इन दिनों राष्ट्रीय राजमार्गों पर अव्यवस्था की सी स्थिति है क्योंकि सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य किए जाने से यात्रियों को दिक्कतें आ रही हैं। सड़कों पर अबाधित आवाजाही के लिए कुछ को नकदी भुगतान में जूझना पड़ रहा है, जबकि अन्य को भारी जुर्माना चुकाना पड़ रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को मुंबई से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर सबसे व्यस्त टोल प्लाजा में से एक खेड़की-दौला पर यातायात सामान्य से धीमा था क्योंकि 16 फरवरी से नकदी रहित भुगतान अनिवार्य किए जाने के बाद कारों को बैरियर से आगे निकलने में जूझना पड़ रहा था। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देश भर में सभी टोल प्लाजा को नकद रहित बना दिया है।
असल में राष्ट्रीय राजमार्गों पर अबाधित आवाजाही की खातिर वाहनों के लिए फास्टैग को अनिवार्य बना दिया गया है। फास्टैग नहीं होने की स्थिति में वाहन मालिकों को प्लाजा से गुजरने के लिए जुर्माने के तौर पर दोगुनी टोल राशि का भुगतान करना पड़ता है।
पत्नी और मां के साथ अपनी एसयूवी में बैठे 45 वर्षीय प्रमोद कुमार की कार को जब खेड़की-दौला टोल प्लाजा पर रोका गया तो वह बहुत खफा थे। उनके पास फास्टैग नहीं था और वह टोल प्लाजा को प्रबंधित करने वाली एजेंसी की कर्मचारी 25 वर्षीय पूनम पर भड़क रहे थे। पूनम ने कहा, ‘जब ऐसी कोई बात होती है तो हम अपने वरिष्ठों को बुलाते हैं। कुछ लोग हमसे बहुत बहसबाजी करते हैं।’ हालांकि वह आंकड़ों की पुष्टि नहीं कर सकती थी। लेकिन उन्होंने कहा कि वह जिस बूथ का प्रबंधन करती हैं, उससे गुजरने वाली करीब आधी कारों में फास्टैग नहीं हैं। कुमार को पूनम के वरिष्ठ सहयोगी जवान सिंह ने फास्टैग को अनिवार्य किए जाने की जानकारी दी। इसके बाद कुमार का रुख नरम पड़ा और उन्होंने टोल पार करने के लिए टोल टैक्स की दोगुनी राशि 130 रुपये का भुगतान किया। इस टोल प्लाजा का प्रबंधन करने वाली कंपनी के लिए काम करने वाले 47 वर्षीय जवान सिंह ने कहा, ‘फास्टैग अनिवार्य किए जाने के बाद यह सामान्य नजारा है, लोग हमसे बहस करते हैं और कई बार गाली-गलौज और हिंसा पर भी उतर आते हैं। यहां तक कि आईटीबीपी और सीआरपीएफ जैसे अद्र्धसैनिक बलों के अधिकारी और यहां तक कि दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी टोल छूट के लिए कहते हैं। हमसे कहा गया है कि इस राजमार्ग पर केवल सैन्य अधिकारियों और हरियाणा राज्य के अधिकारियों को टोल से छूट है, अन्य किसी व्यक्ति को नहीं।’
कुमार ही ऐसे एकमात्र व्यक्ति नहीं हैं, जो फास्टैग पर सरकार के फैसले से बेखबर हैं। टोल प्लाजा पर 45 मिनट रुकने के दौरान यह पाया गया कि उनमें से कई सरकार के फैसले से बेखबर थे या उन्होंने अपनी कारों में फास्टैग लगाने पर ध्यान नहीं दिया। वाहनों में फास्टैग नहीं होना बैंकों के लिए कारोबारी अवसर बन गया है। वे टोल प्लाजा के प्रवेश बिंदुओं पर वॉलंटियर नियुक्त करके इन डिजिटल टैग की बिक्री को तेजी से बढ़ा रहे हैं। विभिन्न बैंकों और भुगतान प्लेटफॉर्मों के बहुत से वॉलंटियरों को कार मालिकों को लुभाने के लिए धक्का-मुक्की करते देखा जा सकता है। उन्हें बैंकों द्वारा फास्टैग की बिक्री के लिए नियुक्त किया गया है। उन्हें मासिक आधार पर एकमुश्त राशि दी जाती है। पेटीएम के लिए काम करने वाले शुभम तिवारी पिछले एक सप्ताह के दौरान 150 फास्टैग बेचने में सफल रहे हैं, जबकि पहले वह एक सप्ताह में 20 से 25 फास्टैग ही बेच पाते थे।
तिवारी ने कहा, ‘हम पिछले कुछ महीनों से ये टैग बेच रहे हैं, लेकिन बिक्री सरकार के वाहन में फास्टैग लगाने को अनिवार्य बनाने के बाद ही बढ़ी है।’ तिवारी पेटीएम के लिए काम करते हैं, जो 150 के टैग पर पूरा रिचार्ज देती है। हालांकि आईडीएफसी, आईसीआईसीआई और इंडसइंड बैंक जैसे अन्य बैंक ऐसी पेशकश नहीं करते हैं।
इंडसइंड बैंक के लिए काम करने वाले 19 साल के अजय यादव ने कहा, ‘हमारे 150 रुपये के टैग पर 100 रुपये का रिचार्ज मिलता है, जबकि पेटीएम पूरा रिचार्ज देती है। जब ग्राहक इस पेशकश के बारे में सुनते हैं तो वे पेटीएम के भुगतान गेटवे को ही चुनते हैं।’ कुछ वॉलंटियरों को फास्टैग की खरीद या रिचार्ज में ग्राहकों के संशय से भी जूझना पड़ता है। आईसीआईसीआई बैंक के 24 साल के वॉलंटियर अंकित शर्मा ने कहा, ‘वे (यात्री) हम पर भरोसा नहीं करते हैं। वे हमसे टैग खरीदने को लेकर आश्वस्त नहीं होते हैं। इसके बजाय वे दोगुना कर एवं जुर्माना चुकाने को तैयार होते हैं।’
बदरपुर टोल प्लाजा पर भी यही स्थिति थी, जहां फास्टैग को लेकर ग्राहकों की प्रतिक्रिया सुस्त थी। बदरपुर बॉर्डर पर एनएचएआई के टोल प्लाजा का प्रबंधन करने वाली कंपनी एमईपी इन्फ्रा में काम करने वाले 46 साल के उत्तम चौहान ने कहा, ‘टोल प्लाजा पर फास्टैग की बिक्री को लेकर ग्राहकों की प्रतिक्रिया सुस्त है क्योंकि 95 फीसदी वाणिज्यिक वाहन मालिकों के पास पहले से ही फास्टैग हैं और यात्री वाहन मालिक उन्हें खरीदने की जल्दबाजी में नहीं हैैं।’
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहनों की एम और एन श्रेणियों के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। एम श्रेणी में ऐसे वाहन शामिल हैं, जिनमें कम से कम चार पहिये हैं और जिनका इस्तेमाल यात्रियों की आवाजाही में होता है। आपका व्यक्तिगत वाहन इसी श्रेणी में आता है।
एन श्रेणी में ऐसे वाहन शामिल हैं, जिनमें कम से कम चार पहिए हैं और जिनका इस्तेमाल माल को ढोने में होता है। इसके अलावा ऐेसे वाहन लोगों की आवाजाही भी इस्तेमाल हो सकते हैं।