प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यों के मुख्यमंत्री वर्ष 2019 के बाद पहली बार आमने-सामने बात कर सकते हैं। केंद्र व राज्य सरकारों के सूत्रों से बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक नीति आयोग की प्रशासनिक परिषद की सातवीं बैठक जून के आखिर में या जुलाई की शुरुआत में हो सकती है।
इस बैठक की तिथि और अन्य ब्योरों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। मिल रही जानकारी के मुताबिक इस बैठक के पहले 14 और 15 जून को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की बैठक का आयोजन होगा। इस बैठक में प्रशासनिक परिषद की बैठक के एजेंडे पर फैसला होगा। उसके बाद परिषद की बैठक आयोजित की जाएगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री व राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बनी नीति आयोग के प्रशासनिक परिषद की बैठक मॉनसून सत्र के पहले हो सकती है। इसके पहले मुख्य सचिवों के कॉन्क्लेव में बैठक का एजेंडा तय किया जाएगा।’
एक राज्य के अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि की है। उन मसलों को अंतिम रूप देने की लंबी प्रक्रिया होगी, जिनका समाधान प्रशासनिक परिषद की बैठक में होना है। बहरहाल राज्य सरकार के अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि मुख्य सचिवों की बैठक में विभिन्न अनुदानों व फंडों सहित संसाधनों को साझा करने, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, सुरक्षा और महंगाई दर में वृद्धि और कीमतों में बढ़ोतरी के मसलों पर चर्चा हो सकती है।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब नीति आयोग में सुमन बेरी को नया उपाध्यक्ष बनाया गया है। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ हाल की बातचीत में बेरी से कमजोर होते सहकारी संघवाद पर सवाल पूछा गया, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं चाहूंगा कि नीति आयोग राज्यों की समस्याएं समझे और उन्हें आगे बढ़ाए और दिल्ली के साथ बातचीत की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करे। नीति आयोग को केंद्र व राज्यों के बीच एक ईमानदार ब्रोकर के रूप में देखा जाना चाहिए।’ प्रशासनिक परिषद की बैठक की जरूरत ऐसे समय में पड़ी है, जब केंद्र व राज्य के संबंधों में विभिन्न मसलों पर टकराव नजर आ रहे हैं। कई राज्यों ने कहा है कि वस्तु एवं सेवाकर मुआवजे की अवधि जून 2022 के बाद तक बढ़ाई जानी चाहिए। विपक्ष शासित कई राज्यों ने केंद्र के पास लंबित पड़े धन का मसला उठाया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दोनों ने राज्यों से कहा है कि डीजल पेट्रोल पर करों में कटौती करें, जिसने विपक्ष शासित राज्यों को नाराज किया है।
नीति आयोग के गठन के बाद प्रशासनिक परिषद की पिछली बैठक फरवरी 2021 में आयोजित की गई थी। यह वर्चुअल बैठक थी। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री ने की थी, जिसमें 26 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। इसके पहले परिषद की आमने सामने बैठक जून 2019 में आयोजित की गई थी।
2021 में हुई बैठक कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के ठीक पहले आयोजित की गई थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि सहकारी व प्रतिस्पर्धी संघवाद को और प्रभावशाली बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इसमें जिला स्तर को भी शामिल किया जाना चाहिए, जिससे देश का सफलतापूर्वक प्रबंधन हो सके और कोविड-19 के बाद उपजी चुनौतियों का सामना किया जा सके, जिसके लिए केंद्र व राज्यों को साथ मिलकर साझेदारी के साथ काम करना होगा।
2021 में प्रशासनिक परिषद की बैठक के एजेंडे में भारत को विनिर्माण का पावरहाउस बनाया जाना, कृषि पर नए सिरे से विचार करना, भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार, मानव संसाधन विकास को गति देना, जमीनी स्तर पर सेवा की डिलिवरी में सुधार और स्वास्थ्य व पोषण संबंधी मसले शामिल थे।