हरियाणा विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल के खत्म होने में 8 महीने से भी कम वक्त बचा है और लोक सभा चुनाव करीब है लेकिन राज्य में सत्तासीन दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को मनोहर लाल खट्टर की जगह पार्टी के प्रदेश प्रमुख नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री नियुक्त करने का फैसला किया। सैनी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता है। वह 2019 में पहली बार कुरुक्षेत्र से लोक सभा सांसद बने।
उन्होंने, निर्दलीय विधायक रंजीत सिंह चौटाला सहित पांच मंत्रियों के साथ मंगलवार शाम शपथ ली। खट्टर सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे अनिल विज को नई मंत्रिमंडल में कोई जगह नहीं मिली और वह पार्टी विधायकों की बैठक में भी शामिल नहीं हुए।
मंगलवार सुबह खट्टर ने नाटकीय तरीके से अपने मंत्रिपरिषद के 13 सदस्यों के साथ इस्तीफा दे दिया। पंजाबी खत्री समुदाय से ताल्लुक रखने वाले खट्टर को 2014 में राज्य में भाजपा का पहला मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था जिससे सभी को हैरानी हुई थी। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद भी वह इस पद पर बने रहे।
वर्ष 2019 में भाजपा बहुमत से थोड़ा पीछे रह गई और इसने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ एक गठबंधन सरकार बनाई। भाजपा नई मंत्रिपरिषद में अपने 13 मंत्रियों में से चार को रखा है। इसमें जेजेपी के विधायक नहीं हैं जबकि पिछले मंत्रिमंडल में इस दल के तीन मंत्री थे जिनमें पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला भी शामिल हैं जो उप मुख्यमंत्री थे।
जेजेपी भाजपा के साथ मिलकर लोक सभा चुनाव लड़ना चाहती है। हालांकि भाजपा की प्रदेश इकाई ने जेजेपी के साथ सीट-साझेदारी का विरोध किया था। वर्ष 2019 में भाजपा ने हरियाणा में सभी 10 लोक सभा सीटें जीत लीं थीं।
इस घटनाक्रम से यह अंदाजा मिलता है कि दोनों दलों ने अपने रास्ते अलग कर लिए हैं। जेजेपी ने इस घटनाक्रम के बाद दिल्ली में अपने नेताओं की बैठक बुलाई थी लेकिन इसके बांच विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए जिससे अटकलें लगनी शुरू हो गईं। पार्टी नेताओं ने कहा कि वे इस हफ्ते के बाद अपनी भविष्य की रणनीति की घोषणा करेंगे।
पार्टी ने सूत्रों ने कहा कि सैनी की नियुक्ति से यह अंदाजा मिलता है कि भाजपा नेतृत्व की भूमिका ओबीसी को देने के लिए प्रतिबद्ध है। मध्य प्रदेश में भी दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद मोहन यादव को इसी वजह से चुना गया।
उन्होंने कहा कि माली जाति के सैनी को चुनने से पार्टी को राजस्थान और मध्य प्रदेश में इस समुदाय को अपने खेमे में लाने में मदद मिल सकती है। हाल के वर्षों में भाजपा ने कार्यकाल के बीच में ही कर्नाटक, उत्तराखंड, त्रिपुरा और गुजरात में अपने मुख्यमंत्री बदले हैं।