मुंबई की फोटोग्राफर और स्व-घोषित पर्यावरणविद दुर्गा राणे अपनी उम्र के 20 के दशक में हैं। उन्होंने पेट्रोल स्कूटर के बजाय इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने की योजना बनाई है। राणे कहती हैं, ‘मैं जलवायु परिवर्तन और ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित हूं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इन चिंताओं का समाधान करता है। इसके अलावा यह वित्तीय रूप से भी लंबे समय में अच्छा सौदा लग रहा है।’ राणे भी इन वाहनों के बढ़ते खरीदारों में से एक हैं। उद्योग के विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार वर्ष 2017 से 2025 के बीच कीमत के लिहाज से 77 फीसदी सीएजीआर से बढ़ेगा। ऐसे में अगर आप इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की योजना बना रहे हैं तो क्या यह सही समय है?
दोपहिया बनाम कार
फ्रोस्ट ऐंड सुलिवन में उपाध्यक्ष (आवागमन) कौशिक माधवन ने कहा कि हां, अगर आप इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें अगले छह से 12 महीनों के दौरान बहुत से उत्पादों की पेशकश देखने को मिलेगी।’ माधवन ने कहा, ‘कंपनियां बायबैक गारंटी सबस्क्रिप्शन कार्यक्रम, लघु अवधि के लिए किराये जैसे आसान स्वामित्व विकल्पों की पेशकश कर रही हैं।’ राणे जैसे लोगों को ध्यान में रखते हुए ही ओला इलेक्ट्रिक ने इस महीने की शुरुआत में अपना इलेक्ट्रिक स्कूटर उतारा है। इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार में पहले ही बहुत सी कंपनियां मौजूद हैं, जिनमें इथर एनर्जी, हीरो इलेक्ट्रिक, बजाज चेतक और टीवीएस मोटर कंपनी, सिंपल एनर्जी आदि शामिल हैं।
लेकिन अगर आप इलेक्ट्रिक कार खरीदने की योजना बना रहे हैं तो इंतजार करना बेहतर होगा। माधवन कहते हैं, ‘इस समय इलेक्ट्रिक कार खंड में ज्यादातर विकल्प महंगे हैं। वे आम आदमी की पहुंच में नहीं हैं।’ कारदेखो डॉट कॉम के मुताबिक भारत में स्ट्रोम मोटर्स की आर3 सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार है, जबकि सबसे महंगी मर्सीडीज बेंज ईक्यूसी है। देश में आगे आने वाली इलेक्ट्रिक कारों में टाटा टिगोर ईवी 2021, ऑडी ई-ट्रोन जीटी और मर्सीडीज बेंज ईक्यूए शामिल हैं।
इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें 4.5 लाख रुपये से लेकर 1.17 करोड़ रुपये तक हैं। टाटा नेक्सन ईवी की कीमत मध्यम है, जो 13.99 से 16.85 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) है। अगले 24 महीनों के दौरान और मॉडल आने के आसार हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर (इंडिया ऑटोमोबाइल लीडर) कावन मुख्तयार ने कहा, ‘चौपहिया बाजार में शुरुआती कीमतें अब भी पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में अधिक हैं। केवल अधिक उपयोग करने वाले लोगों के लिए ही इलेक्ट्रिक कार खरीदना तर्कसंगत होगा। लेकिन अगर आप रोजाना केवल 10 से 20 किलोमीटर का सफर करते हैं तो लागत में अंतर काफी अधिक है।’ अगले 12 से 24 महीनों के दौरान, विशेष रूप से मध्यम कीमत के किफायती खंड में बहुत से ईवी कार मॉडल आने के आसा हैं। उस समय ईवी कार खरीदने के बारे में विचार करना ज्यादा तर्कसंगत होगा।
फायदे और नुकसान
सामान्य रूप से ईवी बहुत सी शानदार पसंद हैं। बिक्री पूर्वानुमान और बाजार अनुसंधान कंपनी आई एच एस मार्किट में सहायक निदेशक पुनीत गुप्ता ने कहा, ‘इसकी सबसे अच्छी बात है कि यह पर्यावरण के लिए अच्छी है, जिसमें कोई उत्सर्जन नहीं होता है।’ इन वाहनों का रखरखाव पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में ज्यादा आसान है क्योंकि उनमें बहुत से कलपुर्जे चलायमान होते हैं। ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन को चलाना भी परंपरागत वाहनों की तुलना में करीब 25 फीसदी पड़ता है।
