facebookmetapixel
10 करोड़ शेयर वापस खरीदेगी Infosys, अब TCS-Wipro की बारी?Stock Market Today: बाजार में तेजी के संकेत, Infosys बायबैक और IPO पर रहेगी नजर50% अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय निर्यात संगठनों की RBI से मांग: हमें राहत और बैंकिंग समर्थन की जरूरतआंध्र प्रदेश सरकार ने नेपाल से 144 तेलुगु नागरिकों को विशेष विमान से सुरक्षित भारत लायाभारत ने मॉरीशस को 68 करोड़ डॉलर का पैकेज दिया, हिंद महासागर में रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिशविकसित भारत 2047 के लिए सरकारी बैंक बनाएंगे वैश्विक रणनीति, मंथन सम्मेलन में होगी चर्चाE20 पेट्रोल विवाद पर बोले नितिन गडकरी, पेट्रोलियम लॉबी चला रही है राजनीतिक मुहिमभारत को 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत: भूपेंद्र यादवGoogle लाएगा नया फीचर: ग्रामीण और शहरी दर्शकों को दिखेगा अलग-अलग विज्ञापन, ब्रांडों को मिलेगा फायदाअब ALMM योजना के तहत स्वदेशी सोलर सेल, इनगोट और पॉलिसिलिकन पर सरकार का जोर: जोशी

केरल: कोविड नियंत्रण कवच में दरार!

Last Updated- December 11, 2022 | 9:18 PM IST

वैश्विक महामारी नियंत्रण की केरल की बहु-प्रशंसनीय गाथा कोविड-19 के ओमीक्रोन वाले चरण के दौरान कुछ मामलों में कमजोर पड़ गई है। हालांकि देश भर में कोविड के नए मामले कम हो रहे हैं, लेकिन केरल हर रोज 20,000 से अधिक मामले दर्ज कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय सरकार द्वारा नीतिगत त्रुटियां, जांच की अधिक दर तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अधिक आवागमन ऐसे कुछ कारक हैं, जिनका तीसरी लहर के दौरान मामलों की संख्या में कमी लाने में योगदान कम रहा है।
10 फरवरी तक 2,58,954 सक्रिय मामलों के साथ देश में राज्य की हिस्सेदारी 32.75 प्रतिशत रही है। महाराष्ट्र 86,847 सक्रिय मामलों के साथ 10.98 प्रतिशत स्तर पर दूसरे स्थान पर इससे काफी दूर है।
केरल ने तीसरी लहर के दौरान 49.4 प्रतिशत की शीर्ष संक्रमण दर दर्ज की, जो दूसरी लहर के दौरान इसकी 29.7 प्रतिशत दर की तुलना में काफी ज्यादा है। इसकी तुलना घनी आबादी वाले दिल्ली (30.6 फीसदी) या महाराष्ट्र (23.4 फीसदी) जैसे क्षेत्रों से करें, तो उन्होंने संक्रमण नियंत्रित करने के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। अच्छी खबर यह है कि केरल में अब यह संक्रमण दर घट रही है, 2 फरवरी को 46.2 प्रतिशत से घटकर यह 9 फरवरी को 32.3 प्रतिशत (केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार) रह गई। 1 फरवरी को दैनिक नए मामालों की संख्या 51,887 थी, जो 9 फरवरी को कम होकर 23,253 रह गई।
तीसरी लहर के दौरान क्या गलत हुआ?
केरल इस बात का एक उदाहरण था कि इसने वर्ष 2020 में पहली लहर के दौरान महामारी के प्रसार को किस तरह नियंत्रित किया, जिसमें इसने घातक जीका और निपाह वायरस से निपटने के अपने पिछले अनुभव का इस्तेमाल किया।
आलोचकों का कहना है कि तीसरी लहर से पहले राज्य मशीनरी की तैयारी में कमी इसके लिए जिम्मेदार है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व अधिकारी एसएस लाल ने कहा कि तीसरी लहर से ठीक पहले स्कूल खोलना और पार्टियों को ऐसे समय में अनुमति देना जब केरल अभी तक डेल्टा की लहर से नहीं निकाला था, ये गलतियां थीं। इसके अलावा कुछ महीने पहले बिना पूर्व योजना के कोविड-ब्रिगेड को भंग कर दिया गया। जहां एक ओर कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि अधिक जनसंख्या घनत्व अधिक संक्रमण का कारण होता है, वहीं दूसरी ओर लाल इस बात से असहमत लगते हैं। उनके अनुसार केरल का जनसंख्या घनत्व 859 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। इसकी तुलना में ग्रेटर मुंबई में प्रति वर्ग किलोमीटर 27,411, चेन्नई में प्रति वर्ग किलोमीटर 25,000 तथा दिल्ली और अहमदाबाद में प्रति वर्ग किलोमीटर 11,000 से ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि लगभग 20,000 लोगों की कोविड टीम ने इस महामारी के प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा ‘ये लोग पहली और दूसरी लहर में स्वास्थ्य तंत्र का हिस्सा थे। फिलहाल वे लंबित भुगतान और नौकरियों सहित विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं।’
अधिकग्रामीण-शहरी आवागमन वाली आबादी में वायरस का संक्रमण अपेक्षाकृत तेजी से होता है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कहा कि केरल में कुछ अलग जनसांख्यिकीय है-बुजुर्ग जनसंख्या तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अधिक आवागमन। यह देखा जाना चाहिए कि कितने प्रतिशत लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं या अस्पताल में भर्ती कराए जा रहे हैं और आयु-समायोजित मृत्यु दर क्या है।
ऐसा लगता है कि इस संबंध में केरल ने अच्छा प्रदर्शन किया है। अस्पताल में भर्ती होने की दर दो से तीन प्रतिशत है। 2 फरवरी से 8 फरवरी के बीच संक्रमित लोगों में से केवल 3.3 प्रतिशत लोग ही अस्पताल में भर्ती हुए थे। इनमें से 0.4 प्रतिशत लोगों को गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) में प्रवेश की जरूरत पड़ी थी और 0.8 प्रतिशत लोग ऑक्सीजन सुविधा वाले बिस्तरों पर थे। राज्य की मृत्यु दर 0.25 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत (दिसंबर-फरवरी अवधि) के बराबर है।
केरल सर्वाधिक टीकाकरण वाले राज्यों में से एक है। वहां पहली खुराक के साथ 100 प्रतिशत टीकाकरण, दूसरी खुराक के साथ 86 प्रतिशत टीकाकरण और 74 प्रतिशत किशोरों का टीकाकरण हो चुका है। टीकाकरण की अधिक दर अस्पताल में कम भर्ती होने की एक वजह हो सकती है।
राष्ट्रीय औसत से बेहतर जांच दर भी केरल में अधिक दैनिक मामले दर्ज किए जाने में योगदान करने वाला एक कारक है। केरल में हर रोज प्रति 10 लाख लोगों पर 3,491 जांच की जाती है, जो पश्चिम बंगाल की 829 या महाराष्ट्र की 2,174 से कहीं ज्यादा है।
इसके अलावा केरल में बहुत सारी ऐंटीजन जांच की जाती है, जो कुछ मिनटों में ही परिणाम उपलब्ध करा देती है। राज्य में रोजाना की जाने वाली कोविड की आधे से ज्यादा जांच ऐंटीजन जांच होती है। राज्य सरकार ने ऐंटीजन जांच का मूल्य और घटाकर 100 रुपये तथा आरटी-पीसीआर की कीमत 300 रुपये कर दी है।
रेड्डी ने कहा कि अगर जांच के लिए अधिकतम सीमा कम हो, तो अधिक लोग जांच करवा लेंगे और पकड़े गए संक्रमणों की संख्या अधिक होगी। अगर केरल शेष भारत की तुलना में अधिक जांच कर रहा है, तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि यह मामलों की अधिक संख्या भी दर्ज कर रहा है।

First Published - February 11, 2022 | 11:03 PM IST

संबंधित पोस्ट