नवंबर में जबरदस्त मांग के बावजूद यात्री वाहनों की बिक्री में सुस्ती जारी रही क्योंकि चिप की किल्लत जारी रहने से सभी विनिर्माताओं के उत्पादन को झटका लगा। हालांकि उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आपूर्ति पक्ष की समस्याएं धीरे-धीरे दूर हो रही हैं और ऐसा लग रहा है कि बुरे दिन अब लद चुके हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उत्पादन कब तक सामान्य होगा।
उद्योग के आकलन के अनुसार, नवंबर में यात्री वाहनों की कुल बिक्री एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 14 फीसदी घटकर 246,000 वाहन रह गई जो एक साल पहले 286,000 वाहन रही थी। कार बाजार की अग्रणी कंपनी मारुति सुजूकी की घरेलू बिक्री नवंबर में 19 फीसदी घटकर 1,09,726 वाहन रह गइ्र। कंपनी ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की किल्लत से बिक्री को झटका लगा।
मारुति सुजूकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि मारुति के हरियाणा और गुजरात संयंत्रों में उत्पादन सितंबर में सामान्य का 40 फीसदी था जो अक्टूबर में बढ़कर 60 फीसदी और नवंबर में 85 फीसदी हो गया। उन्होंने कहा कि दिसंबर में यह आंकड़ा करीब 82 से 85 फीसदी रहेगा। कोविड-19 से पहले मारुति हर महीने 1,40,000 कारों का उत्पादन करती थी।
चिप किल्लत का झटका हुंडई मोटर इंडिया को भी लगा जिससे उसकी घरेलू बिक्री 24.2 फीसदी घट गई। नवंबर में कंपनी ने 3,7001 वाहनों की बिक्री की जबकि एक साल पहले की समान अवधि में उसने 48,800 वाहनों की बिक्री की थी।
आईएचएस मार्किट के निदेशक पुनीत गुप्ता ने कहा, ‘जब तक चिप उत्पादन करने वाले देशों में तीसरी लहर नहीं आती तब तक चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन किल्लत बरकरार रहेगी।’ उन्होंने कहा कि भारत में यात्री वाहन बाजार इस साल दूसरी बार कोविड-पूर्व स्तर तक पहुंच जाएगा।
नवंबर में टाटा मोटर्स के यात्री वाहनों की बिक्री 32 फीसदी बढ़कर 28,027 वाहन हो गई। कंपनी की बिक्री को पंच जैसे हाल में उतारे गए मॉडलों से रफ्तार मिली। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टोयोटा किर्लोस्कर ने भी आपूर्ति पक्ष की समस्याओं के बावजूद सालाना आधार पर बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज कीं। महीने के दौरान दोनों कंपनियों की बिक्री में क्रमश: 8 फीसदी और 53 फीसदी की वृद्धि हुई।