ईवी खरीदते समय पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में 10 से 30 महंगे पड़ सकते हैं। लेकिन अगर आप चलाने की लागत, सब्सिडी आदि को शामिल करते हैं तो वे काफी सस्ते हैं। मुख्तयार कहते हैं, ‘शुरू में खरीदने की लागत अधिक हो सकती है, लेकिन सरकारी सब्सिडी और कर लाभों से शुरुआती लागत भी लगभग बराबर ही आती है, विशेष रूप से दोपहिया के मामले में।’ विशेषज्ञों का कहना है कि इलेक्ट्रिक स्कूटर को चलाने का प्रति किलोमीटर खर्च करीब 25 पैसे है, जबकि पेट्रोल स्कूटर को चलाने का खर्च 2.5 रुपये प्रति किलोमीटर (40 किलोमीटर प्रति लीटर, 100 रुपये प्रति लीटर) है। ऐसे में अगर आप चार साल तक हर साल 10,000 किलोमीटर स्कूटर चलाते हैं तो इलेक्ट्रिक स्कूटर चलाने से ईंधन पर आपकी कुल बचत 90,000 रुपये होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि डीजल कार चलाने की लागत करीब 4.2 रुपये प्रति किलोमीटर और पेट्रोल कार की 5.7 रुपये प्रति किलोमीटर आती है, जबकि ईवी में लागत 80 पैसे प्रति किलोमीटर ही आती है।
जहां तक कमियों का सवाल है, इलेक्ट्रिक वाहनों में कुछ कमियां भी हैं। पहला, परंपरागत वाहनों से इतर सीमित विकल्प हैं। सरकारी सब्सिडी भी कुछ शर्तों के साथ मिलती है, जो शायद सभी ईवी पर लागू नहीं हो। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और परंपरागत वाहनों की कीमतों में कोई समानता नहीं है। इसके अलावा भारत में ईवी को लेकर उपभोक्ताओं का रुझान भी परंपरागत वाहनों की तुलना में कमजोर है। मुख्तयार कहते हैं, ‘अब भी मरम्मत, पुराने वाहन को बेचने पर मिलने वाली कीमत, तकनीकी समस्याओं को लेकर सवाल हैं। इसके अलावा रेंज को लेकर भी चिंताए है। उपयोगकर्ता अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले बैटरी खत्म होने को लेकर भी चिंतित हैं।’ ईवी के संभावित खरीदारों में आम चिंता चार्जिंग बुनियादी ढांचे को लेकर है क्योंकि ईवी चार्जिंग स्टेशन शहरी क्षेत्रों में ही उपलब्ध हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीक में सुधार से रेंज को लेकर चिंता एक बड़ा मुद्दा नहीं रहेगी।
सूक्ष्म ब्योरों का ध्यान
ईवी में लोगों की रुचि केंद्र सरकार की फास्टर एडोप्शन ऐंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड ऐंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम)/ फेम 2 योजना की वजह से है। साथ ही विभिन्न राज्य सरकारें भी अलग से लाभ मुहैया करा रही हैं। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में प्रबंध साझेदार समीर जैन ने कहा, ‘इस समय ईवी पर वस्तु एïवं सेवा कर (जीएसटी) की दर भी 5 फीसदी है, जबकि परंपरागत ईंधन वाहनों पर जीएसटी की दर 28 फीसदी है।’
कर लाभ
अगर कोई इलेक्ट्रिक वाहन ऋण पर खरीदा गया है तो ऋण के चुकाए गए ब्याज पर धारा 80ईईबी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती की मंजूरी है। यह कटौती लोगों को केवल आकलन वर्ष 2020-21 के लिए दी गई है। होस्टबुक्स लिमिटेड के संस्थापक और चेयरमैन कपिल राणा ने कहा, ‘व्यक्ति इलेक्ट्रिक वाहन को निजी या कारोबारी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति इसे कारोबारी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करता है तो वह धारा 80ईईबी के तहत ऋण के चुकाए गए ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकता है।’