बीएस बातचीत
भारतीय उद्योग परिसंघ ने टीका मंत्री की नियुक्ति करने और देश में टीकों की उपलब्धता बढ़ाने की मांग की है। ज्योति मुकुल के साथ बातचीत में सीआईआई के नव नियुक्त अध्यक्ष और टाटा स्टील के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने जी-7 देशों के समूह की ओर से दी गई 15 फीसदी न्यूनतम कर दर की सलाह और क्या कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए, पर अपनी राय व्यक्त की। पेश हैं मुख्य अंश:
सीआईआई ने सरकार को जिस 3 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज देने की सलाह दी है उसकी प्रकृति कैसी है? क्या प्रत्यक्ष नकद अंतरण इसका हिस्सा होना चाहिए?
पिछले वर्ष भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास मौद्रिक पक्ष में गुंजाइश थी। फिलहाल उनके पास अधिक गुंजाइश नहीं है। हम मानते हैं कि टीकाकरण के खर्चों सहित बाकी चीजों को भी शामिल कर लेने पर राजकोषीय घाटा 6.8 फीसदी के करीब रहेगा। इसलिए हम 3 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की मांग कर रहे हैं जो जीडीपी के 1.8 फीसदी बैठता है। इस रकम का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार से हो सकता है। उच्च संपर्क वाले कारोबारों को सबसे अधिक झटका लगा है। उदाहरण के लिए एटीएफ को जीएसटी में शामिल किया जाए जिससे इनपुट क्रेडिट मिलेगा। एमएसएमई को काफी अधिक मदद की दरकार है क्योंकि उन्हें काफी झटका लगा है। उनके लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना का विस्तार 31 मार्च, 2022 तक के लिए किया जाना चाहिए। उपभोक्ताओं में भरोसा बहाल करने के लिए पांच से छह महीने के लिए जीएसटी की दरें 2-3 फीसदी कम कर देनी चाहिए। मनरेगा के लिए भी अधिक धन रखा जाना चाहिए जिसमें इस वर्ष 73,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। टीकाकरण और प्रोत्साहन पैकेज की दम पर हम 9 से 9.5 फीसदी की वृद्घि दर सुनिश्चित कर सकते हैं।
क्या कर कटौती की बजाय स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर खर्च को नहीं बढ़ाया जाना चाहिए?
स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा के लिए पहले से ही परंपरागत आवंटन की तुलना में बड़ी योजना है। बजट में निर्धारित रकम चाहे वह स्वास्थ्य अवसंरचना के लिए हो या फिर अन्य बुनियादी ढांचा के लिए, खर्च हो यह सुनिश्चित करें।
क्या सरकार या कंपनियों के बढ़े पूंजीगत व्यय से यह समझने में सहूलियत होगी कि इस्पात सहित विभिन्न क्षेत्रों में महामारी के आने से पहले से ही मांग कम थी?
यह बात सही है कि पिछले कुछ वर्षों यानी महमारी से भी पहले से मांग के मोर्चे पर नरमी रही है। यही कारण है कि सीआईआई कहता रहा है कि बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च को बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इसका व्यापक असर होता है। यह अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने और देश में परिचालन की लागत को कम करने में मददगार होता है।
टीकाकरण से आर्थिक गतिविधि पटरी पर लाने में कितनी मदद मिली है?
हम चाहते हैं कि सरकार टीकाकरण के स्तर पर काम करे। इसे 30 लाख प्रतिदिन से बढ़ाकर 70 लाख प्रतिदिन किए जाने की जरूरत है। पूर्ण टीकाकारण करा चुके कर्मचारियों को कार्यालय बुलाना है या नहीं यह विचार कंपनियों को करना है।
क्या कर्मचारियों का टीकाकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए?
आदर्श तरीका उन्हें समझाने का है लेकिन कही न कहीं यह सार्वजनिक जिम्मेदारी भी है। हमने इसको लेकर अब तक अपने सदस्यों से चर्चा नहीं की है। हमें एक महीना इंतजार करना चाहिए और टीके उपलब्ध होने देना चाहिए। किसी पर दबाव बनाने का कोई मतलब नहीं है।
जी-7 देशों ने कॉर्पोरेट कर को न्यूनतम 15 फीसदी पर रखने की बात कही है जबकि भारत के लिए औसत दर करीब 29 फीसदी है। इसको लेकर आपका विचार क्या है?
ऐसी कंपनियां, जिनकी मौजूदगी विभिन्न देशों में है वे न्यूनतम कर दर वाले देशों का रुख कर रही हैं। बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां कर का भुगतान करें इसके लिए यह जरूरी होता है कि कंपनियों पर कम कर लगे।