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मीडिया अधिकार से धन की बौछार!

Last Updated- December 11, 2022 | 8:22 PM IST

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आईपीएल के संयुक्त मीडिया अधिकारों के लिए 32,890 करोड़ रुपये की आधार कीमत तय की है, जो पांच साल पहले स्टार डिज्नी द्वारा किए गए 16,347 करोड़ रुपये के भुगतान से करीब दोगुनी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कोई नफा-नुकसान का तर्क नहीं दिखता है। मामला इस बात पर निर्भर करता है कि प्रमुख प्रसारक कंपनियां बाजार में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए कितना खर्च करने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि प्रतिस्पर्धा की वजह से अंतिम मूल्य 40 से 50 हजार करोड़ रुपये के बीच पहुंच सकता है।
विज्ञापन और मीडिया स्पेस खरीदने वाली एजेंसियों का कहना है कि आईपीएल में विज्ञापन के लिए स्लॉट खरीदते समय कोई तर्क काम नहीं करता है जबकि अन्य मामलों में वे लागत का ध्यान रखती हैं। उनका कहना है कि विज्ञापनदाताओं में वेंचर कैपिटल फंड से निवेश पाने वाली स्टार्टअप का दबदबा है क्योंकि वे बेहतर मूल्यांकन के लिए इस मौके का उपयोग ब्रांड को स्थापित करने में करना चाहती हैं। यही वजह है कि वे विज्ञापन स्लॉट के लिए ज्यादा कीमत देने को भी तैयार हैं।
कंपनियां चार पैकेज के लिए अलग-अलग या पूरे मीडिया अधिकार के लिए बोली लगा सकती हैं। बोली दस्तावेज की जानकारी रखने वालों का कहना है कि टीवी पर 74 मैचों के प्रसारण अधिकार का आरक्षित मूल्य 18,130 करोड़ रुपये और डिजिटल अधिकार के लिए 12,210 करोड़ रुपये रखा गया है। इसके अलावा शेष दुनिया के लिए मीडिया अधिकार और केवल 18 मैचों के डिजिटल अधिकार शामिल हैं।
मामले के जानकारों का कहना है कि रिलायंस की वायकॉम-जेम्स मर्डोक अगर इस प्रतिष्ठित प्रसारण और मीडिया अधिकार को हासिल करती है तो उनके लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है क्योंकि राजस्व और दर्शकों के हिसाब से बाजार हिस्सेदारी में यह हमेशा स्टार डिज्नी और ज़ी-सोनी से काफी पीछे रही है। ज़ी और सोनी के एकीकरण से यह अंतर और भी बढ़ गया है।
वित्त वर्ष 2021 में राजस्व के हिसाब से चार प्रमुख कंपनियों (सन टीवी सहित) में स्टार-डिज्नी 40 फीसदी के साथ शीर्ष पर रही, वहीं सोनी-ज़ी एकीकृत रूप से 37 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरे नंबर पर थी और वायकॉम 18 के पास 12.8 फीसदी हिस्सेदारी रही।
वायकॉम 18 भी स्पोट्र्स चैनल बना रही है, ऐसे में आईपीएल प्रसारण अधिकार जीतने से उसे काफी फायदा हो सकता है। बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए वह भारी कीमत भी चुका सकती है क्योंकि आईपीएल के दौरान स्टार-डिज्नी के नेटवर्क की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 31 से 32 फीसदी हो जाती है। सोनी-ज़ी के विलय से दोनों को कारोबार एकीकृत करने में मदद मिलेगी और अगर वह बोली नहीं लगाती हैं तो वायकॉम-मर्डोक को तीसरी मजबूत कंपनी बनने में मदद मिलेगी।
शुरुआत में एमेजॉन प्राइम के साथ साझेदारी के लिए बातचीत चल रही थी और सोनी के साथ मिलकर बोली लगाने की संभावना तलाशी जा रही थी। हालांकि सूत्रों ने कहा कि यह रणनीति काम नहीं करेगी क्योंकि बोली में समूह यानी कंसोर्टियम बनाने की मनाही है। वॉल्ट डिज्नी इंडिया और स्टार इंडिया के अध्यक्ष के माधवन ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि कंपनी बोली में बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं लेगी और कई गुना कीमत चुकाने की उसकी मंशा नहीं है। उनके अनुसार कारोबार के लिहाज से कोई तुक होने पर ही बोली लगाई जाएगी।
हालांकि बोली नहीं लगाने से उसकी बाजार हिस्सेदारी घट सकती है और कुल विज्ञापन राजस्व (इस साल कंपनी आईपीएल से 4,500 करोड़ रुपये की कमाई कर रही है) भी प्रभावित होगा। इसका ओटीटी प्लेटाफॉर्म हॉटस्टार बहुत हद तक क्रिकेट पर निर्भर है, जिसके 30 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं। हालांकि माधवन का कहना है कि नेटवर्क की पूरी बाजार हिस्सेदारी में खेलों का योगदान केवल 3 फीसदी है और उसका टीवीआर 4-5 है जो क्रिकेट जितना ही है। इसी तरह ओटीटी प्लेटाफॉर्म खेलों पर ही निर्भर नहीं है क्योंकि 2021 में 25 चर्चित हिंदी सीरीज का प्रसारण स्टार डिज्नी पर किया गया था। स्टार डिज्नी को इस साल विज्ञापन से 4,500 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है, जिसमें कार्यक्रम निर्माण के खर्च और मीडिया अधिकार के लिए 3,200 करोड़ रुपये के भुगतान को निकाल दें तो पांचवें साल में उसे उतना लाभ नहीं होगा, जितने की उम्मीद की जा रही है। मगर क्या बीसीसीआई के लिए आधार मूल्य अधिक रखना व्यावहारिक है? इस पर मीडिया अधिकार खरीदने वाली एजेंसियों का कहना है कि इस साल आईपीएल के 10 सेकंड के विज्ञापन स्लॉट की कीमत बढ़कर 30 लाख रुपये हो सकती है, जो अभी तक 15 से 18 लाख रुपये थी।
रीडिफ्यूजन इंडिया के प्रबंध निदेशक संदीप गोयल ने कहा कि आईपीएल के लिए स्लॉट खरीदने के दौरान रेटिंग के अनुसार लागत की कोई तार्किक गणना नहीं होती है। यही वजह है कि यूनिलीवर, मैरिको, डाबर और हीरो जैसी बड़ी कंपनियां इससे बाहर रहती हैं। गोयल ने कहा कि 90 फीसदी स्लॉट स्टार्टटप द्वारा खरीदे गए हैं, जो अपने ब्रांड को स्थापित करना चाहती हैं ताकि बेहतर मूल्यांकन मिल सके। पैसे कमाने के लिए प्रसारकों ने 30 सेकंड के स्लॉट की कीमत बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये तक कर दी है।

First Published - March 31, 2022 | 11:27 PM IST

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