निवेश के पैमाने पर किसी समय बिल्कुल नीचे आने वाला उत्तर प्रदेश पिछले कुछ वर्षों में लंबी छलांग लगा चुका है। प्रदेश में हाल में संपन्न वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान आए करीब 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव इसकी गवाही दे रहे हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड समृद्धि कार्यक्रम के दौरान ‘उत्तर प्रदेश का औद्योगिक विकास एवं बुनियादी ढांचा सुविधाएं’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में प्रदेश के प्रमुख अधिकारियों और उद्यमियों ने माना कि बुनियादी ढांचे पर खास जोर दिए जाने के कारण निवेशकों को उत्तर प्रदेश बुलाना काफी आसान हो गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस मिश्रा ने कहा, ‘किसी समय निवेश करने या उद्योग लगाने के लिए लोग चुनिंदा राज्यों का नाम लेते थे। उत्तर प्रदेश उस समय गिनती में ही नहीं था। किंतु हमने उन सभी राज्यों की सभी नीतियां पढ़ीं, उनकी अच्छी बातें चुनीं, उनके आधार पर उत्तर प्रदेश के लिए नीतियां बनाईं, यहां के उद्यमियों और निवेशकों के साथ उन पर कई बार चर्चा की।
उसके बाद ही नीतियों को अंतिम रूप दिया गया। आज प्रदेश में उद्योग और निवेश के क्षेत्र में 25 नीतियां लागू हो चुकी हैं, जिसका प्रभाव प्रदेश में बढ़ते निवेश के रूप में दिख रहा है।’
बुनियादी ढांचे की बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे ने उन इलाकों को भी निवेश तथा रोजगार दिया है, जिन इलाकों को लोग जानते भी नहीं थे। अगर आज पूर्वांचल के कथित पिछड़े इलाकों में निवेशक आ रहे हैं तो उसमें पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का भी योगदान है। अगर बुंदेलखंड में कारखाने लगने जा रहे हंर तो उसमें बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का भी योगदान है।
उन्होंने कहा कि देश का पहला राष्ट्रीय जलमार्ग बंगाल के हल्दिया से वाराणसी के बीच आ रहा है। इससे प्रदेश के उद्यमियों को कारोबार के नए रास्ते मिलेंगे और रोजगार भी बढ़ेगा। माल ढुलाई गलियारे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व-पश्चिम मालढुलाई गलियारे का 50 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से गुजर रहा है और उसके लिए सरकार हर प्रकार की मदद कर रही है क्योंकि इसका सबसे अधिक लाभ भी उत्तर प्रदेश के कारोबारियों और जनता को ही मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (आवास) नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि सरकार भवन उपनियम को पूरी तरह बदल रही है ताकि शहरी क्षेत्रों में एफएआर 9 तक ले जाया जा सके। भूमि बहुत कीमती है, इसलिए इन तरीकों से बहुमंजिला इमारतों को बढ़ावा मिलेगा और जमीन का अधिकतम उपयोग होगा।
खाली जमीन पर निजी क्षेत्र को टाउनशिप के लिए न्योता दिया जा रहा है और ऐसी कई परियोजनाएं तैयार भी हो रही हैं। आगरा, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज जैसे शहरों में टाउनशिप और वाणिज्यिक विकास एक साथ करने की पूरी कोशिश की जा रही है। इन सब तरीकों से सरकार उत्तर प्रदेश के शहरी जीवन का कायाकल्प करना चाहती है, जो आने वाले वर्षों में नजर भी आएगा।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार डॉ रहीस सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोग भी वही हैं और भूगोल भी वही है, लेकिन नेतृत्व ने बदलाव के बाद उत्तर प्रदेश की संस्कृति बदली है, उद्यमिता आई है और उद्यमियों के लिए काम करना सहज हुआ है। उन्होंने कहा कि नीतियों में परिवर्तन उद्यमियों के अनुकूल रहा है। इसके लिए सभी भागीदारों से व्यापक सलाह ली गई। कारोबारी सुगमता में रैंकिंग में उत्तर प्रदेश की छलांग इसका एक बड़ा उदाहरण है।
केएम शुगर मिल्स के प्रबंध निदेशक एलके झुनझुनवाला ने बिजली का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को लिए नेट मीटरिंग की व्यवस्था है। इसे उद्योगों के लिए भी शुरू कर दिया जाए तो बहुत फायदा होगा। इसी प्रकार सौर ऊर्जा के लिए भी काम करना होगा। दूसरे राज्यों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में बिजली की प्रति यूनिट कीमत अधिक है। इसकी समीक्षा होनी चाहिए।