वाहन क्षेत्र के लिए सरकार की नई उत्पादकता-आधारित रियायत (पीएलआई) योजना को लेकर स्टार्टअप समेत ई-दोपहिया कंपनियां उत्साहित नहीं दिख रही हैं। इन कंपनियों के कुछ अधिकारियों का कहना है कि यह योजना बड़ी कंपनियों के लिए तैयार की गई है और स्टार्टअप कंपनियों को इसके दायरे से अलग रखा गया है और इस तरह से यह योजना गैर-समावेशी है।
इस योजना में पात्रता के संदर्भ में, ऑटोमोबाइल मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के पास वाहन दिग्गजों के तौर पर पात्र बनने के लिए 3,000 करोड़ रुपये की निर्धारित परिसंपत्ति सीमा के साथ 10,000 करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व होना चाहिए। इसके अलावा दोपहिया कंपनियों को पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये का निवेश भी करना होगा।
बाजार दिग्गज हीरो इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी, ओकीनावा ऑटोटेक समेत सभी इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियां पीएलआई के लिए पात्र हैं और उन्हें इसके लिए फेम (इलेक्ट्रिक वाहनों के तेज चयन और निर्माण) योजनाओं और सरकार केंद्रित रियायत योजनाओं के साथ तालमेल बिठाना होगा।
सोसायटी ऑफ मैन्युफेक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईसी) के निदेशक सोहिंदर गिल ने कहा, ‘योजना का आकार बेहद बड़ा है और यह निवेश केंद्रित है। कोई भी मौजूदा ई-दोपहिया निर्माता इसके लिए पात्र नहीं होगा। लेकिन ई-दोपहिया कंपनियों को इस योजना से तैयार हुए तंत्र का लाभ मिलेगा।’ गिल का मानना है कि इससे ऐसी कई छोटी क्षेत्रीय कंपनियों का अस्तित्व भी प्रभावित होगा जो पिछले कुछ वर्षों में स्थापित हुई हैं और उद्योग में समेकन की लहर को बढ़ावा मिलेगा।
इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनी के अधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘यह सही है कि इससे समस्या होगी, क्योंकि पूरी तरह से ईवी कंपनी को कुछ समय तक इसका लाभ उठाने में ऊंचे राजस्व संबंधित शर्तों का भी सामना करना पड़ेगा।’ यह स्पष्ट नहीं है कि क्या एथर एनर्जी (जिसमें हीरो
मोटोकॉर्प की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है) जैसी कंपनियां अपना राजस्व बढ़ाकर इस योजना के योग्य बन सकती है या नहीं।
मांग से उत्साहित होकर भारत में स्टार्टअप और पारंपरिक वाहन निर्माताओं समेत ईवी कंपनियों ने पिछले एक साल में 9,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्घता जताई, क्योंकि वे ई-मोबिलिटी से पैदा हुए अवसर का लाभ उठाना चाहती हैं। यही वजह है कि ज्यादातर निवेश इलेक्ट्रिक दोपहिया के लिए क्षमता निर्माण में हुआ।
जिन कंपनियों को इस योजना से लाभ होगा, उनमें बजाज ऑटो, टीवीएस और हीरो मोटोकॉर्प मुख्य रूप से शामिल हैं। लेकिन बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज से जब पूछा गया कि क्या वे पीएलआई का लाभ उठाने में सक्षम होंगे, तो उन्होंने कहा, ‘हम अभी इसका अध्ययन कर रहे हैं।’
करीब 2,400 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी ओला इलेक्ट्रिक के अधिकारियों के अनुसार कंपनी परे पीएलआई पात्रता के तहत विचार किया जा सकता है, हालांकि कंपनी ने इस मुद्दे पर ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया।
