दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को 20 साल हो गए हैं और विकास कुमार इसके तीसरे प्रबंध निदेशक बने हैं। उन्होंने कार्यकाल तब संभाला है जब डीएमआरसी कोरोना के दौरान संचालन और वित्तीय स्थिति पर पड़े सबसे खराब प्रतिकूल असर से उबर चुका है। डीएमआरसी ने अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए टिकटों के दामों को भी नियंत्रित रखा है और मुख्य कारोबारी विशेषज्ञता से परे नई क्षेत्रों व कारोबारों में भाग्य आजमा रही है। कुमार ने ध्रुवाक्ष साहा और श्रेया जय को दिए साक्षात्कार में डीएमआरसी की भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। संपादित अंश:
हमने दिल्ली के सार्वजनिक यातायात को अंतरराष्ट्रीय मेट्रो रेलों के जैसा सिस्टम दिया। पहले प्रबंध निदेशक के. श्रीधरन ने रिवर्स क्लॉक सिस्टम स्थापित किया था, यह कंपनी के हरेक विभाग में आज भी प्रदर्शित किया जाता है। इसका मूल ध्येय यह था कि डिलिवरी डेडलाइन का ध्यान रहे। इससे राजस्व अधिकतम होता है और लागत भी कम आती है। इस सालों के दौरान रोलिंग स्टॉक की कीमत मुश्किल से ही बढ़ी है। हाल में एक निविदा एल्सटॉम को मिली है, अगर इसकी तुलना पहले चरण से की जाए तो इसके डिब्बों में बेहतर तकनीक और मुसाफिर के लिए सुविधाएं हैं।
इस क्रम में अन्य कारण इन आपूर्तिकर्ताओं का घरेलू विनिर्माण है। हमारी फैक्टरी बेंगलूरु में बीईएमएल की श्री सिटी के सावली में है और पश्चिम बंगाल में फैक्टरी स्थापित होने वाली है। हमने उन्हें समझाया कि जब वे भारत में विनिर्माण स्थापित करेंगे तो उन्हें काफी कारोबार मिलेगा। वे भारत में कम लागत पर विनिर्माण कर सकते हैं और फिर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि को निर्यात कर सकते हैं। लिहाजा इसका श्रेय डीएमआरसी को जाता है।
कुल संचालन लागत में एक तिहाई बिजली और मानवश्रम की हिस्सेदारी है। हमारे पास शुरुआत से ही ऊर्जा कुशल प्रणालियां रही हैं। हमने बिजली की बचत की है और कार्बन क्रेडिट हासिल किए हैं। हम रीवा से सौर ऊर्जा खरीद रहे हैं और छतों पर सौर पैनल स्थापित कर रहे हैं। हमारी कुल ऊर्जा जरूरतों में 35 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा की जरूरतों से पूरा होता है। हमारा लक्ष्य अगले 10 वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा को 50 फीसदी के स्तर पर पहुंचाना है।
हम यात्रियों के सफर करने और राजस्व के मामले में कोरोना के पूर्व के स्तर के 90 फीसदी के करीब पहुंच गए हैं। मेट्रो में सफर करने वालों की जनसांख्यिकी में बदलाव आया है। एनसीआर क्षेत्र में विकास हो रहा है और हम अधिक यात्रियों को आकर्षित कर रहे हैं। आने वाले साल में हम इस स्तर को पार कर लेंगे।
हमारी वृद्धि दर बीते दशक में सालाना करीब 13 फीसदी रही है। यह अंतरराष्ट्रीय मेट्रो सिस्टम (चीन के अलावा) की तुलना में बेहतर वृद्धि है। भविष्य की वृद्धि शहर के विकास पर निर्भर करती है। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में ज्यादा ट्रैफिक आएगा। शहर में नए क्षेत्रों के विकास में जहां कार्यालय व आईटी पार्क बनेंगे, वहां मेट्रो के मुसाफिरों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
यह एक अत्यधिक पूंजी-गहन परियोजना है। अभी तक 35,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जा चुका है। हम अभी तक 5,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुके हैं और बाकी ऋण का भुगतान आने वाले 20 सालों में कर दिया जाएगा। इन ऋण की ब्याज दर कम है। ऋण की भारी मात्रा का अर्थ है कि हमारी किस्तें बढ़ेंगी। दुनियाभर में मेट्रो लाभ कमाने वाली नहीं हैं। हम अपने ऋण का भुगतान करने में सफल रहे हैं और इस तंत्र का संचालन कर रहे हैं। ऐसा ही करने का हमारा प्रयास होगा। हम खोज रहे हैं कि कैसे टिकट की बिक्री के अलावा अन्य स्रोतों से राजस्व प्राप्त किया जा सकता है – विज्ञापन, संपत्ति को पट्टे पर देना, अकेले ही संपत्ति निर्माण, परामर्श और नागरिक आधारभूत परियोजनाओं को आगे बढ़ाना।
