इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के नए ब्रांडों की शुरुआत होने के साथ ही ईवी पर जोर देने के सरकारी प्रयासों के नतीजे देखने को मिल रहे हैं, लेकिन इसका असर वाहन उद्योग के कुछ क्षेत्रों और कुछ राज्यों में ही देखा जा रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने वाहन पोर्टल के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों (ई2डब्ल्यू) के पंजीकरण का योगदान पिछले वित्त वर्ष में यात्री श्रेणी के कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री का लगभग दो प्रतिशत हिस्सा था। वर्ष 2021-22 में बेचे गए 1.2 करोड़ दोपहिया वाहनों में से 228,669 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन थे।
हालांकि कुल मिलाकर, पिछले वित्त वर्ष में दोपहिया वाहनों की बिक्री कम रही थी और वर्ष 2020-21 की तुलना में इसमें केवल 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई और ई2डब्ल्यू की बिक्री में 480.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई हालांकि इस वृद्धि के आकार का आधार बेहद कम था। कारों की बिक्री में वृद्धि कम थी। इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री का योगदान कुल बेचे गए निजी कारों का केवल 0.5 प्रतिशत है और पिछले साल की तुलना में इसमें 266.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हालांकि वाणिज्यिक वाहनों के क्षेत्र की बात करें तो इसमें उनका प्रदर्शन काफी बेहतर रहा। हल्के यात्री वाहन श्रेणी में, 1.4 प्रतिशत बिक्री इलेक्ट्रिक वाहनों की थी। वर्ष 2020-21 में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 0.8 फीसदी तक रही। भारी यात्री वाहन श्रेणी (ट्रेलरों और बसों) में, पिछले वित्त वर्ष में बेचे गए 10 वाहनों में से एक इलेक्ट्रिक वाहन था। इसके विपरीत, वाणिज्यिक श्रेणी में पंजीकृत तीन दोपहिया वाहनों में से एक इलेक्ट्रिक वाहन था।
दिल्ली में, वर्ष 2021-22 में बिकने वाले भारी यात्री वाहनों में से छठा हिस्सा इलेक्ट्रिक श्रेणी के वाहनों का था। दिल्ली सरकार ने अपनी 2020 की नीति में इलेक्ट्रिक श्रेणी में 25 प्रतिशत नए वाहन पंजीकरण कराने का लक्ष्य निर्धारित किया था। आंकड़ों के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि चार राज्यों ने सबसे अधिक बिक्री में योगदान दिया। निजी कार खंड में कुल बिक्री का 38 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र का ही है। दिल्ली का हिस्सा 10 प्रतिशत से थोड़ा अधिक था जबकि केरल की कुल बिक्री में 13 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच, केरल में इलेक्ट्रिक कारों के पंजीकरण में 48 गुना वृद्धि हुई जबकि इस अवधि के दौरान देश में इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकरण में 17 गुना वृद्धि हुई।
तमिलनाडु में 168 गुना की वृद्धि दर्ज की गई जबकि राजस्थान और महाराष्ट्र में क्रमश: 76 और 50 गुना की वृद्धि दर्ज की गई। कर्नाटक में वर्ष 2017-18 में सबसे अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण हुआ था जो महाराष्ट्र से भी अधिक था हालांकि यह देश में चौथे स्थान पर फिसल गया था। कर्नाटक के इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों के पंजीकरण में वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच छह गुना वृद्धि हुई है। गैर-परिवहन दोपहिया खंड में, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के पंजीकरण में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। महाराष्ट्र के दोपहिया वाहनों के पंजीकरण में वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच 108 गुना की वृद्धि हुई जो देश की इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में 122 गुना वृद्धि से कम है।
वर्ष 2017-18 में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 22.4 प्रतिशत थी जबकि 2021-22 में इसकी हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 4.4 प्रतिशत रह गई थी। हरियाणा की हिस्सेदारी 14.3 प्रतिशत से घटकर 2.5 प्रतिशत रह गई थी। इन आंकड़ों का संदेश स्पष्ट है कि राज्य सरकारों को अपनी बिक्री के एक बड़े हिस्से को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए चार्जिंग बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
