महामारी के दो साल बाद प्रतिबंधों रहित दीवाली मनाने से बाजार में उछाल आ गई है और आम लोग भी त्योहार के रंग में रंग गए हैं। देशभर में बाजार खरीदारों से पटे पड़े हैं और कई खुदरा उद्योग इस साल बंपर सेल की आस लगाए बैठे हैं। पटाखा उद्योग ने यह उम्मीद लगा रखी है कि उसके बाजार की रौनक खूब बढ़ेगी। लेकिन दिल्ली आतिशबाजी से निपटने में विफल रही तो प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा।
दीवाली से एक दिन पहले रविवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 247 दर्ज किया गया। यह स्तर ‘खराब’ श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक सोमवार को प्रदूषण का स्तर ‘बेहद खराब’ के निचले स्तर और मंगलवार को ‘बेहद खराब’ स्तर पर रह सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सभी तरह के पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने भी प्रतिबंध के साथ सख्त जुर्माना लगाने की घोषणा कर रखी है। दिल्ली में आतिशबाजी करने पर छह महीने तक की जेल के साथ 200 रुपये का जुर्माना हो सकता है। विस्फोटक अधिनियम की धारा 9 बी के तहत दिल्ली में पटाखों का उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना और तीन साल की जेल हो सकती है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि प्रतिबंध को समुचित रूप से लागू करने के लिए 408 दलों का गठन किया गया है। अभी तक 13,000 किलोग्राम पटाखे जब्त किए जा चुके हैं।
आतिशबाजी की कालाबाजारी
बिज़नेस स्टैंडर्ड के दल ने प्रतिबंध का प्रभाव का असर देखने के लिए बड़े थोक बाजारों का दौरा किया। इस क्रम में सदर बाजार और चांदनी चौक के मुख्य बाजार में दुकानें हरित पटाखों या ग्रीन क्रैकर्स (दिल्ली में इन पर भी प्रतिबंध) से पटी पड़ी हैं। हालांकि दुकानदार ग्राहकों को संकरी गलियों में ले जाकर यह वादा करते हैं कि वे उन्हें असली पटाखे मुहैया करा देंगे।
एक किशोर ने पूछा, ‘बताओ क्या चाहिए, सुतली बम है, चाहिए’। जामा मस्जिद के समीप आतिशबाजी बेचने वाले एक दुकानदार एके ने कहा, ‘दुकानदारों ने सामान इसलिए खरीदा है ताकि वे इसे बेच सकें। क्या होगा इसकी चिंता नहीं। इनकी बहुत ज्यादा मांग है।’ उन्होंने कहा,’थोक बाजार में खुदरा दुकानदारों की सामान की सूची लंबी है।’ कारोबारी और खुदरा व्यापारी यह अनुमान लगा रहे हैं कि इस दीवाली पर बंपर सेल होगी। कोविड के दो साल के दौरान लॉकडाउन और त्योहार मनाने पर लगी बंदिशें खत्म हो चुकी हैं।
अधिकारियों को पटाखे बेचने वालों को पकड़ने में हरित और सामान्य पटाखों में अतंर कर पाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुनिरका में एक पुलिसकर्मी ने कहा कि पैकेजिंग पर हरित पटाखे लिखा है जबकि इसमें ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘ यदि यह हरित भी है तो भी पता लगाना मुश्किल है।’ दिल्ली के कई इलाकों में पटाखों के फूटने की आवाज सुनाई देने लगी है। शहर में सार्वजनिक पार्कों से लेकर सड़कों तक पर पटाखे छोड़े जा रहे हैं।
हरियाणा में हरित पटाखे बनाने, बिक्री और चलाने की अनुमति है लेकिन इस मामले पर अभी तक नोएडा में कोई स्पष्ट दिशानिर्देश जारी नहीं है। इसलिए अंदेशा यह जताया जा रहा है कि दिल्ली के आसपास के इलाकों में कुछ लोग इसका फायदा उठा रहे हैं। आप के शासन वाले पंजाब में सरकार ने दीवाली के दिन दो घंटे तक पटाखे चलाने की छूट दी है।
बीते साल 28 सितंबर से 4 नवंबर के दौरान पटाखे चलाने के 4,210 मामले दर्ज किए गए थे और इस मामले में 143 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए थे। करीब 19,700 किलोग्राम पटाखे जब्त किए गए थे और इसे बेचने व आपूर्ति के सिलसिले में 138 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए थे।
एनसीआर में दीवाली कितनी हरित होगी?
हरित पटाखे इस तरह बनाए जाते हैं कि इसका पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़े, स्वास्थ्य जोखिम कम हो और इंसान के लिए कम खतरनाक हो। पारंपरिक पटाखों में हानिकारक रसायनों एल्युमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट या कार्बन डाइऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन हरित पटाखों के निर्माण में इन हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता है।
हालांकि पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक हरित पटाखों के इस्तेमाल और दिल्ली में आतिशबाजी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने का शहर के प्रदूषण के स्तर पर खास असर नहीं पड़ेगा। इसका कारण यह है कि आसपास के राज्यों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा है। पंजाब विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग की चेयरपर्सन सुमन मोर ने कहा, ‘पंजाब और हरियाणा के प्रदूषण का असर दिल्ली पर पड़ेगा। पटाखे चलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना ही इसका एकमात्र रास्ता है।’
आतिशबाजी पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध की याचिका को तुरंत सुनवाई की अनुमति देने से सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी को इनकार कर दिया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि दीवाली के करीब आने पर कोई भी रोक का आदेश जारी करने पर व्यापक स्तर पर नुकसान होगा। कई लोग आतिशबाजी उद्योग में निश्चित रूप से खासा धन निवेश कर चुके हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पटाखा उद्योग का सालाना कारोबार 4,800 करोड़ रुपये से अधिक है। देश भर में छोटी व बड़ी 22,00 कारखानों में आतिशबाजी बनाने का काम पांच लाख से अधिक लोग कर रहे हैं। इस कारोबार से चार लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।
इधर दीवाली पटाखों की बिक्री जारी है, उधर अन्य समस्या दीवाली के सप्ताह में पराली जलाने के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं। दिल्ली व आसपास के क्षेत्र के लिए एक समस्या दबे पांव आगे और बढ़ रही है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की वास्तविक समय की निगरानी के मुताबिक 15 सितंबर से 22 अक्टूबर के दौरान धान की पैदावार वाले पांच राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने के 5,005 मामले उजागर हुए। हालांकि बीते साल इस अवधि में 7,790 मामले दर्ज हुए थे।
