भारत में लोकप्रिय खेलों में से एक खो-खो बड़ी कंपनियों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के तर्ज पर ही इस खेल को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। अमित बर्मन प्रवर्तित अल्टीमेट खो-खो लीग में गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की कंपनी कैप्री ग्लोबल और हैदराबाद की केएलओ स्पोर्ट्स खो-खो लीग में अपनी-अपनी टीम खरीदेगी। अल्टीमेट खो-खो लीग की शुरुआत इस वर्ष के अंत तक हो जाएगी। यह प्रगति तब हुई है जब अदाणी समूह की कंपनी अदाणी स्पोर्ट्स लाइन और जीएमआर स्पोर्ट्स दोनों ने ही लीग में एक-एक टीम खरीदी है।
कैप्री ग्लोबल, अदाणी और जीएमआर क्रिकेट में पहले ही रकम लगा चुकी हैं। इन तीनों टीमों ने हाल में यूएटी टी20 लीग में टीम खरीदी है जबकि केएलओ स्पोर्ट्स ने पहली बार टीम खरीदी है। कंपनी ने चेन्नई खो-खो टीम खरीदी है जिसका नाम चेन्नई सुपर गन्स रखा गया है। कैप्री ग्लोबल ने राजस्थान फ्रैंचाइजी खरीदी है जबकि अदाणी और जीएमआर ने क्रमशः गुजरात और तेलंगाना की टीमें खरीदी हैं।
केएलओ स्पोर्ट्स के सह-नियंत्रक संजय जुपुदी ने कहा, ‘खो-खो ऐसा खेल है जिसे सभी लोगों ने बचपन में कभी न कभी खेला है। इस खेल का आम लोगों के साथ गहरा संबंध रहा है। कबड्डी की तरह ही खो-खो भी तेजी से खेला जाता है। इस खेल में भी खिलाड़ियों को हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है जिसे देखकर दर्शक खासे उत्साहित होते रहते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि यह खेल भारत में कभी न कभी एक उम्र में सबने खेला है। हम बस इसे एक नए अवतार में पेश करना चाहते हैं।’ जुपुदी अमेरिका स्थित सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाता कंपनी क्वेनटेली के अध्यक्ष एवं संस्थापक है। कंपनी भारत और कनाडा में भी परिचालन करती है।
खो-खो को आधुनिक जामा पहनाने के लिए जुपुदी अपनी टीम को मेटावर्स से साक्षात्कार कराना चाहते हैं। वह कहते हैं, ‘ इस खेल से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए हम सोशल मीडिया पर इसके वीडियो क्लिप अपलोड करेंगे। इसके लिए खेल का बढ़ावा देने के लिए डिजिटल मार्केटिंग भी की जाएगी। हमारी कोशिश है कि वर्तमान पीढ़ी तक इस खेल को पहुंचाया जाए।’ कैप्री ग्लोबल के प्रबंध निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि वह एक ऐसी पहल में निवेश करना चाहते हैं जिसमें स्थानीय खेलों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है। शर्मा ने कहा, ‘खो- खो का जन्म इस देश में हुआ है। कई राज्यों एवं जिलों में इस खेल के स्थानीय दल हैं। इसे खेलने में बहुत ताम-झाम भी नहीं है और देश के लोग इसे पूरी तरह वाकिफ हैं। हम ऐसे आयोजनों में निवेश करना चाहते हैं जो खो-खो जैसे देसी खेलों में निवेश करते हैं। हमने इस दिशा में कदम बढ़ा भी दिया है और खो खो लीग में निवेश किया है। हम राजस्थान टीम में निवेश के जरिये इस खेल को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।’खो-खो को आगे बढ़ाने की जरूरत भी है, आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं। फेडेरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री और खेल एजेंसी स्पोर्जो की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत में जितने खेल प्रायोजन होते हैं उनमें 70-75 प्रतिशत क्रिकेट से संबंधित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मीडिया एवं प्रयोजन उद्योग वित्त वर्ष 2019-20 में करीब 9,500 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया और वित्त वर्ष 2024 तक इसके 15,000 करोड़ रुपये पहुंच जाने की उम्मीद है।
हाल में संपन्न इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से संबंधित एक ई-नीलामी से रिपोर्ट पर मुहर लगा जाती है। ई-नीलामी में 2023-27 तक आईपीएल मैचों के मीडिया अधिकार हासिल करने के लिए 48,390 करोड़ रुपये की बोलियां आईं, जो 2018-22 के 16,347 करोड़ रुपये से कहीं अधिक रही। डिज्नी-स्टार, रिलायंस समर्थित वायकॉम-18 और टाइम्स इंटरनेट इस ई-नीलामी में सफल बोलीदाता रहीं।
चुनौतियों के बावजूद क्रिकेट से इतर दूसरे खेलों के प्रति पिछले कुछ वर्षों में आकर्षण बढ़ा है। कबड्डी, कुश्ती, बैडमिंटन जैसे कई खेलों में लोग गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं।