क्या भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने सभी मानदंडो का पालन किए बिना जल्दबाजी में रविवार को मॉनसून के आगमन की घोषणा कर डाली? अगर स्काईमेट और मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले कुछ दूसरी संस्थाओं की बात मानें तो मौसम विभाग ने निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं किया। मगर मौसम विभाग ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने विज्ञान से कभी समझौता नहीं किया। इसकी वजह यह है कि हमारे अनुमान पर केवल निजी संस्थाओं की ही नजर नहीं होती बल्कि दुनिया भर में प्रतिष्ठित संस्थान भी हमारे अनुमानों का इंतजार करते हैं। वैज्ञानिक आधार पर सही तथ्यों का अध्ययन कर अनुमान लगाने के लिए भारतीय मौसम विभाग दुनिया भर में जाना जाता है।’
दूसरी तरफ मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने कहा कि आईएमडी ने रविवार को केरल तट पर मॉनसून के दस्तक देने की घोषणा पिछले दो दिनों के दौरान हवाओं की रफ्तार और ओएलआर (आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन) के आधार पर की। स्काईमेट के अनुसार बारिश सबसे महत्त्वपूर्ण बात है और इस लिहाज से आंकड़े बताते हैं कि इस मानदंड का पालन नहीं किया गया और इसके बिना ही मॉनसून के आगमन की घोषणा कर दी गई।
स्काईमेट ने एक बयान में कहा, ‘मॉनसून आने की घोषणा केवल एक दिन यानी 29 मई के आंकड़ों पर आधारित थी और 30 मई को मान्यता प्राप्त स्टेशनों में केवल 40 प्रतिशत ही बारिश के मानदंड का पालन कर पाए।’
इस निजी संस्था ने कहा कि केवल एक दिन के तथ्यों के आधार पर मॉनसून के आगमन की घोषणा करना मानकों का सरासर उल्लंघन है और पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। स्काईमेट ने आरोप लगाया कि कोई भी वैज्ञाानिक संस्था ऐसा करने का जोखिम मोल नहीं लेगी। स्काईमेट ने कहा, ‘अगर जान-बूझकर ऐसा किया जाता है तो यह काफी आपत्तिजनक है या फिर तथ्यों एवं विज्ञान का अपमान है।’
इस निजी संस्था ने कहा कि उनकी समझ एवं मानकों के अनुसार मॉनसून केरल के तट पर नहीं पहुंचा है और 30 मई को 14 स्टेशनों में सात स्टेशनों ने शून्य वर्षा दर्ज की है। स्काईमेट ने कहा कि दो स्टेशनों ने एक मिलीमीटर से कम वर्षा दर्ज की है। इस निजी संस्था ने कहा कि ज्यादातर जगहों पर सूर्य की रोशनी तेज थी और मॉनसून आने का कोई अभास नहीं मिला।
इसके जवाब में महापात्र ने कहा कि स्काईमेट की ओर से जारी बयान में स्पष्ट कहा गया है कि कि मॉनसून के आने की घोषणा करने से पहले दो लगातार दिनों तक वर्षा के मानदंड का अनुपालन किया गया।