ऋणदाता नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि उनकी आमदनी का अनुमान लगाना मुमकिन है और घटत-बढ़त कम है। इसके बावजूद ऋणदाता इस क्षेत्र के बाहरी कारणों की वजह से इसे ज्यादा ऋण देने को लेकर चिंतित हैं। इन कारणों में से कुछ शुल्क घटाने के लिए करारों पर दोबारा बातचीत का दबाव और बिजली वितरण कंपनियों की व्यवहार्यता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस क्षेत्र की लघु परियोजनाओं को ऋण आवंटन बढ़ाने के लिए सितंबर 2020 में प्राथमिक क्षेत्र ऋण (पीएसएल) नियमों में संशोधन किया था, लेकिन इससे कुल ऋण आवंटन में अहम बढ़ोतरी नहीं हुई है। पीएसएल के तहत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को ऋण मई 2021 में 66 फीसदी बढ़कर 1,144 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 688 करोड़ रुपये था। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें बढ़ोतरी मुख्य रूप से निम्न आधार की वजह से हुई है। टाटा क्लीनटेक कैपिटल के प्रबंध निदेशक मनीष चौरसिया ने कहा कि नियामक का इरादा अच्छा है, लेकिन इससे ज्यादा बड़ा बदलाव नहीं आएगा। वह कहते हैं कि परियोजनाओं में पैसा तभी आएगा, जब बिजली दरों को लेकर नीति स्थिर होगी।
बैंकों और वित्त कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि आम तौर पर प्रत्येक तिमाही में करीब 5,000 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाओं के लिए बोली लगती है। लेकिन आवंटन और उसके बाद बिजली खरीद समझौतों पर हस्ताक्षर होने मेंं देरी हो रही है और यही समझौते ऋणदाताओं के लिए अहम हैं।
क्रिसिल के आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले तीन साल के दौरान एक लाख करोड़ रुपये की धनराशि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आई है, जिसमें घरेलू बाजार से ऋण एवं कर्ज करीब 35,000 करोड़ रुपये था। अन्य 40,000 करोड़ रुपये ग्रीन बॉन्ड और बाह्य वाणिज्यिक उधारियों से आए। शेष धनराशि इक्विटी और आंतरिक सृजन से आई।
हालांकि आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक सैमुअल जोसेफ जेबराज कहते हैं कि यह क्षेत्र परिपक्व है और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं कुशल, प्रभावी बन गई हैं और कुछ साल पहले से इतर वाणिज्यिक लिहाज से ग्रिड पैरिटी हासिल कर ली है। इसके अलावा जैसा कि क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता कहते हैं, नवीकरणीय ऊर्जा में ताप विद्युत की तुलना में कम जोखिम हैं क्योंकि ताप विद्युत मेंं ज्यादा पूंजी खर्च होती है। इनपुट (जैसे पैनल) की कीमतें कम हुई हैं। इससे भविष्य में इस क्षेत्र में ज्यादा पैसा आने के आसार हैं। इस क्षेत्र में ऋणदाताओं की बढ़ती रुचि का पता इस बात से चलता है कि विदेशी बैंक भारत में परियोजनाओं को वित्त मुहैया कराने की तैयारी कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड सौर और पवन ऊर्जा खंडों में सक्रिय है। इसके प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकार सुरजीत शोम ने कहा कि बैंक कुछ नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्त पोषण की प्रक्रिया में है।