख रहा है क्योंकि कंपनी का अपने प्रीमियम मॉडल की ओर झुकाव अधिक हो गया है।’ दिलचस्प है कि दक्षिण कोरिया की इस कार कंपनी के खरीदारों में मिलेनियल खरीदारों की हिस्सेदारी चालू कलेंडर वर्ष में बढ़कर 40 फीसदी हो गई है जो 2019 में 32 फीसदी रही थी। गर्ग ने कहा कि पहली बार कार खरीदने वाले कई ग्राहक सीधे प्रीमियम हैचबैक से अपने सफर की शुरुआत करते हैं। पिछले 18 महीनों के दौरान कंपनी द्वारा लॉन्च किए गए विभिन्न मॉडलों ने युवाओं को आकर्षित किया है। हुंडई के खरीदारों की औसत उम्र 2017 में 44 वर्ष थी जो घटकर अब 40 वर्ष से कम हो गई है।
यात्री वाहन बाजार में तीसरी सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर उभरने वाली टाटा मोटर्स ने भी नए खरीदारों की बाजार में मौजूदगी देखी है। कंपनी की कुल बिक्री में नए खरीदारों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020 में 45 से 50 फीसदी थी जो बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 55 से 60 फीसदी हो गई। टाटा मोटर्स के अध्यक्ष (यात्री वाहन कारोबार इकाई) शैलेष चंद्र ने कहा, ‘इस वित्त वर्ष के दौरान हम 2 फीसदी अतिरिक्त वृद्धि देख रहे हैं।’