घरेलू और वैश्विक मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए परामर्श मुहैया करवा रहे हैं। हम इस्राइल में तेल अवीव और बहरीन के लिए बोली लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यदि हम बोली जीत जाते हैं तो कई नए अवसर खुलेंगे। हम अन्य संगठनों के साथ गठजोड़ करेंगे जैसे हमने ढाका में किया। ढाका में स्थानीय कंपनी, हमने और जापानी कंपनी के बीच संयुक्त उपक्रम स्थापित किया।
नागरिक आधारभूत संरचना के क्षेत्र में हम पटना और मुंबई में काम कर रहे हैं। हम मेट्रो रेल के संचालन व रखरखाव के अपने अनुभव का इस्तेमाल अन्य मेट्रो कंपनियों के रखरखाव व संचालन के लिए करेंगे। हाल में मुंबई मेट्रो ने संचालन व रखरखाव के लिए निविदा जारी की थी, जिसमें हमने भी हिस्सा लिया। हम रखरखाव व संचालन के क्षेत्र में दक्षिण एशिया के बाजार पर नजर रख रहे हैं।
हम निविदाएं जारी कर रहे हैं लेकिन सरकारी जमीन के स्वामित्व वाली एजेंसियों जैसे एमसीडी और डीडीए से कुछ मुद्दों को लेकर बातचीत जारी है। सरकार ने ‘ट्रांजिट ओरियंटिड डेवलपमेंट’ (टीओडी) के लिए नीति जारी की है लेकिन इन एजेंसियों की अधिसूचना के बाद इसे जारी किया जाएगा। टीओडी में ज्यादा एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) मिलेगा। यदि आप हैदराबाद मेट्रो को देखते हैं तो एफएआर को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है। दिल्ली में एजेंसियां प्रतिबंधों के लिए पानी की क्षमता और सीवेज के मुद्दों की कमी का हवाला देती हैं।
सरकार किराया तय करने की समिति के जरिए स्वयं फैसला करेगी। हम यह फैसला नहीं करते हैं।
अभी तक मेट्रो में पीपीपी सफल नहीं रहा है। निजी साझेदार को भी पूंजी लानी होगी। वह हमसे कहीं अधिक दर पर पूंजी जुटाएगा। लिहाजा हमारा जेआईसीए ऋण सॉवरिन गारंटी के साथ अधिक संभव होगा। यदि अचल संपत्ति का विकास करने से खूब धन अर्जित करने की योजना बनाई जाती है, तो यह शायद काम कर सकती है। लेकिन अभी यह सफल नहीं हुई है। यदि हम हैदराबाद मेट्रो में एलऐंडटी के साथ पीपीपी पर नजर डालें तो एलऐंडटी घाटा झेल रही है और इससे एलऐंडटी बाहर निकलना चाहती है। यदि निजी क्षेत्र कम लागत पर कोषों का इंतजाम कर सकता है तो पीपीपी शायद सफल हो सकती है।
जेआईसीए ने सर्वश्रेष्ठ दर पर मुहैया करवाया है। हमने अन्य संस्थाओं जैसे वर्ल्ड बैंक और एशिया डेवलपमेंट बैंक आदि से भी बातचीत की है लेकिन वे दर के मामले में जेआईसीए से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। अभी तक हमारी जेआईसीए से गठजोड़ अच्छा रहा है।
हमारा मुख्य ध्यान गुणवत्ता वाली सुविधाओं पर रहा है और हम ये सुविधाएं मुहैया कराते रहेंगे। संस्थान को अधिक वहनीय बनाने के लिए हम निर्माण गतिविधियों के अलावा परामर्श और संचालव व प्रबंधन की सेवाएं मुहैया करवाएंगे। हमें गैर मेट्रो आधारभूत संरचना के निर्माण से भी परहेज नहीं है। हम इस क्षेत्र में अन्य कंपनियों से साझेदारी करेंगे। दिल्ली सरकार ने आईएसबीटी के निर्माणों के बारे में पूछताछ की है। हमने चरण 4 के स्टेशनों में लागत, डिजाइन और स्टेशन के क्षेत्र के अनुकूलतम स्तर को प्राप्त कर लिया है। हम शहरी आधारभूत संरचना के विकास में प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए प्रयासरत हैं। मैं यह कहू्ंगा कि हम प्रमुख खिलाड़ी जैसे एलऐंडटी से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।